सांता क्लॉज़: Difference between revisions

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;क्रिसमस पर सांता क्लॉज
;क्रिसमस पर सांता क्लॉज
क्रिसमस का त्योहार हर साल 25 दिसंबर को पूरी दुनिया में मनाया जाता है। यह त्योहार प्रेम व मानवता का संदेश तो देता ही है साथ ही यह भी बताता है कि खुशियां बांटना ही ईश्वर की सच्ची सेवा है। सांता क्लॉज द्वारा बच्चों को गिफ्ट्स बांटना इसी बात का प्रतीक है। ऐसी मान्यता है कि सेंटा क्लॉज गिफ्ट्स को एक बड़ी सी झोली में भरकर वो क्रिसमस के पहले की रात यानी 24 दिसंबर को अपने 8 उड़ने वाले रेनडियर वाले स्लेज पर बैठकर किसी बर्फीले जगह से आते हैं और चिमनियों के रास्ते घरों में प्रवेश करके सभी अच्छे बच्चों के लिए उनके सिरहाने उपहार छोड़ जाते हैं।
क्रिसमस का त्योहार हर साल 25 दिसंबर को पूरी दुनिया में मनाया जाता है। यह त्योहार प्रेम व मानवता का संदेश तो देता ही है साथ ही यह भी बताता है कि खुशियां बांटना ही ईश्वर की सच्ची सेवा है। सांता क्लॉज द्वारा बच्चों को गिफ्ट्स बांटना इसी बात का प्रतीक है।  


सांता क्लॉज (Santa Claus) का नाम सभी बच्चे विशेष रूप से जानते हैं। हो..हो..हो.. कहते हुए लाल-सफेद कपड़ों में बड़ी-सी श्वेत दाढ़ी और बालों वाले, कंधे पर गिफ्ट्स से भरा बड़ा-सा बैग लटकाए, हाथों में क्रिसमस बेल लिए सांता क्लॉज बच्चों से बहुत प्यार करते हैं। बच्चों के प्यारे सांता जिन्हें क्रिसमस फादर भी कहा जाता है हर क्रिसमस पर बच्चों को चॉकलेट्स, गिफ्ट्स देकर बच्चों की मुस्कुराहट का कारण बन जाते हैं। तभी तो हर क्रिसमस बच्चे अपने सांता अंकल का बेसब्री से इंतजार करते हैं।  
सांता केवल एक धर्म विशेष के नहीं बल्कि पूरी मानवता के जीवन्त प्रतीक हैं। सांता क्लॉज (Santa Claus) का नाम सभी बच्चे विशेष रूप से जानते हैं। हो..हो..हो.. कहते हुए लाल-सफेद कपड़ों में बड़ी-सी श्वेत दाढ़ी और बालों वाले, कंधे पर गिफ्ट्स से भरा बड़ा-सा बैग लटकाए, हाथों में क्रिसमस बेल लिए सांता क्लॉज बच्चों से बहुत प्यार करते हैं। बच्चों के प्यारे सांता जिन्हें ‘‘संत निकोलस’’, क्रिस क्रींगल, क्रिसमस पिता (फादर) भी कहा जाता है, जो केवल क्रिसमस वाले दिन ही आते हैं। इस दिन सांता क्‍लॉज बच्चों को चॉकलेट्स, गिफ्ट्स देकर बच्चों की मुस्कुराहट का कारण बन जाते हैं। तभी तो हर क्रिसमस बच्चे अपने सांता अंकल का बेसब्री से इंतजार करते हैं।  
 
