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====दीवान-ए-ग़ालिब====
उनकी ख़ूबसूरत शायरी का संग्रह 'दीवान-ए-ग़ालिब' के रूप में 10 भागों में प्रकाशित हुआ है। जिसका अनेक स्वदेशी तथा विदेशी भाषाओं में अनुवाद हो चुका है।
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|+ग़ालिब की शायरी संग्रह 'दीवान-ए-ग़ालिब' से कुछ पंक्तियाँ<ref>{{cite book | last =आनन्द | first =कलीम  | title = दीवान-ए-ग़ालिब | edition =तृतीय संस्करण 2009 | publisher =मनोज पब्लिकेशंस | location =  | language =हिन्दी  | pages =110  | chapter =}} </ref>
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*[http://www.milansagar.com/kobi-mirzaghalib.html मिर्ज़ा ग़ालिब]
<poem>हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी, कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले
*[http://hindi.webdunia.com/miscellaneous/urdu/galibletters/ ग़ालिब के ख़त]
बहुत निकले मेरे अरमान, लेकिन फिर भी कम निकले
*[http://www.bbc.co.uk/hindi/specials/125_ghalib_pix/index.shtml महान शायर मिर्ज़ा ग़ालिब]
 
*[http://gunaahgar.blogspot.com/2007/12/blog-post_27.html मिर्ज़ा ग़ालिब हाज़िर हो]
निकलना ख़ुल्द<ref>स्वर्ग</ref> से आदम<ref>पहला मानव</ref> का सुनते आये थे, लेकिन
*[http://mirzagalibatribute.blogspot.com/ मिर्ज़ा ग़ालिब]
बहुत बेआबरू<ref>अपमानित</ref> हो कर तिरे कूचे<ref>गली</ref> से हम निकले
*[http://podcast.hindyugm.com/2008/10/mirza-ghalib-tribute-shishir-parthkie.html उस्तादों के उस्ताद शायर मिर्जा ग़ालिब]
 
*[http://www.columbia.edu/itc/mealac/pritchett/00ghalib/ghazal_index.html?nagari दीवान ए ग़ालिब]
हुई जिनसे तवक़्क़ो<ref>आशा</ref>, ख़स्तगी<ref>बिखरना</ref> की दाद<ref>प्रशंसा</ref> पाने की
*[http://divan-e-ghalib.blogspot.com/ मिर्ज़ा ग़ालिब की शायरी]
वो हम से भी ज़ियादा ख़स्त--तेग़े-सितम<ref>अत्याचार की तलवार से घायल</ref> निकले
 
मुहब्बत में नहीं है फ़र्क़, जीने और मरने का
उसी को देखकर जीते हैं, जिस काफ़िर पे दम निकले</poem>
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*[http://www.mirza-ghalib.org/ Mirza Ghalib Official Website]
<poem>बाज़ीचा--अत्फ़ाल<ref>बच्चों का खेल</ref> है दुनिया है मेरे आगे
*[http://www.ghalibinstitute.com/ Ghalib Institute]
होता है शब--रोज़ तमाशा मेरे आगे।
*[http://shayari.co.in/mirza-ghalib Mirza Ghalib]
 
*[http://mirzagalib.blogspot.com/ Mirza Galib Shayari]
होता है निहां<ref>छिपा हुआ</ref> गर्द में सहरा मेरे होते
*[http://ghazal.tripod.com/mirza_ghalib.html Mirza Ghalib]
घिसता है जबीं ख़ाक पे दरिया मेरे आगे।
*[http://gdhar.com/2005/06/26/an-ode-to-mirza-ghalibs-haveli/ Mirza Ghalib’s Haveli]
 
