सुनीता विलियम्स: Difference between revisions

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सुनीता विलियम्स ‘महिला एक, व्यक्तित्व अनेक’ की सच्ची कहानी है : नौसेना पोत चालक, हेलीकाप्टर पायलट, परीक्षण पायलट, पेशेवर नौसैनिक, गोताखोर, तैराक, धर्मार्थ धन जुटानेवाली, पशु-प्रेमी, मैराथन धाविका और अब अंतरिक्ष यात्री एवं विश्व-कीर्तिमान धारक ! एक साधारण व्यक्तित्व से ऊपर उठकर सुनीता ने अपनी असाधारण संभाव्यता को पहचाना और कड़ी मेहनत तथा आत्मविश्वास के बल पर उसका भरपूर उपयोग किया। अपनी असाधारण सफलता से उन्होंने उन लोगों के लिए एक प्रतिमान तैयार किया है, जो उनके पदचिह्नों पर चलना चाहते हैं। यह सफलता उन्होंने अपने स्नेही और सहयोगी परिवार व मित्रों के सहयोग से प्राप्त की है।
सुनीता विलियम्स ‘महिला एक, व्यक्तित्व अनेक’ की सच्ची कहानी है : नौसेना पोत चालक, हेलीकाप्टर पायलट, परीक्षण पायलट, पेशेवर नौसैनिक, गोताखोर, तैराक, धर्मार्थ धन जुटानेवाली, पशु-प्रेमी, मैराथन धाविका और अब अंतरिक्ष यात्री एवं विश्व-कीर्तिमान धारक ! एक साधारण व्यक्तित्व से ऊपर उठकर सुनीता ने अपनी असाधारण संभाव्यता को पहचाना और कड़ी मेहनत तथा आत्मविश्वास के बल पर उसका भरपूर उपयोग किया। अपनी असाधारण सफलता से उन्होंने उन लोगों के लिए एक प्रतिमान तैयार किया है, जो उनके पदचिह्नों पर चलना चाहते हैं। यह सफलता उन्होंने अपने स्नेही और सहयोगी परिवार व मित्रों के सहयोग से प्राप्त की है।


सुनीता लिन पांड्या विलियम्स का जन्म 19 सितम्बर, 1965 को अमेरिका के ओहियो प्रांत में स्थित क्लीवलैंड में हुआ था। उनके पिता डॉ. दीपक एन पांड्या (एम.डी) हैं, जो भारत के मंगरौल से हैं। सुनी (सुनीता) की माँ बानी जालोकर पांड्या हैं। सुनी का एक बड़ा भाई जय थॉमस पांड्या और एक बड़ी बहन डायना एन पांड्या है। जब सुनीता एक वर्ष से भी कम की थी तभी पिता 1958 में अहमदाबाद से अमरीका के बोस्टन में आकर बस गए थे। हालाँकि बच्चे अपने दादा-दादी, ढेर सारे चाचा-चाची और चचेरे भाई-बहनों को छो़ड़ कर ज्यादा खुश नहीं थे, लेकिन परिवार ने पिता दीपक को उनके चिकित्सा पेशे में प्रोत्साहित किया।
सुनीता लिन पांड्या विलियम्स का जन्म 19 सितम्बर, 1965 को अमेरिका के ओहियो राज्य में यूक्लिड नगर (स्थित क्लीवलैंड) में हुआ था। उनके पिता डॉ. दीपक एन पांड्या एक जाने-माने तंत्रिका विज्ञानी (एम.डी) हैं, जिनका संबंध भारत के गुजरात के मंगरौल से हैं। सुनी (सुनीता) की माँ बॉनी जालोकर पांड्या स्लोवेनिया की हैं। सुनी का एक बड़ा भाई जय थॉमस पांड्या और एक बड़ी बहन डायना एन पांड्या है। जब सुनीता एक वर्ष से भी कम की थी तभी पिता 1958 में अहमदाबाद से अमरीका के बोस्टन में आकर बस गए थे। हालाँकि बच्चे अपने दादा-दादी, ढेर सारे चाचा-चाची और चचेरे भाई-बहनों को छो़ड़ कर ज्यादा खुश नहीं थे, लेकिन परिवार ने पिता दीपक को उनके चिकित्सा पेशे में प्रोत्साहित किया।


