ज्योतिरादित्य सिंधिया: Difference between revisions
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ज्योतिरादित्य सिंधिया वाणिज्य और उद्योग राज्यमंत्री हैं। (जन्म- [[1 जनवरी]], [[1971]] , [[मुंबई]])। ज्योतिरादित्य सिंधिया का परिवार भारतीय राजनीति के सबसे पुराने परिवारों में से एक हैं। | ज्योतिरादित्य सिंधिया वाणिज्य और उद्योग राज्यमंत्री हैं। (जन्म- [[1 जनवरी]], [[1971]] , [[मुंबई]])। ज्योतिरादित्य सिंधिया का परिवार भारतीय राजनीति के सबसे पुराने परिवारों में से एक हैं। | ||
==जीवन परिचय== | ==जीवन परिचय== | ||
ग्वालियर राजघराने के स्वर्गीय माधवराव सिंधिया के बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया का जन्म 1 जनवरी, 1971 को मुंबई में हुआ था। ज्योतिरादित्य की माता का नाम माधवी राजे सिंधिया है। | ग्वालियर राजघराने के स्वर्गीय माधवराव सिंधिया के बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया का जन्म 1 जनवरी, 1971 को मुंबई में हुआ था। ज्योतिरादित्य की माता का नाम माधवी राजे सिंधिया है। ज्योतिरादित्य सिंधिया की पत्नी प्रियदर्शिनी हैं और ज्योतिरादित्य के दो बच्चे हैं आर्यमन और अनन्या हैं।<ref name="बी बी सी हिन्दी डॉट कॉम">{{cite web |url=http://www.bbc.co.uk/hindi/regionalnews/story/2007/08/070526_jyotiraditya_ekmulakat.shtml |title=एक मुलाकात ज्योतिरादित्य सिंधिया |accessmonthday=[[3 अक्तूबर]] |accessyear=[[2010]] |last= |first= |authorlink= |format=एच टी एम एल |publisher=बी बी सी हिन्दी डॉट कॉम |language=हिन्दी }}</ref> | ||
ज्योतिरादित्य सिंधिया की पत्नी प्रियदर्शिनी हैं और ज्योतिरादित्य के दो बच्चे हैं आर्यमन और | |||
==शिक्षा== | ==शिक्षा== | ||
ज्योतिरादित्य पहले बॉंम्बे के कैंपियन स्कूल में पढ़ते थे। फिर वह पढ़ने के लिए की दून स्कूल चले गए। स्कूल के बाद विश्वविद्यालय गए। पिता जी चाहते थे कि मैं इंग्लैंड जाऊँ लेकिन मैं अमरीका जाना चाहता | ज्योतिरादित्य पहले बॉंम्बे के कैंपियन स्कूल में पढ़ते थे। फिर वह पढ़ने के लिए की दून स्कूल चले गए। स्कूल के बाद विश्वविद्यालय गए। पिता जी चाहते थे कि मैं इंग्लैंड जाऊँ लेकिन मैं अमरीका जाना चाहता था। मैंने हार्वर्ड से स्नातक किया। उसके बाद नौकरी की और फिर स्टैनफ़ोर्ड से बिजनेस की पढ़ाई की। | ||
अमरीका में साढ़े सात साल | अमरीका में साढ़े सात साल रहा। मेरे पिता जी ने मुझसे कहा था कि तुम अपनी ज़िंदगी में कुछ भी करो लेकिन ग्वालियर क्षेत्र के लिए तुम्हें कुछ योगदान करना होगा। चाहे तुम व्यवसाय करो, राजनीति करो या समाज सेवा ये तुम्हें तय करना है।<ref name="बी बी सी हिन्दी डॉट कॉम" /> | ||
==शौक़== | ==शौक़== | ||
गाड़ियों का बहुत शौक था और रेसिंग का | गाड़ियों का बहुत शौक था और रेसिंग का भी। किताबें पढ़ने का शौक है। क्रिकेट, तैराकी और बैडमिंटन खेलता हूँ। अगर अधिक समय मिलता है तो स्नूकर और बिलियर्ड्स भी खेलता हूँ। सामान्य तौर पर ऐतिहासिक और राजनीतिक विषयों की किताबें पसंद है। | ||
==रजनीति सफ़र== | ==रजनीति सफ़र== | ||
ज्योतिरादित्य तेरह वर्ष की आयु से ही चुनाव प्रचार करते रहे हैं और उन्होंने अपने पिता के लिए भी प्रचार किया है। वे अपने पिता के चुनाव क्षेत्र गुना से लोकसभा के लिए 2002 में चुने गए थे। सिंधिया वर्ष 2001 से अध्यक्ष पद काबिज है। इससे पहले उनके पिता माधवराव सिंधिया इस पद की कमान संभाले रहे | ज्योतिरादित्य तेरह वर्ष की आयु से ही चुनाव प्रचार करते रहे हैं और उन्होंने अपने पिता के लिए भी प्रचार किया है। वे अपने पिता के चुनाव क्षेत्र गुना से लोकसभा के लिए 2002 में चुने गए थे। सिंधिया वर्ष 2001 से अध्यक्ष पद काबिज है। इससे पहले उनके पिता माधवराव सिंधिया इस पद की कमान संभाले रहे थे।<ref>{{cite web |url=http://www.teznews.com/home/news/1149 |title=ज्योतिरादित्य सिंधिया |accessmonthday=[[3 अक्तूबर]] |accessyear=[[2010]] |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=तेज न्यूज |language=हिन्दी }}</ref> | ||
