पृथ्वी-2 मिसाइल: Difference between revisions

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==पृथ्वी-2 मिसाइल==
==पृथ्वी-2 मिसाइल==
* भारत ने देश में ही विकसित परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम और सतह से सतह तक मार करने में सक्षम पृथ्वी-2 बैलिस्टिक मिसाइल विकसित किया है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन डीआरडीओ द्वारा विकसित इस पहली स्वदेश निर्मित मिसाइल को 27-09-2011 में एक मोबाइल लांचर की मदद से सुबह नौ बजे दागा गया जो पूरी तरह सफल रहा था। और इसने पूर्व निर्धारित मार्ग का अनुसरण करते हुए बंगाल की खाडी में स्थित पूर्व निर्धारित लक्ष्य को सफलतापूर्वक बेधा।  
* भारत ने देश में ही विकसित परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम और सतह से सतह तक मार करने में सक्षम पृथ्वी-2 बैलिस्टिक मिसाइल विकसित किया है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन डीआरडीओ द्वारा विकसित इस पहली स्वदेश निर्मित मिसाइल को 27-09-2011 में एक मोबाइल लांचर की मदद से सुबह नौ बजे दागा गया जो पूरी तरह सफल रहा था। और इसने पूर्व निर्धारित मार्ग का अनुसरण करते हुए बंगाल की खाडी में स्थित पूर्व निर्धारित लक्ष्य को सफलतापूर्वक बेधा।  
* आईटीआर के निदेशक एस.पी. दास ने बताया कि मिसाइल के प्रक्षेपण की सटीकता जांचने के लिए तट पर स्थित राडारों और इलेक्ट्रो आपटिक्ल प्रणालियों के द्वारा प्रक्षेपण पथ पर नजर रखी गई। उन्होंने बताया कि प्रक्षेपण पूरी तरह सफल रहा। आईटीआर सूत्रों के अनुसार युद्ध के दौरान पृथ्वी-2 का इस्तेमाल सुनियोजित हथियार के रूप में किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि यह मिसाइल 350 किलोमीटर दूरी तक 500 से 1000 किलोग्राम आयुद्ध सामग्री ले जाने में सक्षम है। सूत्रों के अनुसार मिसाइल विकसित करने के विभिन्न चरणों के तहत पांच मिसाइलों में से पृथ्वी एक है और इंटेग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम आईजीएमडीपी का एक हिस्सा है।  
* आईटीआर के निदेशक एस.पी. दास ने बताया कि मिसाइल के प्रक्षेपण की सटीकता जांचने के लिए तट पर स्थित राडारों और इलेक्ट्रो आपटिक्ल प्रणालियों के द्वारा प्रक्षेपण पथ पर नजर रखी गई। उन्होंने बताया कि प्रक्षेपण पूरी तरह सफल रहा। आईटीआर सूत्रों के अनुसार युद्ध के दौरान पृथ्वी-2 का इस्तेमाल सुनियोजित हथियार के रूप में किया जा सकता है। यह मिसाइल 350 किलोमीटर दूरी तक 500 से 1000 किलोग्राम आयुद्ध सामग्री ले जाने में सक्षम है। सूत्रों के अनुसार मिसाइल विकसित करने के विभिन्न चरणों के तहत पांच मिसाइलों में से पृथ्वी एक है और इंटेग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम आईजीएमडीपी का एक हिस्सा है।  
* उन्होंने बताया कि पृथ्वी-2 देशी सेटेलाइट लांच व्हीकल-3, एसएलवी-3 का ही परिवर्तित रूप है जिसमें द्रव्य प्रणोदक का इस्तेमाल किया गया है और इस मिसाइल के सभी महत्वपूर्ण कलपुर्जे स्वदेश निर्मित हैं। पृथ्वी-2 की लंबाई नौ मीटर और व्यास एक मीटर है। यह दो इंजनों की मदद से आगे बढ़ती है और इसमें तरल ईंधन का इस्तेमाल होता है। मध्यम दूरी की यह मिसाइल 483 सेकंड की अवधि तक उड़ान भरने के साथ 43.5 किलोमीटर की ऊंचाई तक जा सकती है। सूत्रों के मुताबिक पहला पृथ्वी मिसाइल परीक्षण आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित रॉकेट लांचिंग सेंटर से 22 फरवरी 1998 को किया गया था और इसके बाद आईटीआर से कई परीक्षण किए जा चुके हैं।  
* सूत्रों के अनुसार पृथ्वी-2 देशी सेटेलाइट लांच व्हीकल-3, एसएलवी-3 का ही परिवर्तित रूप है जिसमें द्रव्य प्रणोदक का इस्तेमाल किया गया है और इस मिसाइल के सभी महत्वपूर्ण कलपुर्जे स्वदेश निर्मित हैं। पृथ्वी-2 की लंबाई नौ मीटर और व्यास एक मीटर है। यह दो इंजनों की मदद से आगे बढ़ती है और इसमें तरल ईंधन का इस्तेमाल होता है। मध्यम दूरी की यह मिसाइल 483 सेकंड की अवधि तक उड़ान भरने के साथ 43.5 किलोमीटर की ऊंचाई तक जा सकती है। सूत्रों के मुताबिक पहला पृथ्वी मिसाइल परीक्षण आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित रॉकेट लांचिंग सेंटर से 22 फरवरी 1998 को किया गया था और इसके बाद आईटीआर से कई परीक्षण किए जा चुके हैं।  





