अनुमान: Difference between revisions
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* विभिन्न दार्शनिक मतों द्वारा अलग-अलग साधन निश्चित किए गए हैं; उदाहरण के लिए [[बौद्ध|बौद्धों]] और आरंभिक वैशेषिकों द्वारा दो (अवबोधन और अनुमान); योग और [[जैन]] मतावलंबियों द्वारा तीन (अवबोधन, अनुमान, और प्रमाण) अनुमान तर्क (न्याय) की [[हिन्दू]] विचारधारा के केंद्र में स्थित है। | * विभिन्न दार्शनिक मतों द्वारा अलग-अलग साधन निश्चित किए गए हैं; उदाहरण के लिए [[बौद्ध|बौद्धों]] और आरंभिक वैशेषिकों द्वारा दो (अवबोधन और अनुमान); योग और [[जैन]] मतावलंबियों द्वारा तीन (अवबोधन, अनुमान, और प्रमाण) अनुमान तर्क (न्याय) की [[हिन्दू]] विचारधारा के केंद्र में स्थित है। | ||
* इस विचारधारा ने एक अनुमान-वाक्य-कथन तर्क संरचना बनाई, जो सूत्र के बजाय तर्क के स्वरूप में है और यह पाँच चरणों से होकर गुजरती है: | * इस विचारधारा ने एक अनुमान-वाक्य-कथन तर्क संरचना बनाई, जो सूत्र के बजाय तर्क के स्वरूप में है और यह पाँच चरणों से होकर गुजरती है: |
Revision as of 07:50, 7 November 2017
अनुमान (संस्कृत शब्द, अर्थात् किसी अन्य वस्तु की तुलना में मापना अंदाजा लगाना या अनुमान का उपकरण), भारतीय दर्शन में ज्ञान (प्रमाण) हासिल करने के साधनों में दूसरा, जो मनुष्य को प्रामाणिक मान्य परिज्ञान प्राप्त करने में समर्थ बनाता है।
- विभिन्न दार्शनिक मतों द्वारा अलग-अलग साधन निश्चित किए गए हैं; उदाहरण के लिए बौद्धों और आरंभिक वैशेषिकों द्वारा दो (अवबोधन और अनुमान); योग और जैन मतावलंबियों द्वारा तीन (अवबोधन, अनुमान, और प्रमाण) अनुमान तर्क (न्याय) की हिन्दू विचारधारा के केंद्र में स्थित है।
- इस विचारधारा ने एक अनुमान-वाक्य-कथन तर्क संरचना बनाई, जो सूत्र के बजाय तर्क के स्वरूप में है और यह पाँच चरणों से होकर गुजरती है:
- प्रतिज्ञप्ति (प्रतिज्ञा, शब्दार्थ शपथ)
- आधार (हेतु)
- दृष्टांत (उदाहरण)
- प्रयोग (उपनय)
- निष्कर्ष (निगमन)
- अनुमान-वाक्य-कथन तर्क एक भ्रांतिपूर्ण आधार द्वारा निष्प्रभावी हो जाता है; इसे हेत्वाभास (एक आधार की प्रतीति मात्र जो वास्तविक प्रतिवाद्य आधार से भिन्न है) कहते हैं। अप्रामाणिक आधारों के कई प्रकार बताए गए हैं: सामान्य दोष, विरोधाभास, पुनरुक्ति, साक्ष्य का अभाव और असामयिकता।
टीका टिप्पणी और संदर्भ