ठाकुर निरंजन सिंह: Difference between revisions
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ठाकुर निरंजन सिंह (जन्म- | ठाकुर निरंजन सिंह (जन्म-[[जनवरी]], [[1903]] नरसिंहपुर ज़िला [[मध्य प्रदेश]] मृत्यु-[[1968]]) मध्य प्रदेश के प्रमुख राजनीतिक व्यक्ति थे। | ||
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ठाकुर निरंजन सिंह का जन्म नरसिंहपुर ज़िले में जनवरी 1903 हुआ था। ठाकुर निरंजन शिक्षा प्राप्त करने के लिए खंडवा भेजे गए तो वहाँ राष्ट्रवादी कवि पंडित [[माखनलाल चतुर्वेदी]] के प्रभाव में आ गए। फलतः [[1921]] के असहयोग आंदोलन में विद्यालय का बहिष्कार कर दिया और [[1923]] के [[नागपुर]] के झंग सत्याग्रह में भाग लेने पर गिरफ्तार कर लिए गए। आंदोलन धीमा पड़ने पर पुनः अध्ययन करने के लिए जब वे [[आगरा]] पहुंचे तो वहाँ उन्हें प्रेरित करने के लिए श्रीकृष्णदत्त पालीवाल पहले से मौजूद थे। | ठाकुर निरंजन सिंह का जन्म नरसिंहपुर ज़िले में जनवरी 1903 हुआ था। ठाकुर निरंजन शिक्षा प्राप्त करने के लिए खंडवा भेजे गए तो वहाँ राष्ट्रवादी कवि पंडित [[माखनलाल चतुर्वेदी]] के प्रभाव में आ गए। फलतः [[1921]] के असहयोग आंदोलन में विद्यालय का बहिष्कार कर दिया और [[1923]] के [[नागपुर]] के झंग सत्याग्रह में भाग लेने पर गिरफ्तार कर लिए गए। आंदोलन धीमा पड़ने पर पुनः अध्ययन करने के लिए जब वे [[आगरा]] पहुंचे तो वहाँ उन्हें प्रेरित करने के लिए श्रीकृष्णदत्त पालीवाल पहले से मौजूद थे। |
Revision as of 07:42, 4 June 2011
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ठाकुर निरंजन सिंह (जन्म-जनवरी, 1903 नरसिंहपुर ज़िला मध्य प्रदेश मृत्यु-1968) मध्य प्रदेश के प्रमुख राजनीतिक व्यक्ति थे।
जीवन परिचय
ठाकुर निरंजन सिंह का जन्म नरसिंहपुर ज़िले में जनवरी 1903 हुआ था। ठाकुर निरंजन शिक्षा प्राप्त करने के लिए खंडवा भेजे गए तो वहाँ राष्ट्रवादी कवि पंडित माखनलाल चतुर्वेदी के प्रभाव में आ गए। फलतः 1921 के असहयोग आंदोलन में विद्यालय का बहिष्कार कर दिया और 1923 के नागपुर के झंग सत्याग्रह में भाग लेने पर गिरफ्तार कर लिए गए। आंदोलन धीमा पड़ने पर पुनः अध्ययन करने के लिए जब वे आगरा पहुंचे तो वहाँ उन्हें प्रेरित करने के लिए श्रीकृष्णदत्त पालीवाल पहले से मौजूद थे।
जेल यात्रा
ठाकुर निरंजन सिंह का समय राष्ट्रीय आंदोलन में भाग लेने और जेल की सजाएं काटने में बीतता रहा। 1930, 1931, 1932, 1933 और 1940 में उन्हें गिरफ्तार किया गया। 1942 में वे भूमिगत हो गए थे। बाद में गिरफ्तार करके सेंट्रल जेल में डाले गए तो बरसात की एक रात में जेल की ऊँची दीवारों को लांघकर फरार हो गए। फरारी का यह जीवन उन्होंने साधु का वेश धारण करके विदेशी सरकार के विरूद्ध आंदोलन को गति प्रदान करने में बिताया। बाद में जब पकड़े गए तो पैरों में बेड़ी और हाथों में हथकड़ी डालकर उन्हें 6 महीने अलग कोठरी में बंद रखा गया था।
सदस्यता
ठाकुर निरंजन सिंह दो बार मध्य प्रदेश विधान सभा के सदस्य रहे। उन्होंने कांग्रेस छोड़कर ‘किसान-मजदूर प्रजा पार्टी’ की सदस्यता ग्रहण कर ली थी। 1958 में वे राज्यसभा के सदस्य चुने गए।
मृत्यु
ठाकुर निरंजन सिंह की मृत्यु 1968 में हुई थी।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
लीलाधर, शर्मा भारतीय चरित कोश (हिन्दी)। भारतडिस्कवरी पुस्तकालय: शिक्षा भारती, 348 से 349।
बाहरी कड़ियाँ