मास्टर मदन: Difference between revisions
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*हैरत से तक रहा है- | *हैरत से तक रहा है- ग़ज़ल | ||
*गोरी गोरी बईयाँ- भजन | *गोरी गोरी बईयाँ- भजन | ||
*मोरी बिनती मानो कान्हा रे- भजन | *मोरी बिनती मानो कान्हा रे- भजन | ||
*मन की मन- | *मन की मन- ग़ज़ल | ||
*चेतना है तो चेत ले- भजन | *चेतना है तो चेत ले- भजन | ||
*बांगा विच..- पंजाबी गीत | *बांगा विच..- पंजाबी गीत | ||
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*[http://www.bbc.co.uk/urdu/entertainment/2009/06/090604_madan_anniversary.shtml (آواز خزانے کے نئے موتی) आवाज़ भंडार के नए मोती] | *[http://www.bbc.co.uk/urdu/entertainment/2009/06/090604_madan_anniversary.shtml (آواز خزانے کے نئے موتی) आवाज़ भंडार के नए मोती] | ||
*[http://skinnysim.info/master_madan.html 'THE BOY GENIUS'] | *[http://skinnysim.info/master_madan.html 'THE BOY GENIUS'] | ||
*[http://kisseykahen.blogspot.com/2010/07/blog-post.html ग़ज़ल का सफ़र- मास्टर मदन] | |||
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Revision as of 12:41, 7 May 2011
मास्टर मदन भारत की पूर्व आज़ादी के एक प्रतिभाशाली ग़ज़ल और गीत गायक थे। (जन्म: 28 दिसंबर 1927, खानखाना गाँव-पंजाब, मृत्यु: 5 जून 1942) मास्टर मदन के बारे में बहुत कम लोग जानते है। मास्टर मदन एक ऐसे कलाकार थे जो 1930 के दशक में एक किशोर के रूप में ख्याती प्राप्त करके मात्र 15 वर्ष की उम्र में 1940 की दशक में ही स्वर्गवासी हो गए। ऐसा माना जाता है कि मास्टर मदन को आकाशवाणी और अनेक रियासतों के दरबार में गाने के लिए बहुत ऊँची रकम दी जाती थी। मास्टर मदन उस समय के प्रसिद्ध गायक कुंदन लाल सहगल के बहुत क़रीब थे जिसका कारण दोनों का ही जालंधर का निवासी होना था।
जन्म
मास्टर मदन का जन्म 28 दिसंबर, 1927 को पंजाब के जालंधर ज़िले के खानखाना गाँव में हुआ था। उनके जीवन में केवल 8 गाने ही रिकॉर्ड हो पाये जो आज उपलब्ध है। जिनमें से सार्वजनिक रूप से केवल दो ही गानों की रिकॉर्डिंग सब जगह मिल पाती है।
- यूँ न रह-रह कर हमें तरसाइये
- हैरत से तक रहा है
अन्य छ: गाने बहुत ही कम मिल पाते है।
परिवार
मास्टर मदन के पिता सरदार अमर सिंह शिक्षा विभाग की सेवा में थे। और उनकी माता पूरन देवी एक धार्मिक महिला थी। मास्टर मदन की माता भी अल्पायु में ही मर गयी थी।
शुरुआत
मास्टर मदन ने पहली बार सार्वजनिक रूप से धरमपुर के अस्तपताल द्वारा आयोजित रैली में गाया था। जब उनकी उम्र मात्र साढ़े तीन साल की थी। मास्टर मदन को सुनकर श्रोता दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए। उन्हें उस समय कई गोल्ड मैडल मिले और उसके बाद भी मिलते रहे। उसके बाद मास्टर मदन और उनके बड़े भाई ने पूरे भारत का दौरा किया और कई रियासतों के शासकों से कई पुरस्कार जीते। मास्टर मदन ने जालंधर शहर के प्रसिद्ध हरवल्ल्भ मेले में गाया था और उसके बाद शिमला में भी गाया था। शिमला में कई और उल्लेखनीय गायक भी आये थे लेकिन हज़ारों लोग केवल मास्टर मदन को ही सुनने के लिए उत्सुक थे।[1]
संगीत और हिंदी सिनेमा की अपूर्णनीय क्षति
1930 के दशक से ही मास्टर मदन ने मात्र 3-4 वर्ष की अल्प आयु में ही शास्त्रीय रागों पर आधारित रचनाओं का गायन प्रारम्भ कर दिया था। यदि मास्टर मदन दीर्घायु प्राप्त करते तो हिंदी सिनेमा के पार्श्व गायन में उनका नाम सम्भवत: मुहम्मद रफी जैसे गायकों से पहले आता क्योंकि रफी की उम्र और इनकी उम्र में बमुश्किल 3-4 वर्ष का ही अंतर था।[2]
गीत
- यूँ न रह-रह कर हमें तरसाइये- ग़ज़ल
- हैरत से तक रहा है- ग़ज़ल
- गोरी गोरी बईयाँ- भजन
- मोरी बिनती मानो कान्हा रे- भजन
- मन की मन- ग़ज़ल
- चेतना है तो चेत ले- भजन
- बांगा विच..- पंजाबी गीत
- रावी दे परले कंडे वे मितरा- पंजाबी गीत
निधन
मात्र 14 साल की उम्र में 5 जून, 1942 को इस विलक्षण बुद्धि के बालक (Child Prodigy) का निधन हो गया था।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ Master Madan : the child prodigy (अंग्रेज़ी) (html) Indian Raga। अभिगमन तिथि: 7 मई, 2011।
- ↑ A tribute to Master Madan (अंग्रेज़ी) (html) mohdrafi। अभिगमन तिथि: 7 मई, 2011।