Template:साप्ताहिक सम्पादकीय: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
Line 3: Line 3:
| style="background:transparent;"|
| style="background:transparent;"|
{| style="background:transparent; width:100%"
{| style="background:transparent; width:100%"
|+style="text-align:left; padding-left:10px; font-size:18px"|<font color="#003366">[[भारतकोश सम्पादकीय 1 मार्च 2014|भारतकोश सम्पादकीय <small>-आदित्य चौधरी</small>]]</font>
|+style="text-align:left; padding-left:10px; font-size:18px"|<font color="#003366">[[भारतकोश सम्पादकीय 27 मई 2014|भारतकोश सम्पादकीय <small>-आदित्य चौधरी</small>]]</font>
|-
|-
{{मुखपृष्ठ-{{CURRENTHOUR}}}}
{{मुखपृष्ठ-{{CURRENTHOUR}}}}
Line 9: Line 9:
|- valign="top"
|- valign="top"
|  
|  
<center>[[भारतकोश सम्पादकीय 1 मार्च 2014|असंसदीय संसद]]</center>
<center>[[भारतकोश सम्पादकीय 27 मई 2014|जनतंत्र की जाति]]</center>
[[चित्र:Asansdeey-sansad-1.jpg|right|120px|border|link=भारतकोश सम्पादकीय 1 मार्च 2014]]
[[चित्र:Jantantra-ki-jaati.JPG|right|120px|border|link=भारतकोश सम्पादकीय 27 मई 2014]]
<poem>
<poem>
        "चुल्लू भर पानी में डूब मरो... ये असंसदीय है... सदन में आप असंसदीय शब्दों और वाक्यों का प्रयोग नहीं कर पाएँगे तो आपको वहाँ बोलना है कि 'कटोरी भर पानी में डुबकी ले कर प्राण त्याग दो' इस तरह आपने अपनी बात भी कह दी और आप असंसदीय भाषा बोलने से भी बच गए। असंसदीय शब्दों में अनेक मुहावरे आते हैं, जैसे 'भैंस के आगे बीन बजाना' आप चाहें तो कह सकते हैं कि 'भैंसे की पत्नी के आगे संगीत कार्यक्रम करना'।" [[भारतकोश सम्पादकीय 1 मार्च 2014|...पूरा पढ़ें]]
          खेल भावना से राजनीति करना एक स्वस्थ मस्तिष्क के विवेक पूर्ण होने की पहचान है लेकिन राजनीति को खेल समझना मस्तिष्क की अपरिपक्वता और विवेक हीनता का द्योतक है। राजनीति को खेल समझने वाला नेता मतदाता को खिलौना और लोकतंत्र को जुआ खेलने की मेज़ समझता है। [[भारतकोश सम्पादकीय 27 मई 2014|...पूरा पढ़ें]]
</poem>
</poem>
<center>
<center>
Line 18: Line 18:
|-
|-
| [[भारतकोश सम्पादकीय -आदित्य चौधरी|पिछले सभी लेख]] →
| [[भारतकोश सम्पादकीय -आदित्य चौधरी|पिछले सभी लेख]] →
| [[भारतकोश सम्पादकीय 1 मार्च 2014|असंसदीय संसद]] ·
| [[भारतकोश सम्पादकीय 28 जनवरी 2014|किसी देश का गणतंत्र दिवस]] ·
| [[भारतकोश सम्पादकीय 28 जनवरी 2014|किसी देश का गणतंत्र दिवस]] ·
| [[भारतकोश सम्पादकीय 22 दिसम्बर 2013|ताऊ का इलाज]] ·
| [[भारतकोश सम्पादकीय 22 दिसम्बर 2013|ताऊ का इलाज]]  
| [[भारतकोश सम्पादकीय 8 नवम्बर 2013|कभी ख़ुशी कभी ग़म]]  
|}</center>
|}</center>
|}  
|}  
|}<noinclude>[[Category:मुखपृष्ठ के साँचे]]</noinclude>
|}<noinclude>[[Category:मुखपृष्ठ के साँचे]]</noinclude>

Revision as of 13:31, 27 May 2014

भारतकोश सम्पादकीय -आदित्य चौधरी
जनतंत्र की जाति

right|120px|border|link=भारतकोश सम्पादकीय 27 मई 2014

          खेल भावना से राजनीति करना एक स्वस्थ मस्तिष्क के विवेक पूर्ण होने की पहचान है लेकिन राजनीति को खेल समझना मस्तिष्क की अपरिपक्वता और विवेक हीनता का द्योतक है। राजनीति को खेल समझने वाला नेता मतदाता को खिलौना और लोकतंत्र को जुआ खेलने की मेज़ समझता है। ...पूरा पढ़ें

पिछले सभी लेख असंसदीय संसद · किसी देश का गणतंत्र दिवस · ताऊ का इलाज