गंगा माता की आरती: Difference between revisions
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Revision as of 08:51, 16 February 2011
जय गंगे माता श्री जय गंगे माता |
जो नर तुमको ध्याता मनवांछित फल पाता ||
चंद्र सी जोत तुम्हारी जल निर्मल आता |
शरण पडें जो तेरी सो नर तर जाता ||
पुत्र सगर के तारे सब जग को ज्ञाता |
कृपा दृष्टि तुम्हारी त्रिभुवन सुख दाता ||
एक ही बार जो तेरी शारणागति आता |
यम की त्रास मिटा कर परमगति पाता ||
आरती मात तुम्हारी जो जन नित्य गाता |
दास वही सहज में मुक्त्ति को पाता ||
- REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
- REDIRECT साँचा:आरती स्तुति स्तोत्र