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कभी-कभी छोटे बच्चे को होने वाले मल में गेंद जैसे गोल-गोल तथा छोटे-छोटे ढेले होते है। इस अवस्था को संस्थम्भी कब्ज कहते है तथा बच्चों को इस अवस्था में बहुत तेज दर्द होता है जिसके कारण वह अपने मल को रोक लेते है और उन्हे कब्ज की शिकायत हो जाती है। किसी नवजात शिशु को शायद ही कभी कब्ज होती है परन्तु उसके विकास के पहले वर्ष में उसे मलत्याग क्रिया सिखाई जाती है, जिससे वह मलत्याग क्रिया को प्रतिदिन होने वाली क्रिया के रूप में मानने लगता है। | कभी-कभी छोटे बच्चे को होने वाले मल में गेंद जैसे गोल-गोल तथा छोटे-छोटे ढेले होते है। इस अवस्था को संस्थम्भी कब्ज कहते है तथा बच्चों को इस अवस्था में बहुत तेज दर्द होता है जिसके कारण वह अपने मल को रोक लेते है और उन्हे कब्ज की शिकायत हो जाती है। किसी नवजात शिशु को शायद ही कभी कब्ज होती है परन्तु उसके विकास के पहले वर्ष में उसे मलत्याग क्रिया सिखाई जाती है, जिससे वह मलत्याग क्रिया को प्रतिदिन होने वाली क्रिया के रूप में मानने लगता है। | ||
==कब्ज रोग का लक्षण== | |||
* कब्ज रोग से पीड़ित रोगी को रोजाना मलत्याग नहीं होता है। कब्ज रोग से पीड़ित रोगी जब मल का त्याग करता है तो उसे बहुत अधिक परेशानी होती है। कभी-कभी मल में गांठे बनने लगती है। जब रोगी मलत्याग कर लेता है तो उसे थोड़ा हल्कापन महसूस होता है। | |||
* कब्ज रोग से पीड़ित रोगी के पेट में गैस अधिक बनती है। पीड़ित रोगी जब गैस छोड़ता है तो उसमें बहुत तेज बदबू आती है। | |||
कब्ज रोग से पीड़ित रोगी की जीभ सफेद तथा मटमैली हो जाती है। कब्ज के रोग से पीड़ित व्यक्ति के मुंह से भी बदबू आती रहती है। | |||
* रोगी व्यक्ति के आंखों के नीचे कालापन हो जाता है तथा रोगी का जी मिचलता रहता है। इस रोग में रोगी को बहुत कम भूख लगती है। | |||
* कब्ज रोग से पीड़ित रोगी को कई प्रकार के और भी रोग हो जाते हैं जैसे - पेट में दर्द होना या सूजन हो जाना, सिर में दर्द, मुंहासे निकलना, मुंह के छाले, अम्लता, चिड़चिड़ापन, गठिया, आंखों का मोतियाबिन्द तथा उच्च रक्तचाप आदि। | |||
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परिचय
कब्ज अमाशय की स्वाभाविक परिवर्तन की वह अवस्था है, जिसमें मल निष्कासन की मात्रा कम हो जाती है या मलक्रिया में कठिनाई होती है, मल कड़ा हो जाता है, उसकी आवृति घट जाती है या मल निष्कासन के समय अत्यधिक बल का प्रयोग करना पड़ता है और पेट में गैस बनती है। सामान्य आवृति और अमाशय की गति व्यक्ति विशेष पर निर्भर करती है। एक सप्ताह में 3 से 12 बार मल निष्कासन की प्रक्रिया सामान्य मानी जाती है।
कब्ज आज के समय का एक साधारण रोग है। आज बहुत से लोग कब्ज रोग से परेशान रहते हैं। कब्ज रोग व्यक्ति के स्वयं के खान-पान में असावधानी रखने का ही परिणाम है। कब्ज उत्पन्न होने का मुख्य कारण अधिक मिर्च-मसाले वाला भोजन करना, कब्ज बनाने वाले पदार्थों का सेवन करना, भोजन करने के बाद अधिक देर तक बैठना, तेल व चिकनाई वाले पदार्थों का अधिक सेवन करना आदि है।
