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रामनवमी राजा दशरथ के पुत्र भगवान राम की स्मृति को समर्पित है। उसे "मर्यादा पुरूषोतम" कहा जाता है तथा वह सदाचार का प्रतीक है। यह त्यौहार शुक्ल पक्ष की 9वीं तिथि जो अप्रैल में किसी समय आती है, को राम के जन्म दिन की स्मृति में मनाया जाता है। | |||
भगवान राम को उनके सुख-समृद्धि पूर्ण व सदाचार युक्त शासन के लिए याद किया जाता है। उन्हें भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है, जो पृथ्वी पर अजेय रावण (मनुष्य रूप में असुर राजा) से युद्ध लड़ने के लिए आए। राम राज्य (राम का शासन) शांति व समृद्धि की अवधि का पर्यायवाची बन गया है। | |||
रामनवमी के दिन, श्रद्धालु बड़ी संख्या में मन्दिरों में जाते हैं और राम की प्रशंसा में भक्तिपूर्ण भजन गाते हैं तथा उसके जन्मोत्सव को मनाने के लिए उसकी मूर्तियों को पालने में झुलाते हैं। इस महान राजा की कहानी का वर्णन करने के लिए काव्य तुलसी रामायण से पाठ किया जाता है। | |||
भगवान राम का जन्म स्थान अयोध्या, रामनवमी त्यौहार के महान अनुष्ठान का केंद्र बिन्दु है। राम, उनकी पत्नी सीता, भाई लक्ष्मण व भक्त हनुमान की रथ यात्राएं बहुत से मंदिरों से निकाली जाती हैं। | |||
हिंदू घरों में रामनवमी पूजा करके मनाई जाती है। पूजा के लिए आवश्यक वस्तुएं, रोली, ऐपन, चावल, जल, फूल, एक घंटी और एक शंख होते हैं। इसके बाद परिवार की सबसे छोटी महिला सदस्य परिवार के सभी सदस्यों को टीका लगाती है। पूजा में भाग लेने वाला प्रत्येक व्यक्ति के सभी सदस्यों को टीका लगाया जाता है। पूजा में भाग लेने वाला प्रत्येक व्यक्ति पहले देवताओं पर जल, रोली और ऐपन छिड़कता है, तथा इसके बाद मूर्तियों पर मुट्ठी भरके चावल छिड़कता है। तब प्रत्येक खड़ा होकर आरती करता है तथा इसके अंत में गंगाजल अथवा सादा जल एकत्रित हुए सभी जनों पर छिड़का जाता है। पूरी पूजा के दौरान भजन गान चलता रहता है। अंत में पूजा के लिए एकत्रित सभी जनों को प्रसाद वितरित किया जाता है। | |||
http://bharat.gov.in/knowindia/festivlas_ramnavami.php | |||
http://hindi.webdunia.com/religion/occasion/ramnavmi/ |
Revision as of 06:48, 9 April 2011
रामनवमी राजा दशरथ के पुत्र भगवान राम की स्मृति को समर्पित है। उसे "मर्यादा पुरूषोतम" कहा जाता है तथा वह सदाचार का प्रतीक है। यह त्यौहार शुक्ल पक्ष की 9वीं तिथि जो अप्रैल में किसी समय आती है, को राम के जन्म दिन की स्मृति में मनाया जाता है।
भगवान राम को उनके सुख-समृद्धि पूर्ण व सदाचार युक्त शासन के लिए याद किया जाता है। उन्हें भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है, जो पृथ्वी पर अजेय रावण (मनुष्य रूप में असुर राजा) से युद्ध लड़ने के लिए आए। राम राज्य (राम का शासन) शांति व समृद्धि की अवधि का पर्यायवाची बन गया है।
रामनवमी के दिन, श्रद्धालु बड़ी संख्या में मन्दिरों में जाते हैं और राम की प्रशंसा में भक्तिपूर्ण भजन गाते हैं तथा उसके जन्मोत्सव को मनाने के लिए उसकी मूर्तियों को पालने में झुलाते हैं। इस महान राजा की कहानी का वर्णन करने के लिए काव्य तुलसी रामायण से पाठ किया जाता है।
भगवान राम का जन्म स्थान अयोध्या, रामनवमी त्यौहार के महान अनुष्ठान का केंद्र बिन्दु है। राम, उनकी पत्नी सीता, भाई लक्ष्मण व भक्त हनुमान की रथ यात्राएं बहुत से मंदिरों से निकाली जाती हैं।
हिंदू घरों में रामनवमी पूजा करके मनाई जाती है। पूजा के लिए आवश्यक वस्तुएं, रोली, ऐपन, चावल, जल, फूल, एक घंटी और एक शंख होते हैं। इसके बाद परिवार की सबसे छोटी महिला सदस्य परिवार के सभी सदस्यों को टीका लगाती है। पूजा में भाग लेने वाला प्रत्येक व्यक्ति के सभी सदस्यों को टीका लगाया जाता है। पूजा में भाग लेने वाला प्रत्येक व्यक्ति पहले देवताओं पर जल, रोली और ऐपन छिड़कता है, तथा इसके बाद मूर्तियों पर मुट्ठी भरके चावल छिड़कता है। तब प्रत्येक खड़ा होकर आरती करता है तथा इसके अंत में गंगाजल अथवा सादा जल एकत्रित हुए सभी जनों पर छिड़का जाता है। पूरी पूजा के दौरान भजन गान चलता रहता है। अंत में पूजा के लिए एकत्रित सभी जनों को प्रसाद वितरित किया जाता है। http://bharat.gov.in/knowindia/festivlas_ramnavami.php