अक़्लमंद हंस: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replace - "आवाज " to "आवाज़ ") |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replace - " जमीन" to " ज़मीन") |
||
Line 20: | Line 20: | ||
एक हंस ने हिम्मत करके कहा 'ताऊ, हम मूर्ख हैं, लेकिन अब हमसे मुंह मत फेरो।' | एक हंस ने हिम्मत करके कहा 'ताऊ, हम मूर्ख हैं, लेकिन अब हमसे मुंह मत फेरो।' | ||
दूसरा हंस बोला 'इस संकट से निकालने की तरकीब तू ही हमें बता सकता हैं। आगे हम तेरी कोई बात नहीं टालेंगे।' सभी हंसों ने हामी भरी तब ताऊ ने उन्हें बताया 'मेरी बात ध्यान से सुनो। सुबह जब बहेलिया आएगा, तब मुर्दा होने का नाटक करना। बहेलिया तुम्हें मुर्दा समझकर जाल से निकाल कर | दूसरा हंस बोला 'इस संकट से निकालने की तरकीब तू ही हमें बता सकता हैं। आगे हम तेरी कोई बात नहीं टालेंगे।' सभी हंसों ने हामी भरी तब ताऊ ने उन्हें बताया 'मेरी बात ध्यान से सुनो। सुबह जब बहेलिया आएगा, तब मुर्दा होने का नाटक करना। बहेलिया तुम्हें मुर्दा समझकर जाल से निकाल कर ज़मीन पर रखता जाएगा। वहां भी मरे समान पडे रहना। जैसे ही वह अन्तिम हंस को नीचे रखेगा, मैं सीटी बजाऊंगा। मेरी सीटी सुनते ही सब उड जाना।' | ||
सुबह बहेलिया आया। हंसो ने वैसा ही किया, जैसा ताऊ ने समझाया था। सचमुच बहेलिया हंसों को मुर्दा समझकर | सुबह बहेलिया आया। हंसो ने वैसा ही किया, जैसा ताऊ ने समझाया था। सचमुच बहेलिया हंसों को मुर्दा समझकर ज़मीन पर पटकता गया। सीटी की आवाज़ के साथ ही सारे हंस उड गए। बहेलिया अवाक होकर देखता रह गया। | ||
'''सीखः''' -- बुद्धिमानों की सलाह गंभीरता से लेनी चाहिए। | '''सीखः''' -- बुद्धिमानों की सलाह गंभीरता से लेनी चाहिए। |
Revision as of 13:29, 1 October 2012
चित्र:Icon-edit.gif | इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव" |
- अक्लमंद हंस
एक बहुत बडा विशाल पेड था। उस पर बीसीयों हंस रहते थे। उनमें एक बहुत स्याना हंस था, बुद्धिमान और बहुत दूरदर्शी। सब उसका आदर करते ‘ताऊ’ कहकर बुलाते थे। एक दिन उसने एक नन्ही-सी बेल को पेड के तने पर बहुत नीचे लिपटते पाया। ताऊ ने दूसरे हंसों को बुलाकर कहा 'देखो, इस बेल को नष्ट कर दो। एक दिन यह बेल हम सबको मौत के मुंह में ले जाएगी।'
एक युवा हंस हंसते हुए बोला 'ताऊ, यह छोटी-सी बेल हमें कैसे मौत के मुंह में ले जाएगी?'
स्याने हंस ने समझाया 'आज यह तुम्हें छोटी-सी लग रही हैं। धीरे-धीरे यह पेड के सारे तने को लपेटा मारकर ऊपर तक आएगी। फिर बेल का तना मोटा होने लगेगा और पेड से चिपक जाएगा, तब नीचे से ऊपर तक पेड पर चढने के लिए सीढी बन जाएगी। कोई भी शिकारी सीढी के सहारे चढकर हम तक पहुंच जाएगा और हम मारे जाएंगे।'
दूसरे हंस को यकीन न आया 'एक छोटी सी बेल कैसे सीढी बनेगी?'
तीसरा हंस बोला 'ताऊ, तु तो एक छोटी-सी बेल को खींचकर ज़्यादा ही लम्बा कर रहे हैं।'
एक हंस बडबडाया 'यह ताऊ अपनी अक्ल का रौब डालने के लिए अंट-शंट कहानी बना रहा हैं।'
इस प्रकार किसी दूसरे हंस ने ताऊ की बात को गंभीरता से नहीं लिया। इतनी दूर तक देख पाने की उनमें अक्ल कहां थी?
समय बीतता रहा। बेल लिपटते-लिपटते ऊपर शाखों तक पहुंच गई। बेल का तना मोटा होना शुरू हुआ और सचमुच ही पेड के तने पर सीढी बन गई। जिस पर आसानी से चढा जा सकता था। सबको ताऊ की बात की सच्चाई सामने नजर आने लगी। पर अब कुछ नहीं किया जा सकता था क्योंकि बेल इतनी मज़बूत हो गई थी कि उसे नष्ट करना हंसों के बस की बात नहीं थी। एक दिन जब सब हंस दाना चुगने बाहर गए हुए थे तब एक बहेलिआ उधर आ निकला। पेड पर बनी सीढी को देखते ही उसने पेड पर चढकर जाल बिछाया और चला गया। सांझ को सारे हंस लौट आए पेड पर उतरे तो बहेलिए के जाल में बुरी तरह फंस गए। जब वे जाल में फंस गए और फडफडाने लगे, तब उन्हें ताऊ की बुद्धिमानी और दूरदर्शिता का पता लगा। सब ताऊ की बात न मानने के लिए लज्जित थे और अपने आपको कोस रहे थे। ताऊ सबसे रुष्ट था और चुप बैठा था।
एक हंस ने हिम्मत करके कहा 'ताऊ, हम मूर्ख हैं, लेकिन अब हमसे मुंह मत फेरो।'
दूसरा हंस बोला 'इस संकट से निकालने की तरकीब तू ही हमें बता सकता हैं। आगे हम तेरी कोई बात नहीं टालेंगे।' सभी हंसों ने हामी भरी तब ताऊ ने उन्हें बताया 'मेरी बात ध्यान से सुनो। सुबह जब बहेलिया आएगा, तब मुर्दा होने का नाटक करना। बहेलिया तुम्हें मुर्दा समझकर जाल से निकाल कर ज़मीन पर रखता जाएगा। वहां भी मरे समान पडे रहना। जैसे ही वह अन्तिम हंस को नीचे रखेगा, मैं सीटी बजाऊंगा। मेरी सीटी सुनते ही सब उड जाना।'
सुबह बहेलिया आया। हंसो ने वैसा ही किया, जैसा ताऊ ने समझाया था। सचमुच बहेलिया हंसों को मुर्दा समझकर ज़मीन पर पटकता गया। सीटी की आवाज़ के साथ ही सारे हंस उड गए। बहेलिया अवाक होकर देखता रह गया।
सीखः -- बुद्धिमानों की सलाह गंभीरता से लेनी चाहिए।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