मध्य प्रदेश की राजसी गुना सीट पर सबकी निगाहें हैं। वैसे तो सिंधिया महल के लिए गुना शिवपुरी सीट हमेशा वफादार रही है। ये सीट 12 बार राजपरिवार को जीता चुकी है चाहे वो कांग्रेस से लड़ें या फिर बीजेपी से। इसलिए सिंधिया परिवार को हमेशा ये डर रहता है कि ये सीट कहीं अपनी तासीर ना बदल दे। | मध्य प्रदेश की राजसी गुना सीट पर सबकी निगाहें हैं। वैसे तो सिंधिया महल के लिए गुना शिवपुरी सीट हमेशा वफादार रही है। ये सीट 12 बार राजपरिवार को जीता चुकी है चाहे वो कांग्रेस से लड़ें या फिर बीजेपी से। इसलिए सिंधिया परिवार को हमेशा ये डर रहता है कि ये सीट कहीं अपनी तासीर ना बदल दे। | ||
गुना लोकसभा में आठ विधानसभाएं हैं। इनमें सिर्फ एक सीट पिछौर पर कांग्रेस जीती है। बाकी सात पर शिवपुरी, कोलारस, बामोरी, गुना, अशोकनगर, चंदेरी और मुंगावली में बीजेपी का कब्जा है। | गुना लोकसभा में आठ विधानसभाएं हैं। इनमें सिर्फ एक सीट पिछौर पर कांग्रेस जीती है। बाकी सात पर शिवपुरी, कोलारस, बामोरी, गुना, अशोकनगर, चंदेरी और मुंगावली में बीजेपी का कब्जा है। | ||
विधानसभा चुनाव के लिहाज से देखा जाए तो अभी बीजेपी के पास तकरीबन सवा लाख वोट की लीड है। ऐसे में सिंधिया महाराज को चिंता होना लाजमी है। | विधानसभा चुनाव के लिहाज से देखा जाए तो अभी बीजेपी के पास तकरीबन सवा लाख वोट की लीड है। ऐसे में सिंधिया महाराज को चिंता होना लाजमी है। | ||
इस बार बीजेपी भी पूरे दमखम के साथ मैदान में उतरी है। ज्योतिरादित्य सिंधिया 2002 में इस सीट से सहानुभूति लहर रिकॉर्ड सवा चार लाख वोटों से जीते थे। लेकिन दो साल में ही ये फासला पांच गुना कम हो गया। | इस बार बीजेपी भी पूरे दमखम के साथ मैदान में उतरी है। ज्योतिरादित्य सिंधिया 2002 में इस सीट से सहानुभूति लहर रिकॉर्ड सवा चार लाख वोटों से जीते थे। लेकिन दो साल में ही ये फासला पांच गुना कम हो गया।<ref>{{cite web |url=http://khabar.ibnlive.in.com/news/11735/1 |title=ज्योतिरादित्य सिंधिया |accessmonthday=[[3 अक्तूबर]] |accessyear=[[2010]] |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=आई बी एन खबर |language=हिन्दी }}</ref> | ||
==भारत के बारे में दृष्टिकोण== | |||
हमारे देश में अपार क्षमता है। भारत में आर्थिक ताक़त के रूप में उभरने और आध्यात्मिक ताक़त के रूप में उभरने की अपार क्षमता है। स्वामी विवेकानंद ने भारत को एक आध्यात्मिक ताक़त बनाने का सपना देखा था। भारत में आर्थिक और आध्यात्मिक शक्ति के समन्वय के रूप में उभरने की अभूतपूर्व क्षमता है। यही एक महान देश के निर्माण की नींव बनना चाहिए। मुझे लगता है कि हमारे देश में ये सारी क्षमताएं मौजूद हैं। ज़रूरत है बस उसे उजागर करने की। इस देश को कोई और रोक नहीं पाएगा। अगर कोई रोकेगा तो हम ही रोक पाएँगे। हमें समाज के सभी अंगों के विकास के लिए मिल कर काम करना चाहिए।<ref name="बी बी सी हिन्दी डॉट कॉम" /> | |||
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ज्योतिरादित्य सिंधिया वाणिज्य और उद्योग राज्यमंत्री हैं। (जन्म- 1 जनवरी, 1971 , मुंबई)। ज्योतिरादित्य सिंधिया का परिवार भारतीय राजनीति के सबसे पुराने परिवारों में से एक हैं।