ओहियो के यूक्लिड शहर में जन्मी सुनीता मूलतः मैसाचुसेट्स की निवासी हैं। उन्होंने माइकल जे. विलियम्स नामक व्यक्ति से विवाह किया है। मैसाचुसेट्स से ही हाई स्कूल पास करने के बाद 1987 में उन्होंने संयुक्त राष्ट्र की नौसैनिक अकादमी से फिजिकल साइन्स में बीएस (स्नातक उपाधि) की परीक्षा उत्तीर्ण की। तत्पश्चात 1995 में उन्होंने फ़्लोरिडा इंस्टिट्यूट ऑफ़ टैक्नोलॉजी से इंजीनियरिंग मैनेजमेंट में एमएस (एम ए की डिग्री) की उपाधि हासिल की।
जून 1998 में उनका अमरीका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा में चयन हुआ और प्रशिक्षण शुरू हुआ। इस समय वे अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र में काम कर रही हैं। सुनीता भारतीय मूल की दूसरी महिला हैं जो अमरीका के अंतरिक्ष मिशन पर गई हैं। सुनीता विलियम्स ने सितंबर / अक्तूबर 2007 में भारत का दौरा भी किया। जून, 1998 से नासा से जुड़ी सुनीता ने अभी तक कुल 30 अलग-अलग अंतरिक्ष यानों में 2770 उड़ानें भरी हैं। साथ ही सुनीता सोसाइटी ऑफ एक्सपेरिमेंटल टेस्ट पायलेट्स, सोसाइटी ऑफ फ्लाइट टेस्ट इंजीनियर्स और अमेरिकी हैलिकॉप्टर एसोसिएशन जैसी संस्थाओं से भी जुड़ी हुई हैं। कार्यक्षेत्र में अपनी उपलब्धियों से उन्हें नेवी कमेंडेशन मेडल (2), नेवी एंड मैरीन कॉर्प एचीवमेंट मेडल, ह्यूमैनिटेरियन सर्विस मेडल जैसे कई सम्मानों से सम्मानित किया गया है।


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Revision as of 15:35, 5 September 2012

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भारतीय मूल की अंतरिक्ष वैज्ञानिक सुनीता विलियम्स का नाम आज कौन नहीं जानता ! यह नाम है एक ऐसा असाधारण महिला का, जिसके नाम अनेक रिकार्ड दर्ज हो चुके हैं। उन्होंने अंतरिक्ष में 194 दिन, 18 घंटे रहकर विश्वरिकार्ड बनाया। उनके इन गुणों ने उन्हें एक पशु चिकित्सक बनने की महत्वाकांक्षा रखने वीली छोटी-सी बालिका के एक अंतरिक्ष-विज्ञानी, एक आदर्श प्रतिमान बना दिया। अंतरिक्ष में अपने छह माह के प्रवास के दौरान वे दुनियाभर के लाखों लोगों के आकर्षण का केंद्र बनी रहीं। सुनीता समुद्रों में तैराकी कर चुकी हैं महासागरों में गोताखोरी कर चुकी हैं, युद्ध और मानव-कल्याण के कार्य के लिए उड़ानें भर चुकी हैं, अंतरिक्ष तक पहुँच चुकी हैं और अंतरिक्ष से अब वापस धरती पर आ चुकी हैं और एक जीवन्त किंवदंती बन गई हैं।

