User talk:डा.राजेंद्र तेला: Difference between revisions

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(सीखना)
 
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सीखने के लिए ह्रदय और मस्तिष्क के द्वार खुले रहने चाहिए,यह आवश्यक नहीं है कि आप किसी की बात से सहमत हों सामने वाले की बात को ध्यान से सुनना चाहिए .
सीखने के लिए ह्रदय और मस्तिष्क के द्वार खुले रहने चाहिए,यह आवश्यक नहीं है कि आप किसी की बात से सहमत हों सामने वाले की बात को ध्यान से सुनना चाहिए .
डा.राजेंद्र तेला"निरंतर"[[Category:सीखना]]
डा.राजेंद्र तेला"निरंतर"[[Category:सीखना]]
== सहमती -असहमती ==
किसी प्रश्न के उत्तर में
या विषय पर
मौन रहना,सहमती माना जा
सकता है
असहमत हो तो,मौन ना रहे
अपने विचार
अवश्य प्रकट करने चाहिए
वो भी इस तरह से कि
जिससे आप सहमत ना हो
उसे बुरा नहीं लगे
डा राजेंद्र तेला,"निरंतर”[[Category:अनमोल_वचन]]

Revision as of 05:25, 10 November 2012

सीखना व्यक्ति हर दिन किसी ना किसी से कुछ सीख सकता है,व्यक्ति किसी से भी सीख सीखता है ,उम्र,पद और अनुभव ही पैमाना नहीं होता है व्यक्तित्व में सुधार की कोई सीमा नहीं होती ,जब भी कोई यह समझ लेता है,उसे सब आता है या उसे सब आ गया है,अहम् मन में घर कर जाता है ,उसके व्यक्तित्व का विकास रुक जाता है और आगे बढ़ने के स्थान पर वह पीछे लौटने लगता है सीखने के लिए ह्रदय और मस्तिष्क के द्वार खुले रहने चाहिए,यह आवश्यक नहीं है कि आप किसी की बात से सहमत हों सामने वाले की बात को ध्यान से सुनना चाहिए . डा.राजेंद्र तेला"निरंतर"

सहमती -असहमती

किसी प्रश्न के उत्तर में या विषय पर मौन रहना,सहमती माना जा सकता है असहमत हो तो,मौन ना रहे अपने विचार अवश्य प्रकट करने चाहिए वो भी इस तरह से कि जिससे आप सहमत ना हो उसे बुरा नहीं लगे डा राजेंद्र तेला,"निरंतर”