अंतर्राष्ट्रीय मानक पुस्तक संख्या: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
गोविन्द राम (talk | contribs) No edit summary |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replace - " सन " to " सन् ") |
||
Line 1: | Line 1: | ||
'''अंतर्राष्ट्रीय मानक पुस्तक संख्यांक''' इसे सामान्यत: आई.ऍस.बी.ऍन. ("इन्टरनेशनल स्टैन्डर्ड बुक नम्बर" या ISBN) कहा जाता है। यह प्रत्येक पुस्तक को उसका अपना अनूठा संख्यांक (सीरियल नम्बर) देने की विधि है। इस संख्यांक के द्वारा विश्व में प्रकाशित किसी भी पुस्तक को खोजा जा सकता है और उसके बारे में जानकारी प्राप्त की जा सकती है। पहले यह संख्यांक केवल [[उत्तरी अमेरिका]], [[यूरोप]] और [[जापान]] में प्रचलित था, किंतु आजकल यह पद्धति धीरे-धीरे पूरे विश्व में फैल गयी है। आई.ऍस.बी.ऍन. संख्यांक में 10 अंक होते थे, किंतु | '''अंतर्राष्ट्रीय मानक पुस्तक संख्यांक''' इसे सामान्यत: आई.ऍस.बी.ऍन. ("इन्टरनेशनल स्टैन्डर्ड बुक नम्बर" या ISBN) कहा जाता है। यह प्रत्येक पुस्तक को उसका अपना अनूठा संख्यांक (सीरियल नम्बर) देने की विधि है। इस संख्यांक के द्वारा विश्व में प्रकाशित किसी भी पुस्तक को खोजा जा सकता है और उसके बारे में जानकारी प्राप्त की जा सकती है। पहले यह संख्यांक केवल [[उत्तरी अमेरिका]], [[यूरोप]] और [[जापान]] में प्रचलित था, किंतु आजकल यह पद्धति धीरे-धीरे पूरे विश्व में फैल गयी है। आई.ऍस.बी.ऍन. संख्यांक में 10 अंक होते थे, किंतु सन् 2007 के बाद से यह संख्यांक 13 अंक का होता है। | ||
==इतिहास== | ==इतिहास== | ||
{{tocright}} | {{tocright}} | ||
[[ब्रिटेन]] के प्रसिद्ध पुस्तक विक्रेता डब्ल्यू.एच. स्मिथ ने डब्लिन, आयरलैण्ड के ट्रिनिटी कॉलेज के गॉर्डन फॉस्टर नामक एक सेवानिवृत्त प्रोफ़ेसर से 1966 में अपनी पुस्तकों को संख्यांक देने की विधि बनवाई। गॉर्डन फॉस्टर ने एक 9 अंकों की प्रणाली का निर्माण किया और उन्होंने उसका नाम 'स्टैन्डर्ड बुक नम्बरिन्ग, ऍस.बी.ऍन., अर्थात मानक पुस्तक संख्यांक' रखा गया। | [[ब्रिटेन]] के प्रसिद्ध पुस्तक विक्रेता डब्ल्यू.एच. स्मिथ ने डब्लिन, आयरलैण्ड के ट्रिनिटी कॉलेज के गॉर्डन फॉस्टर नामक एक सेवानिवृत्त प्रोफ़ेसर से 1966 में अपनी पुस्तकों को संख्यांक देने की विधि बनवाई। गॉर्डन फॉस्टर ने एक 9 अंकों की प्रणाली का निर्माण किया और उन्होंने उसका नाम 'स्टैन्डर्ड बुक नम्बरिन्ग, ऍस.बी.ऍन., अर्थात मानक पुस्तक संख्यांक' रखा गया। सन् 1970 में अंतरराष्ट्रीय मानकीकरण संगठन (जिसको आइसो या ISO भी कहते हैं) ने इस 9 अंकीय विधि पर आधारित एक 10 अंक की मानक विधि का घोषणापत्र संख्या ISO 2108 में घोषित किया। यही मानक संख्या आई.ऍस.बी.ऍन. कहलाता है। सन् 2007 में इसका विस्तार करके इस संख्या को 13 अंकीय बना दिया गया, किंतु अभी भी 10 अंकीय संख्यांक देखने को मिलती हैं। | ||