;सान्ता क्लोज़ से जुङी मान्यता
ऐसी मान्यता है कि साल भर सान्ता क्लोज़ और मिसिज क्लोज़ बच्चों के लिए, खिलौने, कुकी, केक, पाई, बिस्कुट, केंडी तैयार करवाते हैं। इसके बाद सेंटा क्लॉज गिफ्ट्स को एक बड़ी सी झोली में भरकर वो क्रिसमस के पहले की रात यानी 24 दिसंबर को अपने 8 उड़ने वाले रेनडियर वाले स्लेज पर बैठकर किसी बर्फीले जगह से आते हैं और चिमनियों के रास्ते घरों में प्रवेश करके सभी अच्छे बच्चों के लिए उनके सिरहाने उपहार छोड़ जाते हैं। सांता के रेंडीयरों के नाम हैं, ‘‘रुडोल्फ़, डेशर, डांसर, प्रेन्सर, विक्सन, डेंडर, ब्लिटज़न, क्युपिड और कोमेट’’। सान्ता क्लोज़ ख़ास तौर से क्रिसमस के त्यौहार में बच्चों को खिलौने और तोहफे बांटने ही तो उत्तरी ध्रुव पर आते हैं बाकि का समय वे लेप लैन्ड, फीनलैन्ड में रहते हैं। बहुत बरसों पहले की बात है जब साँता क्लोज और उनके साथी और मददगार एल्फों की टोली ने जादू की झिलमिलाती धूल, रेंडीयरों पर डाली थी उसी के कारण रेंडीयरों को उडना आ गया। सिर्फ क्रिसमस की रात के लिये ही इस मैजिक डस्ट का उपयोग होता है और सान्ता क्लोज़ अपना सफर शुरू करे उसके बस कुछ लम्होँ पहले मैजिक डस्ट छिड़क कर, शाम को यात्रा का आरम्भ किया जाता है। और बस फुर्र से रेंडीयरों को उडना आ जाता है और वे क्रिसमस लाईट की स्पीड से उड़ते हैं, बहुत तेज। बच्चे जो उनका इन्तजार कर रहे होते हैं। हर बच्चा, दूध का गिलास और 3-4 बिस्कुट सान्ता के लिए घर के एक कमरे में रख देता है। जब बच्चे गहरी नींद में सो जाते हैं और परियां उन्हें परियों के देश में ले चलती हैं, उसी समय सान्ता जी की रेंडीयर से उडनेवाली स्ले हर बच्चे के घर पहुँच कर तोहफा रख फिर अगले बच्चे के घर निकल लेती है।


;संत निकोलस  
;संत निकोलस  
सेंटा क्लॉज की प्रथा संत निकोलस ने चौथी या पांचवी सदी में शुरू की। माना जाता है कि सांता का घर उत्तरी ध्रुव में है और वे उड़ने वाले रेनडियर्स की गाड़ी पर चलते हैं। सांता का यह आधुनिक रूप 19वीं सदी से अस्तित्व में आया उसके पहले ये ऐसे नहीं थे। आज से डेढ़ हजार साल पहले जन्मे संत निकोलस को असली सांता और सांता का जनक माना जाता है। हालांकि संत निकोलस और जीसस के जन्म का सीधा संबंध नहीं रहा है फिर भी आज के समय में सांता क्लॉज क्रिसमस का अहम हिस्सा हैं। उनके बिना क्रिसमस अधूरा सा लगता है।  
सेंटा क्लॉज की प्रथा संत निकोलस ने चौथी या पांचवी सदी में शुरू की। माना जाता है कि सांता का घर उत्तरी ध्रुव में है और वे उड़ने वाले रेनडियर्स की गाड़ी पर चलते हैं। सांता का यह आधुनिक रूप 19वीं सदी से अस्तित्व में आया उसके पहले ये ऐसे नहीं थे। आज से डेढ़ हजार साल पहले जन्मे संत निकोलस को असली सांता और सांता का जनक माना जाता है। हालांकि संत निकोलस और जीसस के जन्म का सीधा संबंध नहीं रहा है फिर भी आज के समय में सांता क्लॉज क्रिसमस का अहम हिस्सा हैं। उनके बिना क्रिसमस अधूरा सा लगता है।  


