गणेश स्तुति: Difference between revisions

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विद्या बारिधि बुद्धि विधाता ॥
विद्या बारिधि बुद्धि विधाता ॥


मांगत तुलसीदास कर जोरे |
मांगत तुलसीदास कर ज़ोरे |
बसहिं रामसिय मानस मोरे ॥</poem></span></blockquote>
बसहिं रामसिय मानस मोरे ॥</poem></span></blockquote>



Revision as of 15:56, 8 July 2011

[[चित्र:Ganesha.jpg|thumb|गणेश]]

ॐ गजाननं भूंतागणाधि सेवितम्, कपित्थजम्बू फलचारु भक्षणम् |
उमासुतम् शोक विनाश कारकम्, नमामि विघ्नेश्वर पादपंकजम् ||

गाइये गणपति जगवंदन |
शंकर सुवन भवानी के नंदन ॥

सिद्धी सदन गजवदन विनायक |
कृपा सिंधु सुंदर सब लायक़ ॥

मोदक प्रिय मृद मंगल दाता |
विद्या बारिधि बुद्धि विधाता ॥

मांगत तुलसीदास कर ज़ोरे |
बसहिं रामसिय मानस मोरे ॥

  1. REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें


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  1. REDIRECT साँचा:आरती स्तुति स्तोत्र