नारायण जी की आरती: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
m (नारायण की आरती का नाम बदलकर नारायण जी की आरती कर दिया गया है) |
No edit summary |
||
Line 16: | Line 16: | ||
श्री रामकृष्ण गोपाल दामोदर नारायण नरसिंह हरि। | श्री रामकृष्ण गोपाल दामोदर नारायण नरसिंह हरि। | ||
जहां-जहां भीर पडी भक्तों पर वहां-वहां रक्षा आप करी॥</poem> | जहां-जहां भीर पडी भक्तों पर वहां-वहां रक्षा आप करी॥</poem> | ||
{{प्रचार}} | |||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{आरती स्तुति स्त्रोत}} | {{आरती स्तुति स्त्रोत}} |
Revision as of 12:05, 16 June 2011
भगवान नारायण की आरती
श्री रामकृष्ण गोपाल दामोदर, नारायण नरसिंह हरी।
जहां-जहां भीर पडी भक्तों पर, तहां-तहां रक्षा आप करी॥ श्री रामकृष्ण ..
भीर पडी प्रहलाद भक्त पर, नरसिंह अवतार लिया।
अपने भक्तों की रक्षा कारण, हिरणाकुश को मार दिया॥ श्री रामकृष्ण ..
होने लगी जब नग्न द्रोपदी, दु:शासन चीर हरण किया।
अरब-खरब के वस्त्र देकर आस पास प्रभु फिरने लगे॥ श्री रामकृष्ण ..
गज की टेर सुनी मेरे मोहन तत्काल प्रभु उठ धाये।
जौ भर सूंड रहे जल ऊपर, ऐसे गज को खेंच लिया॥ श्री रामकृष्ण ..
नामदेव की गउआ बाईया, नरसी हुण्डी को तारा।
माता-पिता के फन्द छुडाये, हाँ! कंस दुशासन को मारा॥ श्री रामकृष्ण ..
जैसी कृपा भक्तों पर कीनी हाँ करो मेरे गिरधारी।
तेरे दास की यही भावना दर्श दियो मैंनू गिरधारी॥ श्री रामकृष्ण ..
श्री रामकृष्ण गोपाल दामोदर नारायण नरसिंह हरि।
जहां-जहां भीर पडी भक्तों पर वहां-वहां रक्षा आप करी॥
संबंधित लेख
- REDIRECT साँचा:आरती स्तुति स्तोत्र