सौरमण्डल: Difference between revisions

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===चन्द्रमा (Moon)===
===चन्द्रमा (Moon)===
*चन्द्रमा की सतह और उसकी आन्तरिक सतह का अध्ययन करने वाला विज्ञान सेलेनोलॉजी कहलाता है।
{{main|चन्द्रमा}}
*इस पर धूल के मैदान को शान्तिसागर कहते हैं। यह चन्द्रमा का पिछला भाग है, जो अंधकारमय होता है।
चन्द्रमा को जीवाश्म ग्रह भी कहा जाता है।
*चन्द्रमा का उच्चतम पर्वत लीबनिट्ज पर्वत है, जो 35000 फुट (10,668 मी0) ऊँचा है। यह चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर स्थित है।
 
*चन्द्रमा को जीवाश्म ग्रह भी कहा जाता है।  
*चन्द्रमा पृथ्वी की एक परिक्रमा लगभग 27 दिन और 8 घंटे में पूरी करता है और इतने ही समय में अपने अक्ष पर एक घूर्णन करता है। यही कारण है कि चन्द्रमा का सदैव एक ही भाग दिखाई पड़ता है। पृथ्वी से चन्द्रमा का 57% भाग देखा जा सकता है।
*चन्द्रमा का अक्ष तल पृथ्वी के अक्ष के साथ 58.48º का अक्ष कोण बनाता है। चन्द्रमा पृथ्वी के अक्ष के लगभग समानान्तर है।
*चन्द्रमा का व्यास 3,480 किमी0 तथा द्रव्यमान, पृथ्वी के द्रव्यमान का लगभग 1/8 है।
*पृथ्वी के समान इसका परिक्रमण पथ भी दीर्घ वृत्ताकार है।
*सूर्य के संदर्भ में चन्द्रमा की अवधि 29.53 दिन (29 दिन, 12 घंटे, 44 मिनट और 2.8 सेकेण्ड) होती है। इस समय को एक चन्द्रमास या साइनोडिक मास कहते हैं।
*नाक्षत्र समय के दृष्टिकोण से चन्द्रमा लगभग 27½ दिन (27 दिन, 7 घंटे, 43 मिनट और 11.6 सेकेण्ड) में पुनः उसी स्थिति में होता है। 27½ दिन की यह अवधि एक नाक्षत्र मास कहलाती है।
*ज्वार उठने के लिए अपेक्षित सौर एवं चन्द्रमा की शक्तियों के अनुपात 11:5 हैं।
*ओपोलो के अंतरिक्ष यात्रियों द्वारा लाए गए चट्टानों से पता चला है कि चन्द्रमा भी उतना ही पुराना है, जितनी की पृथ्वी (लगभग 460 करोड़ वर्ष)। इसकी चट्टानों में टाइटेनियम की मात्रा अत्यधिक मात्रा में पायी गयी है।
==बौने ग्रह==
==बौने ग्रह==
===यम (Pluto)===
===यम (Pluto)===

Revision as of 06:52, 26 July 2010

(2) सौरमण्डल (Solar System)

सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाने वाले विभिन्न ग्रहों, क्षुद्र ग्रहों, धूमकेतुओं, उल्काओं तथा अन्य आकाशीय पिण्डों के समूह को सौरमण्डल (Solar System) कहते हैं। सौरमण्डल में सूर्य का प्रभुत्व है, क्योंकि सौरमण्डल निकाय के द्रव्य का लगभग 99.999 द्रव्य सूर्य में निहित है। सौरमण्डल के समस्त ऊर्जा का स्रोत भी सूर्य ही है।

सौरपरिवार की सारणी
ग्रहों के नाम व्यास (किमी0) परिभ्रमण समय अपने अक्ष पर परिक्रमण समय सूर्य के चारों ओर उपग्रहों की संख्या
बुध 4,878 58.6 दिन 88 दिन 0
शुक्र 12,102 243 दिन 224.7 दिन 0
पृथ्वी 12,756-12,714 23.9 घंटे 365.26 दिन 1
मंगल 6,787 24.6 घंटे 687 दिन 2
बृहस्पति 1,42,800 9.9 घंटे 11.9 वर्ष 28
शनि 1,20,500 10.3 घंटे 29.5 वर्ष 30
यूरेनस (वरुण) 51,400 16.2 घंटे 84.0 वर्ष 21
नेप्च्यून (अरुण) 48,600 18.5 घंटे 164.8 घंटे 8

सूर्य (Sun)

  1. REDIRECTसाँचा:मुख्य

सूर्य सौरमण्डल का प्रधान है। सूर्य का व्यास 13 लाख 92 हज़ार किमी0 है, जो पृथ्वी के व्यास का लगभग 110 गुना है। सूर्य पृथ्वी से 13 लाख गुना बड़ा है, और पृथ्वी को सूर्यताप का 2 अरब वाँ भाग मिलता है।

सौरमण्डल के पिण्ड

अंतर्राष्ट्रीय खगोलशास्त्रीय संघ (International Astronomical Union—IAU) की प्राग सम्मेलन—2006 के अनुसार सौरमण्डल में मौज़ूद पिण्डों को तीन श्रेणियों में बाँटा गया है—

  1. परम्परागत ग्रह— बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, बृहस्पति, शनि, अरुण एवं वरुण।
  2. बौने ग्रह— प्लूटो, चेरॉन, सेरस, 2003 यूबी 313।
  3. लघु सौरमण्डलीय पिण्ड— धूमकेतु, उपग्रह एवं अन्य छोटे खगोलिय पिण्ड।

