श्रीदत्त: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
m (Text replace - "Category:कोश" to "Category:दर्शन कोश") |
No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
'''श्रीदत्त / Shridatt''' | |||
*ये छठीं शताब्दी के वादिविजेता प्रभावशाली तार्किक हैं। | *ये छठीं शताब्दी के वादिविजेता प्रभावशाली तार्किक हैं। | ||
*आचार्य विद्यानन्द ने त वार्थश्लोकवातिक<balloon title="पृ0 280" style=color:blue>*</balloon> में इन्हें 'त्रिषष्टेर्वादिनां जेता श्रीदत्तो जल्पनिर्णये'- तिरेसठ वादियों का विजेता और 'जल्पनिर्णय' ग्रन्थ का कर्ता बतलाया है। | *आचार्य विद्यानन्द ने त वार्थश्लोकवातिक<balloon title="पृ0 280" style=color:blue>*</balloon> में इन्हें 'त्रिषष्टेर्वादिनां जेता श्रीदत्तो जल्पनिर्णये'- तिरेसठ वादियों का विजेता और 'जल्पनिर्णय' ग्रन्थ का कर्ता बतलाया है। |
Revision as of 08:31, 22 April 2010
श्रीदत्त / Shridatt
- ये छठीं शताब्दी के वादिविजेता प्रभावशाली तार्किक हैं।
- आचार्य विद्यानन्द ने त वार्थश्लोकवातिक<balloon title="पृ0 280" style=color:blue>*</balloon> में इन्हें 'त्रिषष्टेर्वादिनां जेता श्रीदत्तो जल्पनिर्णये'- तिरेसठ वादियों का विजेता और 'जल्पनिर्णय' ग्रन्थ का कर्ता बतलाया है।
- 'जल्पनिर्णय' एक वाद ग्रन्थ रहा है, जिसमें दो प्रकार के जल्पों (वादों) का विवेचन किया गया है। परन्तु यह ग्रन्थ आज उपलब्ध नहीं है।
- विद्यानन्द को सम्भवत: प्राप्त था और जिसके आधार से उन्होंने दो प्रकार के वादों (तात्त्विक एवं प्राप्तिय) का प्रतिपादन किया है।