ऑकलैण्ड लॉर्ड: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
Line 4: Line 4:
ऑकलैण्ड के प्रशासन में कोई उल्लेखनीय कार्य नहीं हुआ। यह सही है कि उसने भारतीयों के लिए शिक्षा प्रसार और भारत में पश्चिमी चिकित्सा पद्धति की शिक्षा को प्रोत्साहन दिया। उसने कम्पनी के डायरैक्टरों के उस आदेश को कार्यरूप में परिणत किया, जिसके अधीन तीर्थयात्रियों और धार्मिक संस्थाओं से कर लेना बन्द कर दिया गया।
ऑकलैण्ड के प्रशासन में कोई उल्लेखनीय कार्य नहीं हुआ। यह सही है कि उसने भारतीयों के लिए शिक्षा प्रसार और भारत में पश्चिमी चिकित्सा पद्धति की शिक्षा को प्रोत्साहन दिया। उसने कम्पनी के डायरैक्टरों के उस आदेश को कार्यरूप में परिणत किया, जिसके अधीन तीर्थयात्रियों और धार्मिक संस्थाओं से कर लेना बन्द कर दिया गया।
====सन्धि====
====सन्धि====
1837-38 ई. में उत्तर भारत में पड़े विकराल अकाल के समय लोगों के कष्टों को दूर करने के लिए पर्याप्त क़दम उठाने में ऑकलैण्ड असफल रहा। ऑकलैण्ड ने 1837 ई. में [[पादशाह बेग़म]] के विद्रोह का दमन किया और [[अवध]] के नये नवाब (बादशाह) [[नसीरउद्दीन हैदर]] को बाध्य करके नई सन्धि के लिए राज़ी किया, जिसके द्वारा उससे अधिक वार्षिक धनराशि वसूल की जाने लगी। इस सन्धि को कम्पनी के प्रबन्धकों ने नामंज़ूर कर दिया, लेकिन ऑकलैण्ड ने इस बात की सूचना अवध के बादशाह को नहीं दी।  
1837-38 ई. में उत्तर भारत में पड़े विकराल अकाल के समय लोगों के कष्टों को दूर करने के लिए पर्याप्त क़दम उठाने में ऑकलैण्ड असफल रहा। ऑकलैण्ड ने 1837 ई. में [[पादशाह बेगम]] के विद्रोह का दमन किया और [[अवध]] के नये नवाब (बादशाह) [[नसीरउद्दीन हैदर]] को बाध्य करके नई सन्धि के लिए राज़ी किया, जिसके द्वारा उससे अधिक वार्षिक धनराशि वसूल की जाने लगी। इस सन्धि को कम्पनी के प्रबन्धकों ने नामंज़ूर कर दिया, लेकिन ऑकलैण्ड ने इस बात की सूचना अवध के बादशाह को नहीं दी।  


दोस्त मुहम्मद द्वारा [[रूस]] से संधि करते ही ऑकलैण्ड सतर्क हो गया। [[अफ़ग़ानिस्तान]] की समस्या के समाधान के लिए कम्पनी ने रणजीत सिंह एवं शाहशुजा, जो उस समय लुधियाना में अंग्रेजी पेंशन पर रह रहा था, के साथ जुलाई, 1836 में एक त्रिपक्षीय संधि की। संधि की शर्तो के अनुसार रणजीत सिंह को संधि के साथ अपने विवादों को निपटाने के लिए अंग्रेजों की मध्यस्थता स्वीकार करनी पड़ी, दूसरी ओर शाहशुजा के अधिकार को वापस ले लिया। कालान्तर में यही संधि प्रथम आंग्ल-अफगान युद्ध का कारण बनी।
दोस्त मुहम्मद द्वारा [[रूस]] से संधि करते ही ऑकलैण्ड सतर्क हो गया। [[अफ़ग़ानिस्तान]] की समस्या के समाधान के लिए कम्पनी ने रणजीत सिंह एवं शाहशुजा, जो उस समय लुधियाना में अंग्रेजी पेंशन पर रह रहा था, के साथ जुलाई, 1836 में एक त्रिपक्षीय संधि की। संधि की शर्तो के अनुसार रणजीत सिंह को संधि के साथ अपने विवादों को निपटाने के लिए अंग्रेजों की मध्यस्थता स्वीकार करनी पड़ी, दूसरी ओर शाहशुजा के अधिकार को वापस ले लिया। कालान्तर में यही संधि प्रथम आंग्ल-अफगान युद्ध का कारण बनी।