कब्ज रोग होने की असली जड़ भोजन का ठीक प्रकार से न पचना होता है। यदि पेट रोगों का घर होता है तो आंत विषैले तत्वों की उत्पति का स्थान होता है। यह बहुत से रोगों को जन्म देता है जिनमें कब्ज प्रमुख रोग होता है। कब्ज में अधिक मात्रा में मल का बड़ी आंत में जमा हो जाना। कब्ज के कारण अवरोही आंतों में तरल पदार्थो के अवशोशण में अधिक समय लगने के कारण उनमे शुष्क (ठंडा) व कठोर मल अधिक एकत्रित होने लगता है। कब्ज उत्पन्न होने का एक आम कारण है जीवन में मल त्याग की साधारण क्रिया का रुकना।
कब्ज एक प्रकार का ऐसा रोग है जो पाचनशक्ति के कार्य में किसी बाधा उत्पन्न होने के कारण होता है। इस रोग के होने पर शारीरिक व्यवस्था बिगड़ जाती है जिसके कारण पेट के कई रोग उत्पन्न हो जाते हैं। इस रोग के कारण शरीर में कार्य करने की क्षमता कम हो जाती है। इस रोग के कारण शरीर के अन्दर जहर भी बन जाता है जिसके कारण शरीर में अनेक बीमारी पैदा हो सकती है जैसे- मुंह में घाव, छाले, अफारा, थकान, उदरशूल या पेट मे दर्द, गैस बनना, सिर में दर्द, हाथ-पैरों में दर्द, अपच तथा बवासीर आदि। कब्ज बनने पर शौच खुलकर नहीं आती, जिससे पेट में दर्द होता रहता है।
यदि कब्ज का इलाज जल्दी से न कराया जाए तो यह फैलकर अन्य रोग उत्पन्न करने का कारण बन सकता है। जब कब्ज का रोग काफी बिगड़ जाता है तो मनुष्य के मलद्वार पर दरारें तक पड़ जाती है और घाव बन जाते है। यदि इस रोग का इलाज जल्दी नहीं कराया गया तो यह रोग आगे चल कर बवासीर, मधुमेह तथा मिर्गी जैसे रोग को जन्म दे सकता हैं।
कभी-कभी छोटे बच्चे को होने वाले मल में गेंद जैसे गोल-गोल तथा छोटे-छोटे ढेले होते है। इस अवस्था को संस्थम्भी कब्ज कहते है तथा बच्चों को इस अवस्था में बहुत तेज दर्द होता है जिसके कारण वह अपने मल को रोक लेते है और उन्हे कब्ज की शिकायत हो जाती है। किसी नवजात शिशु को शायद ही कभी कब्ज होती है परन्तु उसके विकास के पहले वर्ष में उसे मलत्याग क्रिया सिखाई जाती है, जिससे वह मलत्याग क्रिया को प्रतिदिन होने वाली क्रिया के रूप में मानने लगता है।
कब्ज रोग का लक्षण
- कब्ज रोग से पीड़ित रोगी को रोजाना मलत्याग नहीं होता है। कब्ज रोग से पीड़ित रोगी जब मल का त्याग करता है तो उसे बहुत अधिक परेशानी होती है। कभी-कभी मल में गांठे बनने लगती है। जब रोगी मलत्याग कर लेता है तो उसे थोड़ा हल्कापन महसूस होता है।
- कब्ज रोग से पीड़ित रोगी के पेट में गैस अधिक बनती है। पीड़ित रोगी जब गैस छोड़ता है तो उसमें बहुत तेज बदबू आती है।
कब्ज रोग से पीड़ित रोगी की जीभ सफेद तथा मटमैली हो जाती है। कब्ज के रोग से पीड़ित व्यक्ति के मुंह से भी बदबू आती रहती है।
- रोगी व्यक्ति के आंखों के नीचे कालापन हो जाता है तथा रोगी का जी मिचलता रहता है। इस रोग में रोगी को बहुत कम भूख लगती है।
- कब्ज रोग से पीड़ित रोगी को कई प्रकार के और भी रोग हो जाते हैं जैसे - पेट में दर्द होना या सूजन हो जाना, सिर में दर्द, मुंहासे निकलना, मुंह के छाले, अम्लता, चिड़चिड़ापन, गठिया, आंखों का मोतियाबिन्द तथा उच्च रक्तचाप आदि।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