वारेन हेस्टिंग्स: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replace - "काफी" to "काफ़ी") |
No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
1750 ई. में वारेन हेस्टिंग्स कम्पनी के एक क्लर्क के रूप में [[कलकत्ता]] पहुँचा और अपनी कार्यकुशलता के कारण शीघ्र ही वह कासिम बाज़ार का अध्यक्ष बन गया। 1772 ई. में इसे [[बंगाल]] का गवर्नर बनाया गया। 1773 ई. के 'रेग्युलेटिंग एक्ट' के द्वारा उसे 1774 ई. में '''बंगाल का गवर्नर जनरल''' नियुक्त किया गया। अपने प्रशासनिक सुधार के अन्तर्गत हेस्टिंग्स ने सर्वप्रथम 1772 ई. में 'कोर्ट ऑफ़ डाइरेक्टर्स' के आदेशानुसार बंगाल से द्वैध शासन की समाप्ति की घोषणा की और सरकारी खजाने का स्थानान्तरण [[मुर्शिदाबाद]] से कलकत्ता किया। वारेन हेस्टिंग्स का विचार था कि समस्त भूमि शासक की है। राजस्व सुधारों को व्यवस्थित करने के लिए उसने परिक्षण तथा अशुद्धि के नियम को अपनाया। | 1750 ई. में वारेन हेस्टिंग्स कम्पनी के एक क्लर्क के रूप में [[कलकत्ता]] पहुँचा और अपनी कार्यकुशलता के कारण शीघ्र ही वह कासिम बाज़ार का अध्यक्ष बन गया। 1772 ई. में इसे [[बंगाल]] का गवर्नर बनाया गया। 1773 ई. के 'रेग्युलेटिंग एक्ट' के द्वारा उसे 1774 ई. में '''बंगाल का गवर्नर जनरल''' नियुक्त किया गया। अपने प्रशासनिक सुधार के अन्तर्गत हेस्टिंग्स ने सर्वप्रथम 1772 ई. में 'कोर्ट ऑफ़ डाइरेक्टर्स' के आदेशानुसार बंगाल से द्वैध शासन की समाप्ति की घोषणा की और सरकारी खजाने का स्थानान्तरण [[मुर्शिदाबाद]] से कलकत्ता किया। वारेन हेस्टिंग्स का विचार था कि समस्त भूमि शासक की है। राजस्व सुधारों को व्यवस्थित करने के लिए उसने परिक्षण तथा अशुद्धि के नियम को अपनाया। | ||
'राजस्व सुधार' के अन्तर्गत हेस्टिंग्स ने राजस्व की वसूली का अधिकार कम्पनी के अधीन कर दिया और राजस्व वसूली में सहायता देने वाले दो भारतीय उप दीवानों मुहम्मद रज ख़ाँ तथा राजा शिताब राय को पदच्युत कर दिया। हेस्टिंग्स ने | 'राजस्व सुधार' के अन्तर्गत हेस्टिंग्स ने राजस्व की वसूली का अधिकार कम्पनी के अधीन कर दिया और राजस्व वसूली में सहायता देने वाले दो भारतीय उप दीवानों मुहम्मद रज ख़ाँ तथा राजा शिताब राय को पदच्युत कर दिया। हेस्टिंग्स ने [[बोर्ड ऑफ़ रेवेन्यू]] की स्थापना की जिसमें कम्पनी के राजस्व संग्राहक नियुक्त किये गये। भूमि कर सुधार के अन्तर्गत 1772 ई. तक संग्रहण के अधिकार उँची बोली बोलने वाले ज़मींदारों को कोंचना वर्ष के लिए दिये गये और उन्हें भूस्वामित्व से मुक्त कर दिया गया। 1773 ई. में कर व्यवस्था में परिवर्तन करते हुए भ्रष्ट कलेक्टरों को पदमुक्त कर भारतीय दीवानों की नियुक्ति की गई। इस पंचवर्षीय भू-राजस्व व्यवस्था से कृषकों को काफ़ी हानि हुई। अत: 1776 ई. में पाँच साल ठेके पर भू-राजस्व वसूलने की व्यवस्था खत्म कर दी गई और इसके स्थान पर एक वर्षीय व्यवस्था को पुन: लागू किया गया। | ||
Revision as of 10:00, 4 January 2011
1750 ई. में वारेन हेस्टिंग्स कम्पनी के एक क्लर्क के रूप में कलकत्ता पहुँचा और अपनी कार्यकुशलता के कारण शीघ्र ही वह कासिम बाज़ार का अध्यक्ष बन गया। 1772 ई. में इसे बंगाल का गवर्नर बनाया गया। 1773 ई. के 'रेग्युलेटिंग एक्ट' के द्वारा उसे 1774 ई. में बंगाल का गवर्नर जनरल नियुक्त किया गया। अपने प्रशासनिक सुधार के अन्तर्गत हेस्टिंग्स ने सर्वप्रथम 1772 ई. में 'कोर्ट ऑफ़ डाइरेक्टर्स' के आदेशानुसार बंगाल से द्वैध शासन की समाप्ति की घोषणा की और सरकारी खजाने का स्थानान्तरण मुर्शिदाबाद से कलकत्ता किया। वारेन हेस्टिंग्स का विचार था कि समस्त भूमि शासक की है। राजस्व सुधारों को व्यवस्थित करने के लिए उसने परिक्षण तथा अशुद्धि के नियम को अपनाया।
'राजस्व सुधार' के अन्तर्गत हेस्टिंग्स ने राजस्व की वसूली का अधिकार कम्पनी के अधीन कर दिया और राजस्व वसूली में सहायता देने वाले दो भारतीय उप दीवानों मुहम्मद रज ख़ाँ तथा राजा शिताब राय को पदच्युत कर दिया। हेस्टिंग्स ने बोर्ड ऑफ़ रेवेन्यू की स्थापना की जिसमें कम्पनी के राजस्व संग्राहक नियुक्त किये गये। भूमि कर सुधार के अन्तर्गत 1772 ई. तक संग्रहण के अधिकार उँची बोली बोलने वाले ज़मींदारों को कोंचना वर्ष के लिए दिये गये और उन्हें भूस्वामित्व से मुक्त कर दिया गया। 1773 ई. में कर व्यवस्था में परिवर्तन करते हुए भ्रष्ट कलेक्टरों को पदमुक्त कर भारतीय दीवानों की नियुक्ति की गई। इस पंचवर्षीय भू-राजस्व व्यवस्था से कृषकों को काफ़ी हानि हुई। अत: 1776 ई. में पाँच साल ठेके पर भू-राजस्व वसूलने की व्यवस्था खत्म कर दी गई और इसके स्थान पर एक वर्षीय व्यवस्था को पुन: लागू किया गया।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