प्रयोग:दीपिका3: Difference between revisions
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<quiz display=simple> | <quiz display=simple> | ||
{'फॉसीवाद' | {'फॉसीवाद' ने राज्य को माना है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-43,प्रश्न-18 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-एक आवश्यक बुराई | -एक आवश्यक बुराई | ||
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+ए.वी. डायसी को | +ए.वी. डायसी को | ||
-हेरोल्ड लास्की को | -हेरोल्ड लास्की को | ||
||[[भारतीय संविधान]] का | ||[[भारतीय संविधान]] का अनुक्षेद14 उपबंधित करता है कि "[[भारत]] राज्य-क्षेत्र में किसी व्यक्ति को विधि के समक्ष समता से या विधियों के समान संरक्षण से राज्य द्वारा वंचित नहीं किया जाएगा"। 'विधि के समक्ष समता' वाक्यांश ब्रिटिश संविधान से लिया गया है जिसे प्रोफेसर ए.वी. डायसी 'विधि शासन' (Rule of law) कहते हैं। | ||
{[[संविधान]] की अवधारणा सर्वप्रथम कहाँ उत्पन्न हुई? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-192,प्रश्न-1 | {[[संविधान]] की अवधारणा सर्वप्रथम कहाँ उत्पन्न हुई? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-192,प्रश्न-1 | ||
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||[[संविधान]] की अवधारणा सर्वप्रथम [[ब्रिटेन]] में उत्पन्न हुई। ब्रिटेन में आज भी [[संविधान]] का निर्माण लिखित रूप में नहीं किया गया है। ब्रिटेन का संविधान परंपराओं व रीति-रिवाजों की सम्मिलन से बना है। | ||[[संविधान]] की अवधारणा सर्वप्रथम [[ब्रिटेन]] में उत्पन्न हुई। ब्रिटेन में आज भी [[संविधान]] का निर्माण लिखित रूप में नहीं किया गया है। ब्रिटेन का संविधान परंपराओं व रीति-रिवाजों की सम्मिलन से बना है। | ||
{'ब्रिटिश सम्राट कोई | {'ब्रिटिश सम्राट कोई ग़लती नहीं करता' क्योंकि- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-200,प्रश्न-48 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-वह सैद्धांतिक रूप से सर्वज्ञाता है | -वह सैद्धांतिक रूप से सर्वज्ञाता है | ||
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-वह सदैव पुराने निर्णयों के आधार पर ही कार्य करता है | -वह सदैव पुराने निर्णयों के आधार पर ही कार्य करता है | ||
+वह सदैव कैबिनेट की सलाह पर ही काम करता है | +वह सदैव कैबिनेट की सलाह पर ही काम करता है | ||
||'ब्रिटिश सम्राट कोई गलती नहीं करता' क्योंकि वह सदैव कैबिनेट की सलाह पर ही काम करता है। वस्तुत: ब्रिटिश शासन प्रणाली में ब्रिटिश सम्राट की भूमिका 'शानदार या भव्य शून्य' की भांति है जिसके नाम से संपूर्ण शासन प्रणाली का संचालन | ||'ब्रिटिश सम्राट कोई गलती नहीं करता' क्योंकि वह सदैव कैबिनेट की सलाह पर ही काम करता है। वस्तुत: ब्रिटिश शासन प्रणाली में ब्रिटिश सम्राट की भूमिका 'शानदार या भव्य शून्य' की भांति है जिसके नाम से संपूर्ण शासन प्रणाली का संचालन सिद्धांत होता है किन्तु व्यवहार में ब्रिटिश सम्राट अपने मंत्रियों द्वारा निर्मित नीतियों को अनुमति प्रदान करने के अतिरिक्त कुछ नहीं करता। | ||
{फ्रांसीसी व्यवस्था- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-194,प्रश्न-12 | {फ्रांसीसी व्यवस्था- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-194,प्रश्न-12 | ||
Line 42: | Line 42: | ||
-शुद्ध अध्यक्षात्मक और प्रत्यक्ष जनतंत्रात्मक है | -शुद्ध अध्यक्षात्मक और प्रत्यक्ष जनतंत्रात्मक है | ||
-शुद्ध अध्यक्षात्मक और प्रभावी संघात्मक है | -शुद्ध अध्यक्षात्मक और प्रभावी संघात्मक है | ||
+ | +शुद्ध अध्यक्षात्मक नहीं है और शुद्ध संसदीय भी नहीं है | ||
-उपर्युक्त में से कोई नहीं | -उपर्युक्त में से कोई नहीं | ||
Line 83: | Line 83: | ||
-समाजवाद का पोषक है | -समाजवाद का पोषक है | ||
-अंतर्राष्ट्रीय शांति का अग्रदूत है | -अंतर्राष्ट्रीय शांति का अग्रदूत है | ||
||फॉसीवाद प्रजातंत्र का विरोधी है। फॉसीवाद का मानना है | ||फॉसीवाद प्रजातंत्र का विरोधी है। फॉसीवाद का मानना है कि फ्रांसीसी क्रांति के बाद लोकतंत्रवाद आया और वास्तविक रूप से जनता के शासन की स्थापना न कर सका। लोकतंत्र में सत्ता कुछ चतुर और स्वार्थी लोगों के हाथों में केन्द्रित हो गई। इसलिए फॉसीवाद लोकतंत्र को भ्रष्ट, काल्पनिक तथा अव्यावहारिक शासन व्यवस्था मानता है। फॉसीवाद प्रजातंत्र की तुलना शव से करता है। ये संसद को 'बातों की दुकाने' तथा बहुमत के शासन को उलूकों की व्यवस्था कहकर उपहास उड़ाते हैं। मुसोलिनी प्रजातंत्र की व्याख्या कहकर उपहास उड़ाते हैं। मुसोलिनी प्रजातंत्र की व्याख्या इस प्रकार करते हैं" यह समय-समय पर लोगों को जनता की संप्रभुता का झूठा आभास देती रहती है जबकि वास्तविक तथा प्रभावशाली संप्रभुता अदृश्य, गुप्त तथा अनुत्तरदायी हाथों में रहती है।" | ||
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Revision as of 11:52, 26 December 2017
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