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पृथ्वी-2 मिसाइल

  • भारत ने देश में ही विकसित परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम और सतह से सतह तक मार करने में सक्षम पृथ्वी-2 बैलिस्टिक मिसाइल विकसित किया है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन डीआरडीओ द्वारा विकसित इस पहली स्वदेश निर्मित मिसाइल को 27-09-2011 में एक मोबाइल लांचर की मदद से सुबह नौ बजे दागा गया जो पूरी तरह सफल रहा था। और इसने पूर्व निर्धारित मार्ग का अनुसरण करते हुए बंगाल की खाडी में स्थित पूर्व निर्धारित लक्ष्य को सफलतापूर्वक बेधा।
  • आईटीआर के निदेशक एस.पी. दास ने बताया कि मिसाइल के प्रक्षेपण की सटीकता जांचने के लिए तट पर स्थित राडारों और इलेक्ट्रो आपटिक्ल प्रणालियों के द्वारा प्रक्षेपण पथ पर नजर रखी गई। उन्होंने बताया कि प्रक्षेपण पूरी तरह सफल रहा। आईटीआर सूत्रों के अनुसार युद्ध के दौरान पृथ्वी-2 का इस्तेमाल सुनियोजित हथियार के रूप में किया जा सकता है। यह मिसाइल 350 किलोमीटर दूरी तक 500 से 1000 किलोग्राम आयुद्ध सामग्री ले जाने में सक्षम है। सूत्रों के अनुसार मिसाइल विकसित करने के विभिन्न चरणों के तहत पांच मिसाइलों में से पृथ्वी एक है और इंटेग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम आईजीएमडीपी का एक हिस्सा है।
  • सूत्रों के अनुसार पृथ्वी-2 देशी सेटेलाइट लांच व्हीकल-3, एसएलवी-3 का ही परिवर्तित रूप है जिसमें द्रव्य प्रणोदक का इस्तेमाल किया गया है और इस मिसाइल के सभी महत्वपूर्ण कलपुर्जे स्वदेश निर्मित हैं। पृथ्वी-2 की लंबाई नौ मीटर और व्यास एक मीटर है। यह दो इंजनों की मदद से आगे बढ़ती है और इसमें तरल ईंधन का इस्तेमाल होता है। मध्यम दूरी की यह मिसाइल 483 सेकंड की अवधि तक उड़ान भरने के साथ 43.5 किलोमीटर की ऊंचाई तक जा सकती है। सूत्रों के मुताबिक पहला पृथ्वी मिसाइल परीक्षण आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित रॉकेट लांचिंग सेंटर से 22 फरवरी 1998 को किया गया था और इसके बाद आईटीआर से कई परीक्षण किए जा चुके हैं।


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