आज जाने की ज़िद ना करो: Difference between revisions

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Revision as of 13:30, 22 April 2011

एलबम ग़ज़ल पैकार
गायिका फ़रीदा ख़ानम
शायर फ़ैयाज़ हाशमी
संगीतकार सुहेल राणा
संगीत कंपनी एच.एम.वी
श्रेणी नज़्म
बाहरी कड़ियाँ आज जाने की ज़िद ना करो (म्यूज़िक इन्डिया ऑनलाइन)

आज जाने की ज़िद न करो
यूँही पहलू में बैठे रहो
हाय, मर जायेंगे
हम तो लुट जायेंगे
ऐसी बातें किया न करो

तुम ही सोचो ज़रा, क्यूँ न रोकें तुम्हें?
जान जाती है जब उठ के जाते हो तुम
तुमको अपनी क़सम जान-ए-जाँ
बात इतनी मेरी मान लो
आज जाने की...

वक़्त की क़ैद में ज़िंदगी है मगर
चंद घड़ियाँ यही हैं जो आज़ाद हैं
इनको खोकर मेरी, जान-ए-जाँ
उम्र भर ना तरसते रहो
आज जाने की...

कितना मासूम रंगीन है ये समा
हुस्न और इश्क़ की आज मेराज[1] है
कल की किसको ख़बर जान-ए-जाँ
रोक लो आज की रात को
आज जाने की...

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. यहाँ पर अर्थ है 'मिलन'। (इस्लाम की मान्यता के अनुसार मुहम्मद साहब का आसमान पर जाकर ईश्वर-साक्षात्कार करने को 'मेराज' (मिअराज) कहा गया)। अरबी में इसका अर्थ है 'सीढ़ी'

बाहरी कड़ियाँ