छगनराज चौपासनी वाला: Difference between revisions

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वे प्रारम्भ से ही [[गाँधीजी]] के रचनात्मक कार्यों में खुलकर भाग लेते थे। वे [[1932]] से [[1939]] ई. तक जोधपुर के प्रसिद्ध आन्दोलनकारी बने रहे। जीविकोपार्जन के लिए उन्हें बहुत कष्ट उठाने पड़े, परंतु उनका मातृभूमि प्रेम कम नहीं हुआ।  
वे प्रारम्भ से ही [[गाँधीजी]] के रचनात्मक कार्यों में खुलकर भाग लेते थे। वे [[1932]] से [[1939]] ई. तक जोधपुर के प्रसिद्ध आन्दोलनकारी बने रहे। जीविकोपार्जन के लिए उन्हें बहुत कष्ट उठाने पड़े, परंतु उनका मातृभूमि प्रेम कम नहीं हुआ।  
;संस्था
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मारवाड़ हितकारिणी सभा, यूथ लीग, बाल भारत सभा, पीपुल्स एसोसिएशन, प्रजामण्डल एवं लोक परिषद् आदि संस्थाओं की स्थापना में उन्होंने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। [[26 जनवरी]], [1932]] ई. को जोधपुर की जूनी धानमण्डी में उन्होंने पहली बार तिरंगा फहराया। पुलिस ने उन पर लाठियाँ बरसाईं, जिससे वे घायल हो गए। इसके लिए उन्हें दो माह की सज़ा दी गई।  
मारवाड़ हितकारिणी सभा, यूथ लीग, बाल भारत सभा, पीपुल्स एसोसिएशन, प्रजामण्डल एवं लोक परिषद् आदि संस्थाओं की स्थापना में उन्होंने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। [[26 जनवरी]], [[1932]] ई. को जोधपुर की जूनी धानमण्डी में उन्होंने पहली बार तिरंगा फहराया। पुलिस ने उन पर लाठियाँ बरसाईं, जिससे वे घायल हो गए। इसके लिए उन्हें दो माह की सज़ा दी गई।  
;जेल यात्रा
;जेल यात्रा
[[1934]], [[1940]] एवं [[1942]] ई. में उन्होंने राष्ट्रीय आन्दोलन में खुलकर भाग लिया, जिसके कारण उन्हें कई बार जेल की यात्रा करनी पड़ी। उन्होंने जयनारायण व्यास के साप्ताहिक-पत्र 'लोकराज' का भी सम्पादन किया।<ref>{{cite book | last =नागोरी | first = डॉ. एस.एल. | title =स्वतंत्रता सेनानी कोश (गाँधीयुगीन) | edition = 2011 | publisher = गीतांजलि प्रकाशन, जयपुर | location = भारतडिस्कवरी पुस्तकालय | language = [[हिन्दी]] | pages = पृष्ठ सं 150 | chapter = खण्ड 3 }}</ref>
[[1934]], [[1940]] एवं [[1942]] ई. में उन्होंने राष्ट्रीय आन्दोलन में खुलकर भाग लिया, जिसके कारण उन्हें कई बार जेल की यात्रा करनी पड़ी। उन्होंने जयनारायण व्यास के साप्ताहिक-पत्र 'लोकराज' का भी सम्पादन किया।<ref>{{cite book | last =नागोरी | first = डॉ. एस.एल. | title =स्वतंत्रता सेनानी कोश (गाँधीयुगीन) | edition = 2011 | publisher = गीतांजलि प्रकाशन, जयपुर | location = भारतडिस्कवरी पुस्तकालय | language = [[हिन्दी]] | pages = पृष्ठ सं 150 | chapter = खण्ड 3 }}</ref>

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छगनराज ने स्वतंत्रता संग्राम में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनका जन्म 26 मई, 1912 ई. को जोधपुर में हुआ था।

रचनात्मक कार्य

वे प्रारम्भ से ही गाँधीजी के रचनात्मक कार्यों में खुलकर भाग लेते थे। वे 1932 से 1939 ई. तक जोधपुर के प्रसिद्ध आन्दोलनकारी बने रहे। जीविकोपार्जन के लिए उन्हें बहुत कष्ट उठाने पड़े, परंतु उनका मातृभूमि प्रेम कम नहीं हुआ।

संस्था

मारवाड़ हितकारिणी सभा, यूथ लीग, बाल भारत सभा, पीपुल्स एसोसिएशन, प्रजामण्डल एवं लोक परिषद् आदि संस्थाओं की स्थापना में उन्होंने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। 26 जनवरी, 1932 ई. को जोधपुर की जूनी धानमण्डी में उन्होंने पहली बार तिरंगा फहराया। पुलिस ने उन पर लाठियाँ बरसाईं, जिससे वे घायल हो गए। इसके लिए उन्हें दो माह की सज़ा दी गई।

जेल यात्रा

1934, 1940 एवं 1942 ई. में उन्होंने राष्ट्रीय आन्दोलन में खुलकर भाग लिया, जिसके कारण उन्हें कई बार जेल की यात्रा करनी पड़ी। उन्होंने जयनारायण व्यास के साप्ताहिक-पत्र 'लोकराज' का भी सम्पादन किया।[1]



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. नागोरी, डॉ. एस.एल. “खण्ड 3”, स्वतंत्रता सेनानी कोश (गाँधीयुगीन), 2011 (हिन्दी), भारतडिस्कवरी पुस्तकालय: गीतांजलि प्रकाशन, जयपुर, पृष्ठ सं 150।