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|+style="text-align:left; padding-left:10px; font-size:18px"|<font color="#003366">[[भारतकोश सम्पादकीय 21 सितम्बर 2013|भारतकोश सम्पादकीय <small>-आदित्य चौधरी</small>]]</font>
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<center>[[भारतकोश सम्पादकीय 11 अगस्त 2013|ग़रीबी का दिमाग़]]</center>
<center>[[भारतकोश सम्पादकीय 21 सितम्बर 2013|समाज का ऑपरेटिंग सिस्टम]]</center>
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        तम्बू में सन्नाटा हो गया, सब एक दूसरे की तरफ़ देखने लगे। जब कोई कुछ नहीं बोला तो पहले ग़रीब की हाईस्कूल पास पत्नी अचानक बोल पड़ी-
        ऑपरेटिंग सिस्टम के नये से नये रूपांतरण (वर्ज़न) लाना और लगातार सॉफ़्टवेयर अपडेट का आना ही माइक्रोसॉफ़्ट की सफलता का राज़ है। ज़माना अपडेट्स का है। न्यायपालिका और कार्यपालिका भी समाज के ऑपरेटिंग सिस्टम हैं। जिनको समय-समय पर नये रूपान्तरण (वर्ज़न) और अद्यतन (अपडेट) की आवश्यकता होती है। [[भारतकोश सम्पादकीय 21 सितम्बर 2013|...पूरा पढ़ें]]
"ठीक कह रहे हैं बाबू जी, ग़रीबी हमारे दिमाग़ में है... आप लोगों के दिमाग़ में नहीं... अगर हमारी ग़रीबी आपके दिमाग़ में भी होती तो हम ग़रीब नहीं होते..." [[भारतकोश सम्पादकीय 11 अगस्त 2013|...पूरा पढ़ें]]
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| [[भारतकोश सम्पादकीय 11 अगस्त 2013|ग़रीबी का दिमाग़]]  ·
| [[भारतकोश सम्पादकीय 9 जुलाई 2013|कल आज और कल]]  ·
| [[भारतकोश सम्पादकीय 9 जुलाई 2013|कल आज और कल]]  ·
| [[भारतकोश सम्पादकीय 3 जून 2013|घूँघट से मरघट तक]]  ·
| [[भारतकोश सम्पादकीय 3 जून 2013|घूँघट से मरघट तक]]   
| [[भारतकोश सम्पादकीय 3 मई 2013|सभ्य जानवर]]   
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Revision as of 14:08, 21 September 2013

भारतकोश सम्पादकीय -आदित्य चौधरी

right|80px|link=भारतकोश सम्पादकीय 21 सितम्बर 2013

समाज का ऑपरेटिंग सिस्टम

         ऑपरेटिंग सिस्टम के नये से नये रूपांतरण (वर्ज़न) लाना और लगातार सॉफ़्टवेयर अपडेट का आना ही माइक्रोसॉफ़्ट की सफलता का राज़ है। ज़माना अपडेट्स का है। न्यायपालिका और कार्यपालिका भी समाज के ऑपरेटिंग सिस्टम हैं। जिनको समय-समय पर नये रूपान्तरण (वर्ज़न) और अद्यतन (अपडेट) की आवश्यकता होती है। ...पूरा पढ़ें

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