‍संत निकोलस का जन्म तीसरी सदी में जीसस की मौत के 280 साल बाद मायरा में हुआ। वे एक रईस परिवार से थे। उन्होंने बचपन में ही अपने माता-पिता को खो दिया। बचपन से ही उनकी प्रभु यीशु में बहुत आस्था थी। वे बड़े होकर ईसाई धर्म के पादरी (पुजारी) और बाद में ‍एशिया माइनर के बिशप बने। निकोलस बहुत ही दयालु और परोपकारी थे। जरूरतमंदों की मदद के लिए हमेशा तैयार रहते थे। उनका उद्देश्य था कि क्रिसमस और नववर्ष के दिन गरीब-अमीर सभी प्रसन्न रहें। उन्हें बच्चों और नाविकों से बेहद प्यार था। उन्हें जरूरतमंदों और बच्चों को गिफ्‍ट्स देना बहुत अच्छा लगता था। वे अक्सर जरूरतमंदों और बच्चों को गिफ्ट्स देते थे। संत निकोलस को बच्चों से खास लगाव था वे उन्हें बहुत प्रेम करते थे इसी वजह से बच्चों को हमेशा उपहार दिया करते थे।  
‍संत निकोलस का जन्म तीसरी सदी में जीसस की मौत के 280 साल बाद तुर्किस्तान के मायरा नामक शहर में हुआ। वे एक रईस परिवार से थे। उन्होंने बचपन में ही अपने माता-पिता को खो दिया। बचपन से ही उनकी प्रभु यीशु में बहुत आस्था थी। वे बड़े होकर ईसाई धर्म के पादरी (पुजारी) और बाद में ‍एशिया माइनर के बिशप बने। निकोलस बहुत ही दयालु और परोपकारी थे। जरूरतमंदों की मदद के लिए हमेशा तैयार रहते थे। उनका उद्देश्य था कि क्रिसमस और नववर्ष के दिन गरीब-अमीर सभी प्रसन्न रहें। उन्हें बच्चों और नाविकों से बेहद प्यार था। उन्हें गरीब और बेसहारा बच्चों को गिफ्‍ट्स देना बहुत अच्छा लगता था। वे अक्सर जरूरतमंदों और बच्चों को गिफ्ट्स देते थे। संत निकोलस को बच्चों से खास लगाव था वे उन्हें बहुत प्रेम करते थे इसी वजह से बच्चों को हमेशा उपहार दिया करते थे।  


संत निकोलस अपने उपहार आधी रात को ही देते थे क्योंकि उन्हें उपहार देते हुए नजर आना पसंद नहीं था। वे अपनी पहचान लोगों के सामने नहीं लाना चाहते थे। इसी कारण बच्चों को जल्दी सुला दिया जाता। आज भी कई जगह ऐसा ही होता है अगर बच्चे जल्दी नहीं सोते तो उनके सांता अंकल उन्हें उपहार देने नहीं आते हैं।  
संत निकोलस अपने उपहार आधी रात को ही देते थे क्योंकि उन्हें उपहार देते हुए नजर आना पसंद नहीं था। वे अपनी पहचान लोगों के सामने नहीं लाना चाहते थे। इसी कारण बच्चों को जल्दी सुला दिया जाता। आज भी कई जगह ऐसा ही होता है अगर बच्चे जल्दी नहीं सोते तो उनके सांता अंकल उन्हें उपहार देने नहीं आते हैं।  
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कई स्थानों पर सांता के पोस्टल वॉलेन्टियर रहते हैं जो सांता के नाम आए इन खतों का जवाब देते हैं। देश-विदेश के कई बच्चे सांता को खत की जगह ई-मेल भेजते हैं। जिनका जवाब उन्हें मिलता है और क्रिसमस के दिन उनकी विश पूरी की जाती है।
कई स्थानों पर सांता के पोस्टल वॉलेन्टियर रहते हैं जो सांता के नाम आए इन खतों का जवाब देते हैं। देश-विदेश के कई बच्चे सांता को खत की जगह ई-मेल भेजते हैं। जिनका जवाब उन्हें मिलता है और क्रिसमस के दिन उनकी विश पूरी की जाती है।





