सहकारी समिति: Difference between revisions
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Revision as of 05:31, 10 November 2010
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समाचार
गुरुवार, 4 नवम्बर, 2010
आदिवासी सहकारी समितियों की बदलेगी सूरत
किसानों व ग्रामीण इलाकों में कर्ज देने वाली प्राथमिक कृषि कर्ज समितियाँ और आदिवासी सहकारी समितियाँ शीघ्र ही मजबूत संस्थानों के तौर पर काम करने लगेंगी। केंद्र सरकार इन समितियों को सीमित आधार वाले मजबूत वित्तीय संस्थानों में तब्दील करने पर विचार कर रही है, ताकि दूर-दराज के इलाकों व बेहद पिछड़े वर्ग में तेजी से बैंकिंग सेवा पहुंचाई जा सके। वित्तीय संस्थान में तब्दील होने पर इन समितियों के काम करने का दायरा बढ़ेगा। ये तमाम बैंकिंग उत्पाद भी बेच सकेंगी। वित्त मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक इस बारे में भारतीय रिजर्व बैंक, नाबार्ड और कुछ राज्य सरकारों के प्रतिनिधियों को मिलाकर एक समिति गठित की गई है। यह समिति देश में कृषि ऋण समितियों (पीएसी), बड़ी आदिवासी बहुउद्देश्यीय सहकारी समितियों (एलएएमपी), किसान सेवा समितियों (एफएसएस) के काम करने के तरीके का अध्ययन कर रही है। देश में फिलहाल 220 ऐसी पीएसी, एलएएमपी या एफएसएस हैं, जो बेहद सफलता से काम कर रही हैं। सरकार इनकी कामयाबी को...
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टीका टिप्पणी और संदर्भ