पहेली 7 सितम्बर 2016: Difference between revisions

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||[[चित्र:Chetanya-Mahaprabhu.jpg|right|border|100px|चैतन्य महाप्रभु]]'चैतन्य महाप्रभु' [[भक्ति काल]] के प्रमुख संतों में से एक थे। उन्होंने [[वैष्णव|वैष्णवों]] के '[[गौड़ीय संप्रदाय |गौड़ीय संप्रदाय]]' की आधारशिला रखी। [[चैतन्य महाप्रभु]] ने भजन गायकी की एक नयी [[शैली]] 'नाम संकीर्तन' को जन्म दिया तथा राजनीतिक अस्थिरता के दिनों में [[हिन्दू]]-[[मुस्लिम]] एकता की सद्भावना पर बल दिया, जाति-पांत, ऊँच-नीच की भावना को दूर करने की शिक्षा दी तथा विलुप्त [[वृन्दावन]] को फिर से बसाया। अपने जीवन का अंतिम भाग चैतन्य महाप्रभु ने वहीं व्यतीत किया। महाप्रभु चैतन्य के विषय में [[वृन्दावनदास ठाकुर|वृन्दावनदास]] द्वारा रचित '[[चैतन्य भागवत]]' नामक ग्रन्थ में अच्छी सामग्री उपलब्ध होती है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[चैतन्य महाप्रभु]]
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Latest revision as of 11:21, 2 September 2016

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भारत के किस प्रसिद्ध संत ने नाम संकीर्तन की रसधारा प्रवाहित की थी?

कुंभनदास
रामकृष्ण परमहंस
चैतन्य महाप्रभु
स्वामी हरिदास



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