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thumb|300px|सांता क्लॉज

क्रिसमस पर सांता क्लॉज

क्रिसमस का त्योहार हर साल 25 दिसंबर को पूरी दुनिया में मनाया जाता है। यह त्योहार प्रेम व मानवता का संदेश तो देता ही है साथ ही यह भी बताता है कि खुशियां बांटना ही ईश्वर की सच्ची सेवा है। सांता क्लॉज द्वारा बच्चों को गिफ्ट्स बांटना इसी बात का प्रतीक है।

सांता केवल एक धर्म विशेष के नहीं बल्कि पूरी मानवता के जीवन्त प्रतीक हैं। सांता क्लॉज (Santa Claus) का नाम सभी बच्चे विशेष रूप से जानते हैं। हो..हो..हो.. कहते हुए लाल-सफेद कपड़ों में बड़ी-सी श्वेत दाढ़ी और बालों वाले, कंधे पर गिफ्ट्स से भरा बड़ा-सा बैग लटकाए, हाथों में क्रिसमस बेल लिए सांता क्लॉज बच्चों से बहुत प्यार करते हैं। बच्चों के प्यारे सांता जिन्हें ‘‘संत निकोलस’’, क्रिस क्रींगल, क्रिसमस पिता (फादर) भी कहा जाता है, जो केवल क्रिसमस वाले दिन ही आते हैं। इस दिन सांता क्‍लॉज बच्चों को चॉकलेट्स, गिफ्ट्स देकर बच्चों की मुस्कुराहट का कारण बन जाते हैं। तभी तो हर क्रिसमस बच्चे अपने सांता अंकल का बेसब्री से इंतजार करते हैं।

सान्ता क्लोज़ से जुङी मान्यता

ऐसी मान्यता है कि साल भर सान्ता क्लोज़ और मिसिज क्लोज़ बच्चों के लिए, खिलौने, कुकी, केक, पाई, बिस्कुट, केंडी तैयार करवाते हैं। इसके बाद सेंटा क्लॉज गिफ्ट्स को एक बड़ी सी झोली में भरकर वो क्रिसमस के पहले की रात यानी 24 दिसंबर को अपने 8 उड़ने वाले रेनडियर वाले स्लेज पर बैठकर किसी बर्फीले जगह से आते हैं और चिमनियों के रास्ते घरों में प्रवेश करके सभी अच्छे बच्चों के लिए उनके सिरहाने उपहार छोड़ जाते हैं। सांता के रेंडीयरों के नाम हैं, ‘‘रुडोल्फ़, डेशर, डांसर, प्रेन्सर, विक्सन, डेंडर, ब्लिटज़न, क्युपिड और कोमेट’’। सान्ता क्लोज़ ख़ास तौर से क्रिसमस के त्यौहार में बच्चों को खिलौने और तोहफे बांटने ही तो उत्तरी ध्रुव पर आते हैं बाकि का समय वे लेप लैन्ड, फीनलैन्ड में रहते हैं। बहुत बरसों पहले की बात है जब साँता क्लोज और उनके साथी और मददगार एल्फों की टोली ने जादू की झिलमिलाती धूल, रेंडीयरों पर डाली थी उसी के कारण रेंडीयरों को उडना आ गया। सिर्फ क्रिसमस की रात के लिये ही इस मैजिक डस्ट का उपयोग होता है और सान्ता क्लोज़ अपना सफर शुरू करे उसके बस कुछ लम्होँ पहले मैजिक डस्ट छिड़क कर, शाम को यात्रा का आरम्भ किया जाता है। और बस फुर्र से रेंडीयरों को उडना आ जाता है और वे क्रिसमस लाईट की स्पीड से उड़ते हैं, बहुत तेज। बच्चे जो उनका इन्तजार कर रहे होते हैं। हर बच्चा, दूध का गिलास और 3-4 बिस्कुट सान्ता के लिए घर के एक कमरे में रख देता है। जब बच्चे गहरी नींद में सो जाते हैं और परियां उन्हें परियों के देश में ले चलती हैं, उसी समय सान्ता जी की रेंडीयर से उडनेवाली स्ले हर बच्चे के घर पहुँच कर तोहफा रख फिर अगले बच्चे के घर निकल लेती है।

