आगरा शिखर वार्ता: Difference between revisions
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इस प्रकार परवेज मुशर्रफ़ ने भारत की ज़मीन पर रहते हुए भारत की ज़मीन का उपयोग कूटनीति के लिए किया और पाकिस्तानियों में लोकप्रियता हासिल कर ली। कहने का तात्पर्य यह है कि परवेज मुशर्रफ़ को 'बेचारा' समझकर बुलाया गया लेकिन वह नायक बनकर विदा हुआ। अटलजी के प्रयास सकारात्मक अवश्य थे, लेकिन परवेज मुशर्रफ़ भारत से सम्बन्ध सुधारने की ख़्वाहिश नहीं रखते थे। मुशर्रफ़ सरकार ने भारत में आतंकवादी घटनाओं को बढ़ावा दिया। परवेज मुशर्रफ़ और उनकी सरकार ने भारत के साथ कोई भी क़रार इस शिखर वार्ता के दौरान नहीं किया। | इस प्रकार परवेज मुशर्रफ़ ने भारत की ज़मीन पर रहते हुए भारत की ज़मीन का उपयोग कूटनीति के लिए किया और पाकिस्तानियों में लोकप्रियता हासिल कर ली। कहने का तात्पर्य यह है कि परवेज मुशर्रफ़ को 'बेचारा' समझकर बुलाया गया लेकिन वह नायक बनकर विदा हुआ। अटलजी के प्रयास सकारात्मक अवश्य थे, लेकिन परवेज मुशर्रफ़ भारत से सम्बन्ध सुधारने की ख़्वाहिश नहीं रखते थे। मुशर्रफ़ सरकार ने भारत में आतंकवादी घटनाओं को बढ़ावा दिया। परवेज मुशर्रफ़ और उनकी सरकार ने भारत के साथ कोई भी क़रार इस शिखर वार्ता के दौरान नहीं किया। |
Revision as of 14:26, 14 October 2012
आगरा शिखर वार्ता भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और पाकिस्तान के राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ़ के बीच दोनों देशों की समस्याओं को लेकर हुए एक वार्तालाप को कहा जाता है। अटल बिहारी वाजपेयी ने परवेज मुशर्रफ़ को आगरा में शिख़र वार्ता के लिए आमंत्रित किया। अटल जी चाहते थे कि वार्तालाप के माध्यम से दोनों देशों की समस्याओं का निराकरण किया जाए, लेकिन परवेज मुशर्रफ़ के व्यक्तित्व को समझने में भूल कर बैठे। परवेज मुशर्रफ़ ने शाही यात्रा का आनन्द तो उठाया लेकिन समझौते की राह हमवार नहीं हुई। परवेज मुशर्रफ़ ने भारत सरकार को पूर्व सूचना दिए बग़ैर ही आगरा के इलेक्ट्रानिक मीडिया को संभाषण जारी कर दिया, जिससे भारत की आलोचना हुई। इस संभाषण में भारत का पक्ष भी नकार दिया गया और कश्मीर के मामले को अधिक पेचीदा बनाकर पेश किया गया।
इस प्रकार परवेज मुशर्रफ़ ने भारत की ज़मीन पर रहते हुए भारत की ज़मीन का उपयोग कूटनीति के लिए किया और पाकिस्तानियों में लोकप्रियता हासिल कर ली। कहने का तात्पर्य यह है कि परवेज मुशर्रफ़ को 'बेचारा' समझकर बुलाया गया लेकिन वह नायक बनकर विदा हुआ। अटलजी के प्रयास सकारात्मक अवश्य थे, लेकिन परवेज मुशर्रफ़ भारत से सम्बन्ध सुधारने की ख़्वाहिश नहीं रखते थे। मुशर्रफ़ सरकार ने भारत में आतंकवादी घटनाओं को बढ़ावा दिया। परवेज मुशर्रफ़ और उनकी सरकार ने भारत के साथ कोई भी क़रार इस शिखर वार्ता के दौरान नहीं किया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