Revision as of 09:41, 15 January 2011

ऑकलैण्ड लॉर्ड, 1836 से 1842 ई. तक 6 वर्ष भारत का गवर्नर-जनरल रहा।

भारत के विकास में योगदान

ऑकलैण्ड के प्रशासन में कोई उल्लेखनीय कार्य नहीं हुआ। यह सही है कि उसने भारतीयों के लिए शिक्षा प्रसार और भारत में पश्चिमी चिकित्सा पद्धति की शिक्षा को प्रोत्साहन दिया। उसने कम्पनी के डायरैक्टरों के उस आदेश को कार्यरूप में परिणत किया, जिसके अधीन तीर्थयात्रियों और धार्मिक संस्थाओं से कर लेना बन्द कर दिया गया।

सन्धि

1837-38 ई. में उत्तर भारत में पड़े विकराल अकाल के समय लोगों के कष्टों को दूर करने के लिए पर्याप्त क़दम उठाने में ऑकलैण्ड असफल रहा। ऑकलैण्ड ने 1837 ई. में पादशाह बेगम के विद्रोह का दमन किया और अवध के नये नवाब (बादशाह) नसीरउद्दीन हैदर को बाध्य करके नई सन्धि के लिए राज़ी किया, जिसके द्वारा उससे अधिक वार्षिक धनराशि वसूल की जाने लगी। इस सन्धि को कम्पनी के प्रबन्धकों ने नामंज़ूर कर दिया, लेकिन ऑकलैण्ड ने इस बात की सूचना अवध के बादशाह को नहीं दी।

दोस्त मुहम्मद द्वारा रूस से संधि करते ही ऑकलैण्ड सतर्क हो गया। अफ़ग़ानिस्तान की समस्या के समाधान के लिए कम्पनी ने रणजीत सिंह एवं शाहशुजा, जो उस समय लुधियाना में अंग्रेजी पेंशन पर रह रहा था, के साथ जुलाई, 1836 में एक त्रिपक्षीय संधि की। संधि की शर्तो के अनुसार रणजीत सिंह को संधि के साथ अपने विवादों को निपटाने के लिए अंग्रेजों की मध्यस्थता स्वीकार करनी पड़ी, दूसरी ओर शाहशुजा के अधिकार को वापस ले लिया। कालान्तर में यही संधि प्रथम आंग्ल-अफगान युद्ध का कारण बनी।

ऑकलैण्ड की राजनीति

ऑकलैण्ड ने सतारा के राजा को गद्दी से उतार दिया, क्योंकि उसने पुर्तग़ालियों से मिलकर राजद्रोह का प्रयत्न किया था। अपदस्थ राजा के भाई को उसने गद्दी पर बैठाया। उसने करनूल के नवाब को भी कम्पनी के विरुद्ध युद्ध करने का प्रयास करने के आरोप में गद्दी से हटा दिया और उसके राज्य को अंग्रेज़ी राज्य में मिला लिया।

निर्माण

1839 ई. में ऑकलैण्ड ने कलकत्ता से दिल्ली ग्रांड ट्रंक रोड का निर्माण शुरू करवाया था।

आंग्ल-अफ़ग़ान युद्ध

लार्ड ऑकलैण्ड का सबसे बदनामी वाला काम उसका प्रथम आंग्ल-अफ़ग़ान युद्ध (1838-42) शुरू करना था। जिसका लक्ष्य दोस्त मुहम्मद को अफ़ग़ानिस्तान की गद्दी से हटाना था, क्योंकि वह रूस का समर्थक था और उसके स्थान पर शाहशुजा को वहाँ का अमीर बनाना था, जिसे अंग्रेज़ों का समर्थक समझा जाता था। यह युद्ध अनुचित था और इसके द्वारा सिन्ध के अमीरों से की गई सन्धि को उसे तोड़ना पड़ा था। इस युद्ध का संचालन इतने ग़लत ढंग से हुआ कि वह एक दुखान्त घटना बन गई और लॉर्ड ऑकलैण्ड को वापस इंग्लैण्ड बुला लिया गया और उसके स्थान पर लार्ड एलेनबरो को भारत का गवर्नर-जनरल बनाकर भेजा गया।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