ग्रह

  1. REDIRECTसाँचा:मुख्य

ग्रह वे खगोलिय पिण्ड हैं, जो कि निम्न शर्तों को पूरा करते हैं—(1) जो सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करता हो, (2) उसमें पर्याप्त गुरुत्वाकर्षण बल हो, जिससे वह गोल स्वरूप ग्रहण कर सके, (3) उसके आसपास का क्षेत्र साफ़ हो यानि उसके आसपास अन्य खगोलिए पिण्डों की भीड़–भार न हो।

बुध (Mercury)

  1. REDIRECTसाँचा:मुख्य
  • यह सूर्य का सबसे नजदीकी ग्रह है।

शुक्र (Venus)

  1. REDIRECTसाँचा:मुख्य

यह पृथ्वी का निकटतम ग्रह है।

बृहस्पति (Jupiter)

  1. REDIRECTसाँचा:मुख्य

यह सौरमण्डल का सबसे बड़ा ग्रह है।

मंगल (Mars)

  1. REDIRECTसाँचा:मुख्य

इसे लाल ग्रह (Red Planet) कहा जाता है।

शनि (Saturn)

  1. REDIRECTसाँचा:मुख्य

यह आकार में दूसरा सबसे बड़ा ग्रह है।

अरुण (Uranus)

  1. REDIRECTसाँचा:मुख्य

यह आकार में तीसरा सबसे बड़ा ग्रह है।

वरुण (Neptune)

  1. REDIRECTसाँचा:मुख्य

नई खगोलीय व्यवस्था में यह सूर्य से सबसे दूर स्थित ग्रह है।

पृथ्वी (Earth)

  1. REDIRECTसाँचा:मुख्य

यह आकार में पाँचवाँ सबसे बड़ा ग्रह है।

चन्द्रमा (Moon)

  1. REDIRECTसाँचा:मुख्य

चन्द्रमा को जीवाश्म ग्रह भी कहा जाता है।

बौने ग्रह

यम (Pluto)

  • इसकी खोज 1930 में क्लाड टामवों ने की थी।
  • अगस्त 2006 की आई0ए0यू0 की प्राग सम्मेलन में ग्रह कहलाने के मापदंड पर खरे नहीं उतरने के कारण यम को ग्रह की श्रेणी से अलग कर बौने ग्रह की श्रेणी में रखा गया है।
  • यम को ग्रह की श्रेणी से निकाले जाने के कारण हैं—(1) आकार में चन्द्रमा से छोटा होना, (2) इसकी कक्षा का वृत्ताकार नहीं होना, (3) वरुण की कक्षा को काटना।
  • आईएयू ने इसका नया नाम 134340 रखा है।

सेरस (Ceres)

  • इसकी खोज इटली के खगोलशास्त्री पियाजी ने किया था।
  • आई0ए0यू की नई परिभाषा के अनुसार इसे बौने ग्रह की श्रेणी में रखा गया है, जहाँ पर इसे संख्या 1 से जाना जाएगा।
  • इसका व्यास बुध के व्यास का 1/5 भाग है।
  • अन्य बौने ग्रह हैं, चेरॉन एवं 2003 UB 313 (इरिस)।

लघु सौरमण्डलीय पिण्ड

  • क्षुद्र ग्रह (Asteroids)—मंगल एवं बृहस्पति ग्रह की कक्षाओं के बीच कुछ छोटे–छोटे आकाशीय पिण्ड हैं, जो सूर्य की परिक्रमा कर रहे हैं, उसे क्षुद्र ग्रह कहते हैं। खगोलशास्त्रियों के अनुसार ग्रहों के विस्फोट के फलस्वरूप टूटे टुकड़ों से क्षुद्र ग्रह का निर्माण हुआ है।
  • क्षुद्र ग्रह जब पृथ्वी से टकराता है तो पृथ्वी के पृष्ठ पर विशाल गर्त बनता है। महाराष्ट्र में लोनार झील एक ऐसा ही गर्त है।
  • फोर वेस्टा एकमात्र क्षुद्र ग्रह है, जिसे नंगी आँखों से भी देखा जा सकता है।

धूमकेतु (Comet)

  • सौरमण्डल के छोर पर बहुत ही छोटे–छोटे अरबों पिण्ड विद्यमान हैं, जो धूमकेतु या पुच्छल तारा कहलाते हैं।
  • यह गैस एवं धूल का संग्रह हैं, जो आकाश में लम्बी चमकदार पूँछ सहित प्रकाश के चमकीले गोले के रूप में दिखाई देते हैं।
  • धूमकेतु केवल तभी दिखाई पड़ता है, जब वह सूर्य की ओर अग्रसर होता है, क्योंकि सूर्य कि किरणें इसकी गैस को चमकीला बना देती हैं।
  • धूमकेतु की पूँछ हमेशा सूर्य से दूर होती प्रतीत होती है।
  • हैले नामक धूमकेतु का परिक्रमण काल 76 वर्ष है, यह अन्तिम बार 1986 में दिखाई दिया था। अगली बार यह 1986+76=2062 में दिखाई देगा।
  • धूमकेतु हमेशा के लिए टिकाऊ नहीं होते हैं, फिर भी प्रत्येक धूमकेतु के लौटने का समय निश्चित होता है।

उल्का (Meteros)

  • उल्काएँ प्रकाश की चमकीली धारी के रूप में दिखती हैं, जो आकशगंगा में क्षणभर के लिए चमकती हैं और लुप्त हो जाती हैं।
  • उल्काएँ क्षुद्र ग्रहों के टुकड़े तथा धूमकेतुओं के द्वारा पीछे छोड़े गए धुल के कण होते हैं।