राष्ट्रीय तुलसी सम्मान: Difference between revisions
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Latest revision as of 09:36, 17 September 2012
मध्य प्रदेश शासन द्वारा आदिवासी लोक और पारम्परिक कलाओं में उत्कृष्टता और श्रेष्ठ उपलब्धि को सम्मानित करने और इन कलाओं में राष्ट्रीयता को विकसित करने की दृष्टि से एक वार्षिक पुरस्कार स्थापित किया है।
चयन प्रक्रिया
तुलसी सम्मान का आधार असाधारण सृजनात्मकता, उत्कृष्टता और दीर्घ साधना माना गया हैं। चयन की निश्चित प्रक्रिया है। कला के राष्ट्रीय रूप को विकसित करने के इस प्रयत्न में सभी स्तरों पर विशेषज्ञों की हिस्सेदारी है और इस बात का पूरा ख्याल रखा गया है कि जहाँ एक ओर कलात्मक उपलब्धियों के बारे में एक तरह का व्यापक मत संग्रह संदर्भ के लिए उपलब्ध रहे, वहीं सम्मान से विभूषित किये जाने वाले कलाकार या मण्डली का चयन असंदिग्धा निष्ठा और विवेक वाले विशेषज्ञ पूरी निष्पक्षता, वस्तुपरकता और निर्भयता के साथ ऐसे मानदण्डों के आधार पर करें जो उत्तरदायी जीवन दृष्टि, गंभीर कलानुशासन और सौन्दर्यबोध पर आश्रित हैं।
चयन समिति
तुलसी सम्मान की चयन प्रक्रिया के अनुसार संस्कृति विभाग, वर्ष-विशेष के लिए निर्धारित कलानुशासन के कलाकारों, विशेषज्ञों, रसिकों और संगठनों आदि से अपने रचनात्मक वैशिष्ट्य, ज्ञान और संसक्ति का लाभ लेते हुए इस सम्मान के लिए उपयुक्त कलाकारों अथवा मण्डलियों के नामों की अनुशंसा करने का अनुरोध करता है। ये अनुशंसाएँ संकलित करके विशेषज्ञों की चयन समिति के सामने अंतिम निर्णय के लिए रखी जाती हैं। इस समिति में राष्ट्रीय ख्याति के कलाकार और विशेषज्ञ शामिल होते हैं। चयन समिति को यह भी स्वतंत्रता है कि यदि कोई नाम छूट गया हो तो उसे अपनी तरफ से जोड़ लें। राज्य शासन ने चयन समिति को अनुशंसा को अपने लिए बंधानकारी माना है
पुरस्कार
'तुलसी सम्मान' के नाम से एक लाख रुपये का वार्षिक पुरस्कार दिया जाता है। यह सम्मान तीन वर्ष में दो बार प्रदर्शनकारी कलाओं और एक बार रूपंकर कलाओं के क्षेत्र में दिया जाता है।
टीका टिप्पणी और संदर्भबाहरी कड़ियाँसंबंधित लेख
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