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| {[[मुगल कालीन चित्रकला|मुगल चित्रकला]] में हिंदू विषयों का पोषक कौन था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-69,प्रश्न-88
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| -[[बाबर]]
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| +[[अकबर]]
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| -[[जहांगीर]]
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| -[[शाहजहां]]
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| ||[[अकबर]] के समय में फारसी ग्रंथों के साथ-साथ हिंदू विषयों से संबंधित ग्रंथों का चित्रण किया गया। इनमें [[रज़्मनामा|रज्मनामा]] ([[महाभारत]]), [[रामायण]], [[पंचतंत्र]] आदि के अनुवाद किए गए व उन्हें चित्रित किया गया।
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| {[[शांतिनिकेतन]] में कला भवन की स्थापना किस वर्ष में हुई? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-85,प्रश्न-62
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| |type="()"}
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| -1901
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| +1919
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| -1922
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| -1948
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| ||अमर कवि [[रबींद्रनाथ टैगोर]] ने वर्ष 1919 में [[शांतिनिकेतन]] के प्रागंण में विश्वभारती के कला भवन की स्थापना की। शांतिनिकेतन के कला भवन में ही [[चित्रकला]] की बंगाल शैली का विकास हुआ।
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| {[[अजंता]] के चित्रकारों ने [[पीला रंग]] बनाया था- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-30,प्रश्न-9
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| |type="()"}
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| -वनस्पति से
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| -खनिज पदार्थों से
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| +संखिया से
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| -इन सभी को मिलाकर
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| ||[[अजंता]] के चित्रकारों ने [[पीला रंग]] संभवत: संखिया के भस्म से बनाया था।
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| {निम्न में कौन सिर्फ चित्रकार है, मूर्तिकार नहीं- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-94,प्रश्न-6
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| |type="()"}
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| -जेराम पटेल
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| -[[रामकिंकर बैज|राम किंकर]]
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| +[[एन.एस. बेंद्रे]]
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| -[[देवी प्रसाद रायचौधरी]]
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| ||[[एन.एस. बेंद्रे]] सिर्फ [[चित्रकार]] थे, वे मूर्तिकार नहीं थे जबकि जेराम पटेल, [[रामकिंकर बैज|राम किंकर बैज]] और [[देवी प्रसाद रायचौधरी]] चित्रकार के साथ-साथ [[मूर्तिकार]] भी थे?
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| {'[[रस]]' का प्रमुख श्रोत है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-156,प्रश्न-18
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| |type="()"}
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| +नाट्य
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| -विचार
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| -सौन्दर्य
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| -आनंद
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| ||पठन, श्रवण अथवा दृश्य के दर्शन के कारण जो अलौकिक आनंद प्राप्त होता है अर्थात दर्शक के मन में जो आनंद की अनुभूति उत्पन्न होती है। वह '[[रस]]' कहलाता है। अत: नाट्य रस का प्रमुख श्रोत है।
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| {[[चित्रकला]] का कौन-सा स्कूल [[राजस्थान]] का है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-54,प्रश्न-9
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| |type="()"}
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| -कुलू
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| -[[मालवा]]
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| +[[बूंदी]]
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| -[[मंडी ज़िला|मंडी]]
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| ||[[बूंदी चित्रकला]] का संबंध राजस्थान चित्रकला शैली से है। इसके अतिरिक्त [[मेवाड़ की चित्रकला|मेवाड़ शैली]], किशनगढ़ शैली, जयपुर शैली, [[बीकानेर की चित्रकला|बीकानेर शैली]] आदि का संबंध भी राजस्थानी चित्रकला शैली से है। शृंगार विषयक चित्रों की रचना बूंदी चित्रकला शैली की प्रमुख विशेषताओं में से एक है।
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