सुनीता विलियम्स ‘महिला एक, व्यक्तित्व अनेक’ की सच्ची कहानी है : नौसेना पोत चालक, हेलीकाप्टर पायलट, परीक्षण पायलट, पेशेवर नौसैनिक, गोताखोर, तैराक, धर्मार्थ धन जुटानेवाली, पशु-प्रेमी, मैराथन धाविका और अब अंतरिक्ष यात्री एवं विश्व-कीर्तिमान धारक ! एक साधारण व्यक्तित्व से ऊपर उठकर सुनीता ने अपनी असाधारण संभाव्यता को पहचाना और कड़ी मेहनत तथा आत्मविश्वास के बल पर उसका भरपूर उपयोग किया। अपनी असाधारण सफलता से उन्होंने उन लोगों के लिए एक प्रतिमान तैयार किया है, जो उनके पदचिह्नों पर चलना चाहते हैं। यह सफलता उन्होंने अपने स्नेही और सहयोगी परिवार व मित्रों के सहयोग से प्राप्त की है।

सुनीता लिन पांड्या विलियम्स का जन्म 19 सितम्बर, 1965 को अमेरिका के ओहियो राज्य में यूक्लिड नगर (स्थित क्लीवलैंड) में हुआ था। उनके पिता डॉ. दीपक एन पांड्या एक जाने-माने तंत्रिका विज्ञानी (एम.डी) हैं, जिनका संबंध भारत के गुजरात के मंगरौल से हैं। सुनी (सुनीता) की माँ बॉनी जालोकर पांड्या स्लोवेनिया की हैं। सुनी का एक बड़ा भाई जय थॉमस पांड्या और एक बड़ी बहन डायना एन पांड्या है। जब सुनीता एक वर्ष से भी कम की थी तभी पिता 1958 में अहमदाबाद से अमरीका के बोस्टन में आकर बस गए थे। हालाँकि बच्चे अपने दादा-दादी, ढेर सारे चाचा-चाची और चचेरे भाई-बहनों को छो़ड़ कर ज्यादा खुश नहीं थे, लेकिन परिवार ने पिता दीपक को उनके चिकित्सा पेशे में प्रोत्साहित किया।

ओहियो के यूक्लिड शहर में जन्मी सुनीता मूलतः मैसाचुसेट्स की निवासी हैं। उन्होंने माइकल जे. विलियम्स नामक व्यक्ति से विवाह किया है। मैसाचुसेट्स से ही हाई स्कूल पास करने के बाद 1987 में उन्होंने संयुक्त राष्ट्र की नौसैनिक अकादमी से फिजिकल साइन्स में बीएस (स्नातक उपाधि) की परीक्षा उत्तीर्ण की। तत्पश्चात 1995 में उन्होंने फ़्लोरिडा इंस्टिट्यूट ऑफ़ टैक्नोलॉजी से इंजीनियरिंग मैनेजमेंट में एमएस (एम ए की डिग्री) की उपाधि हासिल की।

जून 1998 में उनका अमरीका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा में चयन हुआ और प्रशिक्षण शुरू हुआ। इस समय वे अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र में काम कर रही हैं। सुनीता भारतीय मूल की दूसरी महिला हैं जो अमरीका के अंतरिक्ष मिशन पर गई हैं। सुनीता विलियम्स ने सितंबर / अक्तूबर 2007 में भारत का दौरा भी किया। जून, 1998 से नासा से जुड़ी सुनीता ने अभी तक कुल 30 अलग-अलग अंतरिक्ष यानों में 2770 उड़ानें भरी हैं। साथ ही सुनीता सोसाइटी ऑफ एक्सपेरिमेंटल टेस्ट पायलेट्स, सोसाइटी ऑफ फ्लाइट टेस्ट इंजीनियर्स और अमेरिकी हैलिकॉप्टर एसोसिएशन जैसी संस्थाओं से भी जुड़ी हुई हैं। कार्यक्षेत्र में अपनी उपलब्धियों से उन्हें नेवी कमेंडेशन मेडल (2), नेवी एंड मैरीन कॉर्प एचीवमेंट मेडल, ह्यूमैनिटेरियन सर्विस मेडल जैसे कई सम्मानों से सम्मानित किया गया है।


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