संत निकोलस

सेंटा क्लॉज की प्रथा संत निकोलस ने चौथी या पांचवी सदी में शुरू की। माना जाता है कि सांता का घर उत्तरी ध्रुव में है और वे उड़ने वाले रेनडियर्स की गाड़ी पर चलते हैं। सांता का यह आधुनिक रूप 19वीं सदी से अस्तित्व में आया उसके पहले ये ऐसे नहीं थे। आज से डेढ़ हजार साल पहले जन्मे संत निकोलस को असली सांता और सांता का जनक माना जाता है। हालांकि संत निकोलस और जीसस के जन्म का सीधा संबंध नहीं रहा है फिर भी आज के समय में सांता क्लॉज क्रिसमस का अहम हिस्सा हैं। उनके बिना क्रिसमस अधूरा सा लगता है।

‍संत निकोलस का जन्म तीसरी सदी में जीसस की मौत के 280 साल बाद तुर्किस्तान के मायरा नामक शहर में हुआ। वे एक रईस परिवार से थे। उन्होंने बचपन में ही अपने माता-पिता को खो दिया। बचपन से ही उनकी प्रभु यीशु में बहुत आस्था थी। वे बड़े होकर ईसाई धर्म के पादरी (पुजारी) और बाद में ‍एशिया माइनर के बिशप बने। निकोलस बहुत ही दयालु और परोपकारी थे। जरूरतमंदों की मदद के लिए हमेशा तैयार रहते थे। उनका उद्देश्य था कि क्रिसमस और नववर्ष के दिन गरीब-अमीर सभी प्रसन्न रहें। उन्हें बच्चों और नाविकों से बेहद प्यार था। उन्हें गरीब और बेसहारा बच्चों को गिफ्‍ट्स देना बहुत अच्छा लगता था। वे अक्सर जरूरतमंदों और बच्चों को गिफ्ट्स देते थे। संत निकोलस को बच्चों से खास लगाव था वे उन्हें बहुत प्रेम करते थे इसी वजह से बच्चों को हमेशा उपहार दिया करते थे।

संत निकोलस अपने उपहार आधी रात को ही देते थे क्योंकि उन्हें उपहार देते हुए नजर आना पसंद नहीं था। वे अपनी पहचान लोगों के सामने नहीं लाना चाहते थे। इसी कारण बच्चों को जल्दी सुला दिया जाता। आज भी कई जगह ऐसा ही होता है अगर बच्चे जल्दी नहीं सोते तो उनके सांता अंकल उन्हें उपहार देने नहीं आते हैं।

संत निकोलस की दरियादिल‍ी की कहानी

संत निकोलस की दरियादिल‍ी की एक बहुत ही मशहूर कहानी है कि उन्होंने एक गर‍ीब की मदद की। जिसके पास अपनी तीन बेटियों की शादी के लिए पैसे नहीं थे और मजबूरन वह उन्हें मजदूरी और देह व्यापार के दलदल में भेज रहा था। तब निकोलस ने चुपके से उसकी तीनों बेटियों की सूख रही जुराबों में सोने के सिक्कों की थैलियां रख दी और उन्हें लाचारी की जिंदगी से मुक्ति दिलाई। इन सिक्कों से ही उन लड़कियों की शादी अच्छे से हो गई। बस तभी से क्रिसमस की रात दुनियाभर के बच्चे इस उम्मीद के साथ अपने मोजे बाहर लटकाते हैं कि सुबह उनमें उनके लिए गिफ्ट्स होंगे। बच्चों का ऐसा मानना है कि संत निकोलस यानी सांता क्लॉज उन्हें बहुत सारे उपहार देंगे। इसी प्रकार फ्रांस में चिमनी पर जूते लटकाने की प्रथा है। हॉलैंड में बच्चे सांता के रेंडियरर्स के लिए अपने जूते में गाजर भर कर रखते हैं।