==भारत में इतिहास== | ==भारत में इतिहास== |
Revision as of 14:00, 6 March 2012
अंतर्राष्ट्रीय मानक पुस्तक संख्यांक इसे सामान्यत: आई.ऍस.बी.ऍन. ("इन्टरनेशनल स्टैन्डर्ड बुक नम्बर" या ISBN) कहा जाता है। यह प्रत्येक पुस्तक को उसका अपना अनूठा संख्यांक (सीरियल नम्बर) देने की विधि है। इस संख्यांक के द्वारा विश्व में प्रकाशित किसी भी पुस्तक को खोजा जा सकता है और उसके बारे में जानकारी प्राप्त की जा सकती है। पहले यह संख्यांक केवल उत्तरी अमेरिका, यूरोप और जापान में प्रचलित था, किंतु आजकल यह पद्धति धीरे-धीरे पूरे विश्व में फैल गयी है। आई.ऍस.बी.ऍन. संख्यांक में 10 अंक होते थे, किंतु सन् 2007 के बाद से यह संख्यांक 13 अंक का होता है।
इतिहास
ब्रिटेन के प्रसिद्ध पुस्तक विक्रेता डब्ल्यू.एच. स्मिथ ने डब्लिन, आयरलैण्ड के ट्रिनिटी कॉलेज के गॉर्डन फॉस्टर नामक एक सेवानिवृत्त प्रोफ़ेसर से 1966 में अपनी पुस्तकों को संख्यांक देने की विधि बनवाई। गॉर्डन फॉस्टर ने एक 9 अंकों की प्रणाली का निर्माण किया और उन्होंने उसका नाम 'स्टैन्डर्ड बुक नम्बरिन्ग, ऍस.बी.ऍन., अर्थात मानक पुस्तक संख्यांक' रखा गया। सन् 1970 में अंतरराष्ट्रीय मानकीकरण संगठन (जिसको आइसो या ISO भी कहते हैं) ने इस 9 अंकीय विधि पर आधारित एक 10 अंक की मानक विधि का घोषणापत्र संख्या ISO 2108 में घोषित किया। यही मानक संख्या आई.ऍस.बी.ऍन. कहलाता है। सन् 2007 में इसका विस्तार करके इस संख्या को 13 अंकीय बना दिया गया, किंतु अभी भी 10 अंकीय संख्यांक देखने को मिलती हैं।
भारत में इतिहास
राजा राममोहन राय राष्ट्रीय एजेंसी, जो 'अंतर्राष्ट्रीय मानक पुस्तक संख्यांक' (ISBN) के लिए कार्यरत है। भारत के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने 1985 में भारत में ISBN प्रणाली प्रारम्भ की है। राजा राममोहन राय राष्ट्रीय एजेंसी (ISBN), मानव संसाधन विकास मंत्रालय, माध्यमिक शिक्षा एवं उच्च शिक्षा विभाग, A2/W4, कर्जन रोड बैरक, K.G. मार्ग, नई दिल्ली भारतीय प्रकाशकों, लेखक - सह - प्रकाशक, विश्वविद्यालयों और संस्थानों जैसे संगठनों के लिए पुस्तकों के प्रकाशन के लिए प्रारम्भ किया गया है। अंतर्राष्ट्रीय मानक बुक संख्या (ISBN) एक अद्वितीय अंतरराष्ट्रीय प्रकाशक पहचान संख्या है, जो विशेष पुस्तकों के प्रकाशनों के लिए ISBN छोटी मशीन पठनीय पहचान संख्या के रूप में जाना जाता है, जो पाठक और क्रयकर्ता के लिए पुस्तक तक सरल और आसान पहुंच बनाता है।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
- INTERNATIONAL STANDARD BOOK NUMBER (ISBN)
- INTERNATIONAL STANDARD BOOK NUMBER (ISBN)
- National ISBN Agencies
- indiabookstore
संबंधित लेख