भैरव जी की आरती: Difference between revisions
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बटुकनाथ बन बालक जन मन हरषावत ।। | बटुकनाथ बन बालक जन मन हरषावत ।। | ||
बथुकनाथ की आरती जो कोई नर गावें । | बथुकनाथ की आरती जो कोई नर गावें । |
Revision as of 10:55, 25 May 2011
[[चित्र:bhairav.jpg|thumb|300|भैरव बाबा
Bhairo Baba]]
जय भैरव देवा, प्रभु जय भैंरव देवा ।
जय काली और गौरा देवी कृत सेवा ।।
तुम्हीं पाप उद्धारक दु:ख सिंधु तारक ।
भक्तों के सुख कारक भीषण वपु धारक ।।
वाहन शवन विराजत कर त्रिशूल धारी ।
महीमा अमित तुम्हारी जय जय भयकारी ।।
तुम बिन देवा सेवा सफल नहीं होंवे ।
चौमुख दीपक दर्शन दु:ख सगरे खोंवे ।।
तेल चटकि दधि मिश्रित भाषावलि तेरी ।
कृपा करिये भैरव करिये नहीं देरी ।।
पांव घुंघरु बाजत अरु डमरु डमकावत ।।
बटुकनाथ बन बालक जन मन हरषावत ।।
बथुकनाथ की आरती जो कोई नर गावें ।
कहें धरणीधर नर मनवाछिंत फल पावे ।।
- REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें
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संबंधित लेख
- REDIRECT साँचा:आरती स्तुति स्तोत्र