मुस्लिम लीग: Difference between revisions
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Revision as of 10:24, 21 March 2011
मुस्लिम लीग का मूल नाम अखिल भारतीय मुस्लिम लीग था। यह एक राजनीतिक समूह था, जिसने ब्रिटिश भारत के विभाजन (1947) से निर्मित एक अलग मुस्लिम राष्ट्र के लिए आन्दोलन चलाया।
स्थापना एवं उद्देश्य
मुस्लिम लीग की स्थापना भारतीय मुसलमानों के अधिकारों की रक्षा के लिए दिसम्बर, 1906 में हुई। पहले लीग को अंग्रेज़ों ने प्रोत्साहित किया, जो आमतौर पर उनके शासन के लिए अनुकूल थी। लेकिन इस संगठन ने 1913 में भारत के लिए स्वशासन का लक्ष्य बना लिया। कई दशकों तक लीग और उसके नेता, विशेष रूप से मुहम्मद अली जिन्ना, संगठित एवं स्वतंत्र भारत में हिन्दू-मुस्लिम एकता का आह्वान करते रहे। 1940 तक तो लीग ने प्रस्तावित स्वंतत्र भारत देश से अलग मुस्लिम राष्ट्र के गठन की माँग नहीं की, लेकिन उसके बाद लीग भारतीय मुसलमानों के लिए अलग से एक राष्ट्र चाहने लगी, क्योंकि उसे आशंका थी कि स्वतंत्र भारत में हिन्दुओं का ही प्रभुत्व रहेगा।
संगठन की अक्षमता
मुहम्मद अली जिन्ना तथा मुस्लिम लीग ने ब्रिटिश भारत को हिन्दू व मुस्लिम राष्ट्रों में विभाजित करने की माँग वाले आन्दोलन का नेतृत्व किया और 1947 में पाकिस्तान के गठन के बाद लीग पाकिस्तान का प्रमुख राजनीतिक दल बन गई। इसी साल इसका नाम बदलकर ऑल पाकिस्तान मुस्लिम लीग कर दिया गया, लेकिन पाकिस्तान में आधुनिक राजनीतिक दल के रूप में लीग उतने कारगर ढंग से काम नहीं कर सकी, जैसा यह ब्रिटिश भारत में जनआधारित दबाव गुट के रूप में काम करती थी और इस तरह से धीरे-धीरे इसकी लोकप्रियता व संगठन की क्षमता घटती चली गई। 1954 के चुनावों में मुस्लिम लीग ने पूर्वी पाकिस्तान (वर्तमान बांग्लादेश) में सत्ता खो दी और इसके तुरन्त बाद ही पार्टी ने पश्चिमी पाकिस्तान (वर्तमान पाकिस्तान) में भी सत्ता खो दी। 1960 के दशक के अन्त में पार्टी विभिन्न गुटों में बँट गई और 1970 के दशक तक यह पूरी तरह से ग़ायब हो चुकी थी।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
(पुस्तक 'भारत ज्ञानकोश') पृष्ठ संख्या-400