बुधवार व्रत की आरती: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
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नन्दनन्दन बृजभान किशोरी। परमानन्द स्वामी अविचल जोरी॥</poem></span></blockquote>
नन्दनन्दन बृजभान किशोरी। परमानन्द स्वामी अविचल जोरी॥</poem></span></blockquote>


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Revision as of 07:06, 4 January 2011

आरती युगलकिशोर की कीजै। तन मन धन न्यौछावर कीजै॥
गौरश्याम मुख निरखन लीजै। हरि का रूप नयन भर पीजै॥
रवि शशि कोटि बदन की शोभा। ताहि निरखि मेरो मन लोभा॥
ओढ़े नील पीत पट सारी। कुजबिहारी गिरिवरधारी॥
फूलन सेज फूल की माला। रत्न सिंहासन बैठे नन्दलाला॥
कंचन थार कपूर की बाती। हरि आए निर्मल भई छाती॥
श्री पुरुषोत्तम गिरिवरधारी। आरती करें सकल नर नारी॥
नन्दनन्दन बृजभान किशोरी। परमानन्द स्वामी अविचल जोरी॥

  1. REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें

संबंधित लेख

  1. REDIRECT साँचा:आरती स्तुति स्तोत्र