जीवन परिचय
ग्वालियर राजघराने के स्वर्गीय माधवराव सिंधिया के बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया का जन्म 1 जनवरी, 1971 को मुंबई में हुआ था। ज्योतिरादित्य की माता का नाम माधवी राजे सिंधिया है। ज्योतिरादित्य सिंधिया की पत्नी प्रियदर्शिनी हैं और ज्योतिरादित्य के दो बच्चे हैं आर्यमन और अनन्या हैं।[1]
शिक्षा
ज्योतिरादित्य पहले बॉंम्बे के कैंपियन स्कूल में पढ़ते थे। फिर वह पढ़ने के लिए की दून स्कूल चले गए। स्कूल के बाद विश्वविद्यालय गए। पिता जी चाहते थे कि मैं इंग्लैंड जाऊँ लेकिन मैं अमरीका जाना चाहता था। मैंने हार्वर्ड से स्नातक किया। उसके बाद नौकरी की और फिर स्टैनफ़ोर्ड से बिजनेस की पढ़ाई की। अमरीका में साढ़े सात साल रहा। मेरे पिता जी ने मुझसे कहा था कि तुम अपनी ज़िंदगी में कुछ भी करो लेकिन ग्वालियर क्षेत्र के लिए तुम्हें कुछ योगदान करना होगा। चाहे तुम व्यवसाय करो, राजनीति करो या समाज सेवा ये तुम्हें तय करना है।[1]
शौक़
गाड़ियों का बहुत शौक था और रेसिंग का भी। किताबें पढ़ने का शौक है। क्रिकेट, तैराकी और बैडमिंटन खेलता हूँ। अगर अधिक समय मिलता है तो स्नूकर और बिलियर्ड्स भी खेलता हूँ। सामान्य तौर पर ऐतिहासिक और राजनीतिक विषयों की किताबें पसंद है।
रजनीति सफ़र
ज्योतिरादित्य तेरह वर्ष की आयु से ही चुनाव प्रचार करते रहे हैं और उन्होंने अपने पिता के लिए भी प्रचार किया है। वे अपने पिता के चुनाव क्षेत्र गुना से लोकसभा के लिए 2002 में चुने गए थे। सिंधिया वर्ष 2001 से अध्यक्ष पद काबिज है। इससे पहले उनके पिता माधवराव सिंधिया इस पद की कमान संभाले रहे थे।[2]
मध्य प्रदेश की राजसी गुना सीट पर सबकी निगाहें हैं। वैसे तो सिंधिया महल के लिए गुना शिवपुरी सीट हमेशा वफादार रही है। ये सीट 12 बार राजपरिवार को जीता चुकी है चाहे वो कांग्रेस से लड़ें या फिर बीजेपी से। इसलिए सिंधिया परिवार को हमेशा ये डर रहता है कि ये सीट कहीं अपनी तासीर ना बदल दे। गुना लोकसभा में आठ विधानसभाएं हैं। इनमें सिर्फ एक सीट पिछौर पर कांग्रेस जीती है। बाकी सात पर शिवपुरी, कोलारस, बामोरी, गुना, अशोकनगर, चंदेरी और मुंगावली में बीजेपी का कब्जा है। विधानसभा चुनाव के लिहाज से देखा जाए तो अभी बीजेपी के पास तकरीबन सवा लाख वोट की लीड है। ऐसे में सिंधिया महाराज को चिंता होना लाजमी है। इस बार बीजेपी भी पूरे दमखम के साथ मैदान में उतरी है। ज्योतिरादित्य सिंधिया 2002 में इस सीट से सहानुभूति लहर रिकॉर्ड सवा चार लाख वोटों से जीते थे। लेकिन दो साल में ही ये फासला पांच गुना कम हो गया।[3]
भारत के बारे में दृष्टिकोण
हमारे देश में अपार क्षमता है। भारत में आर्थिक ताक़त के रूप में उभरने और आध्यात्मिक ताक़त के रूप में उभरने की अपार क्षमता है। स्वामी विवेकानंद ने भारत को एक आध्यात्मिक ताक़त बनाने का सपना देखा था। भारत में आर्थिक और आध्यात्मिक शक्ति के समन्वय के रूप में उभरने की अभूतपूर्व क्षमता है। यही एक महान देश के निर्माण की नींव बनना चाहिए। मुझे लगता है कि हमारे देश में ये सारी क्षमताएं मौजूद हैं। ज़रूरत है बस उसे उजागर करने की। इस देश को कोई और रोक नहीं पाएगा। अगर कोई रोकेगा तो हम ही रोक पाएँगे। हमें समाज के सभी अंगों के विकास के लिए मिल कर काम करना चाहिए।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 1.2 एक मुलाकात ज्योतिरादित्य सिंधिया (हिन्दी) (एच टी एम एल) बी बी सी हिन्दी डॉट कॉम। अभिगमन तिथि: 3 अक्तूबर, 2010।
- ↑ ज्योतिरादित्य सिंधिया (हिन्दी) तेज न्यूज। अभिगमन तिथि: 3 अक्तूबर, 2010।
- ↑ ज्योतिरादित्य सिंधिया (हिन्दी) आई बी एन खबर। अभिगमन तिथि: 3 अक्तूबर, 2010।