सेंटा क्लॉज की सद्भावना और दयालुता के किस्से लंबे अरसे तक कथा-कहानियों के रूप में चलते रहे। एक कथा के अनुसार उन्होंने कोंस्टेटाइन प्रथम के स्वप्न में आकर तीन सैनिक अधिकारियों को मृत्यु दंड से बचाया था। सत्रहवीं सदी तक इस दयालु का नाम संत निकोलस के स्थान पर सेंटा क्लॉज हो गया। यह नया नाम डेनमार्क वासियों की देन है।

सांता क्लॉज का नाम

thumb|300px|8 उड़ने वाले रेनडियर वाले स्लेज पर बैठकर सांता क्लॉज सांता का आज का जो प्रचलित नाम है वह निकोलस के डच नाम सिंटर क्लास से आया है। जो बाद में सांता क्लॉज बन गया। जीसस और मदर मैरी के बाद संत निकोलस को ही इतना सम्मान मिला। सन् 1200 से फ्रांस में 6 दिसम्बर को निकोलस दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। क्योंकि इस दिन संत निकोलस की मृत्यु हुई थी। अमेरिका में 1773 में पहली बार सांता सेंट ए क्लॉज के रूप में मीडिया से रूबरू हुए।

आधुनिक युग के सांता

क्रिस क्रिंगल फादर क्रिसमस और संत निकोलस के नाम से जाना जाने वाला सांता क्लॉज एक रहस्यमय और जादूगर इंसान है, जिसके पास अच्छे और सच्चे बच्चों के लिए ढेर सारे गिफ्ट्स हैं। इंग्लैंड में ये फादर क्रिसमस के नाम से जाने जाते हैं। इंग्लैंड के सांता क्लॉज की सफेद दाढ़ी थोड़ी और लंबी और कोट भी ज्यादा लंबा होता है।

आज के आधुनिक युग के सांता का अस्तित्व 1930 में आया। हैडन संडब्लोम नामक एक कलाकार कोका-कोला की एड में सांता के रूप में 35 वर्षों तक दिखाई दिया। सांता का यह नया अवतार लोगों को बहुत पसंद आया और आखिरकार इसे सांता का नया रूप स्वीकारा गया जो आज तक लोगों के बीच काफी मशहूर है। इस प्रकार धीरे-धीरे क्रिसमस और सांता का साथ गहराता चला गया और सांता पूरे विश्व में मशहूर होने के साथ-साथ बच्चों के चहेते बन गए।

सांता का पता

आज भी ऐसा कहा जाता है कि सांता अपनी वाइफ और बहुत सारे बौनों के साथ उत्तरी ध्रुव में रहते हैं। वहां पर एक खिलौने की फैक्ट्री है जहां सारे खिलौने बनाए जाते हैं। सांता के ये बौने साल भर इस फैक्ट्री में क्रिसमस के ‍खिलौने बनाने के लिए काम करते हैं। आज विश्वभर में सांता के कई पते हैं जहां बच्चे अपने खत भेजते हैं, लेकिन उनके फिनलैंड वाले पते पर सबसे ज्यादा खत भेजे जाते हैं। इस पते पर भेजे गए प्रत्येक खत का लोगों को जवाब भी मिलता है। आप भी अपने खत सांता को इस पते पर भेज सकते हैं।

सांता का पता है :-

सांता क्लॉज, सांता क्लॉज विलेज, एफआईएन 96930 आर्कटिक सर्कल, फिनलैंड

कई स्थानों पर सांता के पोस्टल वॉलेन्टियर रहते हैं जो सांता के नाम आए इन खतों का जवाब देते हैं। देश-विदेश के कई बच्चे सांता को खत की जगह ई-मेल भेजते हैं। जिनका जवाब उन्हें मिलता है और क्रिसमस के दिन उनकी विश पूरी की जाती है।



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