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|+style="text-align:left; padding-left:10px; font-size:18px"|<font color="#003366">[[भारतकोश सम्पादकीय 17 मार्च 2016|भारतकोश सम्पादकीय <small>-आदित्य चौधरी</small>]]</font>
|+style="text-align:left; padding-left:10px; font-size:18px"|<font color="#003366">[[भारतकोश सम्पादकीय 4 जून 2016|भारतकोश सम्पादकीय <small>-आदित्य चौधरी</small>]]</font>
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<center>[[भारतकोश सम्पादकीय 17 मार्च 2016|हिन्दी के ई-संसार का संचार]]</center>
<center>[[भारतकोश सम्पादकीय 4 जून 2016|शहीद मुकुल द्विवेदी के नाम पत्र]]</center>
[[चित्र:Vishwa-Hindi-Patrika-2015.jpg|right|100px|border|link=भारतकोश सम्पादकीय 17 मार्च 2016]]
[[चित्र:Mukul-Dvawedi.jpg|right|100px|border|link=भारतकोश सम्पादकीय 4 जून 2016]]
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         इंटरनेट आज के समाज का पाँचवा स्तम्भ है। गुज़रे ज़माने में समाज पर असर डालने वाले माध्यमों में समाचार पत्रों, पुस्तकों और फ़िल्मों को ज़िम्मेदार समझा जाता रहा है लेकिन आज के समाज को प्रभावित करने में इंटरनेट की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण हो गई है। मोबाइल ‘नेटवर्क’ के लिए गली-मुहल्ले-देहात की भाषा में ‘नटवर’ शब्द लोकप्रिय है। हमारे घर में खाना बनाने वाली के पास दो स्मार्टफ़ोन हैं लेकिन उसका स्मार्टफ़ोन उसके नौकरी में उसका सहायक नहीं है। जिसका कारण है कि स्मार्टफ़ोन को मनोरंजन को वरीयता देकर बनाया गया है। होना यह चाहिए कि कंप्यूटर और स्मार्टफ़ोन प्रयोक्ता की ज़रूरत के हिसाब से बनाया जाए जिसमें कि वरीयता उसकी नौकरी या कामकाज हो… [[भारतकोश सम्पादकीय 17 मार्च 2016|पूरा पढ़ें]]
         हमारे देश में किसी भी सेना या बल के जवान की जान की क़ीमत कितनी कम है इसका अंदाज़ा तुमको बख़ूबी होगा। हमारे जवान, सन् 62 की चीन की लड़ाई में बिना रसद और हथियारों के लड़ते रहे, कुछ वर्ष पहले मिग-21 जैसे कबाड़ा विमानों में एयरफ़ोर्स के पायलट बेमौत मरते रहे, पड़ोसी देश के दरिंदे हमारे सिपाहियों के सर काटकर ले जाते रहे, कश्मीर के साथ न्याय करने के बहाने भयानक अन्याय को सहते रहे, घटिया स्तर के नेताओं की जान बचाने के लिए अपनी जानें क़ुर्बान करते रहे, इन जवानों की शहादत इस बात का सबसे बड़ा प्रमाण था कि हमारी सरकारें देश के नौनिहालों को लेकर किस क़दर लापरवाह है। [[भारतकोश सम्पादकीय 4 जून 2016|पूरा पढ़ें]]
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| [[भारतकोश सम्पादकीय -आदित्य चौधरी|पिछले सभी लेख]] →
| [[भारतकोश सम्पादकीय -आदित्य चौधरी|पिछले सभी लेख]] →
| [[भारतकोश सम्पादकीय 5 अक्टूबर 2015|ये तेरा घर ये मेरा घर]]  ·
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| [[भारतकोश सम्पादकीय 8 जुलाई 2015|अभिभावक]]   
| [[भारतकोश सम्पादकीय 5 अक्टूबर 2015|ये तेरा घर ये मेरा घर]]   
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Revision as of 15:25, 4 June 2016

भारतकोश सम्पादकीय -आदित्य चौधरी
शहीद मुकुल द्विवेदी के नाम पत्र

right|100px|border|link=भारतकोश सम्पादकीय 4 जून 2016

        हमारे देश में किसी भी सेना या बल के जवान की जान की क़ीमत कितनी कम है इसका अंदाज़ा तुमको बख़ूबी होगा। हमारे जवान, सन् 62 की चीन की लड़ाई में बिना रसद और हथियारों के लड़ते रहे, कुछ वर्ष पहले मिग-21 जैसे कबाड़ा विमानों में एयरफ़ोर्स के पायलट बेमौत मरते रहे, पड़ोसी देश के दरिंदे हमारे सिपाहियों के सर काटकर ले जाते रहे, कश्मीर के साथ न्याय करने के बहाने भयानक अन्याय को सहते रहे, घटिया स्तर के नेताओं की जान बचाने के लिए अपनी जानें क़ुर्बान करते रहे, इन जवानों की शहादत इस बात का सबसे बड़ा प्रमाण था कि हमारी सरकारें देश के नौनिहालों को लेकर किस क़दर लापरवाह है। पूरा पढ़ें

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