*[http://www.urdustan.com/adeeb/ghalib.htm Mirza Ghalib [1796-1869]]
मत पूछ कि क्या हाल है मेरा तेरे पीछे
*[http://www.thedelhiwalla.com/2011/02/20/the-biographical-dictionary-of-delhi-%E2%80%93-mirza-ghalib-b-agra-1797-1869/ Mirza Ghalib, b. Agra, 1797-1869]
तू देख कि क्या रंग है तेरा मेरे आगे।
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*[http://www.muskurahat.com/music/ghazals/mirza-ghalib-collections.asp मिर्ज़ा ग़ालिब की ग़ज़लें डाउनलोड करें]
ईमां<ref>धर्म</ref> मुझे रोके है, जो खींचे है मुझे कुफ़्र<ref>अधर्म</ref>
*[http://www.youtube.com/watch?v=ieMOrUAEUmc बाज़ीचा ए अफ़्ताल है दुनियाँ मेरे आगे]
काबा<ref>मुस्लिम धर्म स्थल</ref> मेरे पीछे है कलीसा<ref>कलीसा</ref> मेरे आगे।
*[http://www.youtube.com/watch?v=Zf6nLP1Zdm4 कोई उम्मीद भर नहीं आती]
 
*[http://www.youtube.com/watch?v=B-AfgaHi848 उनके देखे से जो]
गो हाथ को जुम्बिश<ref>हिलना</ref> नहीं आँखों में तो दम है
*[http://www.youtube.com/watch?v=Cjx3Hk8qYXY हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी...]
रहने दो अभी साग़र--मीना मेरे आगे।</poem>
*[http://www.youtube.com/watch?v=onq69_3ISBI आह को चाहिए]
*[http://www.youtube.com/watch?v=PUPc87mIsfc नुक़्ताची है ग़में दिल]
*[http://www.youtube.com/watch?v=M6pZMQKBS6U दिल--नादान तुझे]
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Revision as of 08:09, 19 July 2011

दीवान-ए-ग़ालिब

उनकी ख़ूबसूरत शायरी का संग्रह 'दीवान-ए-ग़ालिब' के रूप में 10 भागों में प्रकाशित हुआ है। जिसका अनेक स्वदेशी तथा विदेशी भाषाओं में अनुवाद हो चुका है।

ग़ालिब की शायरी संग्रह 'दीवान-ए-ग़ालिब' से कुछ पंक्तियाँ[1]

हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी, कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले
बहुत निकले मेरे अरमान, लेकिन फिर भी कम निकले

निकलना ख़ुल्द[2] से आदम[3] का सुनते आये थे, लेकिन
बहुत बेआबरू[4] हो कर तिरे कूचे[5] से हम निकले

हुई जिनसे तवक़्क़ो[6], ख़स्तगी[7] की दाद[8] पाने की
वो हम से भी ज़ियादा ख़स्त-ए-तेग़े-सितम[9] निकले

मुहब्बत में नहीं है फ़र्क़, जीने और मरने का
उसी को देखकर जीते हैं, जिस काफ़िर पे दम निकले

बाज़ीचा-ए-अत्फ़ाल[10] है दुनिया है मेरे आगे
होता है शब-ओ-रोज़ तमाशा मेरे आगे।

होता है निहां[11] गर्द में सहरा मेरे होते
घिसता है जबीं ख़ाक पे दरिया मेरे आगे।

मत पूछ कि क्या हाल है मेरा तेरे पीछे
तू देख कि क्या रंग है तेरा मेरे आगे।

ईमां[12] मुझे रोके है, जो खींचे है मुझे कुफ़्र[13]
काबा[14] मेरे पीछे है कलीसा[15] मेरे आगे।

गो हाथ को जुम्बिश[16] नहीं आँखों में तो दम है
रहने दो अभी साग़र-ओ-मीना मेरे आगे।

  1. आनन्द, कलीम दीवान-ए-ग़ालिब, तृतीय संस्करण 2009 (हिन्दी), मनोज पब्लिकेशंस, 110।
  2. स्वर्ग
  3. पहला मानव
  4. अपमानित
  5. गली
  6. आशा
  7. बिखरना
  8. प्रशंसा
  9. अत्याचार की तलवार से घायल
  10. बच्चों का खेल
  11. छिपा हुआ
  12. धर्म
  13. अधर्म
  14. मुस्लिम धर्म स्थल
  15. कलीसा
  16. हिलना