ज़माना -आदित्य चौधरी: Difference between revisions
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"आप मोबाइल पर ही बात करते रहेंगे या मेरी भी बात सुनेंगे ?" | "आप मोबाइल पर ही बात करते रहेंगे या मेरी भी बात सुनेंगे ?" | ||
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"ओ नो मॅम! उनमें से कोई आदमी नहीं है सब के सब पति हैं... उनको छोड़िए... सब एक्सचेंज ऑफ़र में आए हैं और ऑक्शन में जाएँगे। बाइ द वे आपको तो एक्सचेंज ऑफ़र में इनट्रेस्ट नहीं है ? पुराने को भी एडजस्ट किया जा सकता है" | "ओ नो मॅम! उनमें से कोई आदमी नहीं है सब के सब पति हैं... उनको छोड़िए... सब एक्सचेंज ऑफ़र में आए हैं और ऑक्शन में जाएँगे। बाइ द वे आपको तो एक्सचेंज ऑफ़र में इनट्रेस्ट नहीं है ? पुराने को भी एडजस्ट किया जा सकता है" | ||
{{ | {{सम्पादकीय लेख}} | ||
"देखिए मुझे डीलक्स पति थोड़े महंगे लग रहे हैं इकॉनमी में क्या वॅराइटी है ?" | "देखिए मुझे डीलक्स पति थोड़े महंगे लग रहे हैं इकॉनमी में क्या वॅराइटी है ?" | ||
इकॉनमी में तो देवदास, लाल बादशाह, साजन, बालम, सैंया, मेरे महबूब ..." | इकॉनमी में तो देवदास, लाल बादशाह, साजन, बालम, सैंया, मेरे महबूब ..." | ||
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हम अक़्सर अच्छे-बुरे ज़माने को प्रमाण-पत्र देने वाले मठाधीश बनकर अनेक हास्यास्पद उपक्रम और पूर्वाग्रह से ग्रसित व्यवहार करने लगते हैं। जिससे नई पीढ़ी हमें 'आउट डेटेड' घोषित कर देती है और हम एक ऐसी दवाई बन जाते हैं जिसकी 'एक्सपाइरी डेट' भी निकल चुकी। | हम अक़्सर अच्छे-बुरे ज़माने को प्रमाण-पत्र देने वाले मठाधीश बनकर अनेक हास्यास्पद उपक्रम और पूर्वाग्रह से ग्रसित व्यवहार करने लगते हैं। जिससे नई पीढ़ी हमें 'आउट डेटेड' घोषित कर देती है और हम एक ऐसी दवाई बन जाते हैं जिसकी 'एक्सपाइरी डेट' भी निकल चुकी। | ||
ये तीन हानिकारक | ये तीन हानिकारक वाक्य- "महंगाई बहुत बढ़ गई है", "ज़माना बहुत ख़राब आ गया है", "आजकल के लड़के-लड़कियों में शर्म-लिहाज़ नहीं है" | ||
पूरी तरह से नकारात्मक दृष्टिकोण वाले हैं और 'विकासवादी' सोच के विपरीत हैं। | पूरी तरह से नकारात्मक दृष्टिकोण वाले हैं और 'विकासवादी' सोच के विपरीत हैं। | ||
मैंने 'प्रगतिवादी' के स्थान पर 'विकासवादी' शब्द का प्रयोग किया है, जिसका कारण मेरा 'प्रगति' की अपेक्षा 'विकास' में अधिक विश्वास करना है। 'प्रगति' किसी भी दिशा में हो सकती है लेकिन क्रमिक-विकास समाजिक-व्यवस्था के सुव्यवस्थित सम्पोषण के लिए ही होता है। प्रगति एक इकाई है तो विकास एक संस्था और वैसे भी विकास, प्रगति की तरह अचानक नहीं होता और क्रमिक-विकास निश्चित रूप से 'प्रगति' से अधिक प्रभावकारी और सुव्यवस्थित प्रजातांत्रिक व्यवस्था का सबसे सहज अंग है। | मैंने 'प्रगतिवादी' के स्थान पर 'विकासवादी' शब्द का प्रयोग किया है, जिसका कारण मेरा 'प्रगति' की अपेक्षा 'विकास' में अधिक विश्वास करना है। 'प्रगति' किसी भी दिशा में हो सकती है लेकिन क्रमिक-विकास समाजिक-व्यवस्था के सुव्यवस्थित सम्पोषण के लिए ही होता है। प्रगति एक इकाई है तो विकास एक संस्था और वैसे भी विकास, प्रगति की तरह अचानक नहीं होता और क्रमिक-विकास निश्चित रूप से 'प्रगति' से अधिक प्रभावकारी और सुव्यवस्थित प्रजातांत्रिक व्यवस्था का सबसे सहज अंग है। |
Revision as of 09:51, 17 March 2012
'ज़माना' -आदित्य चौधरी "आप मोबाइल पर ही बात करते रहेंगे या मेरी भी बात सुनेंगे ?" -आदित्य चौधरी प्रशासक एवं प्रधान सम्पादक |
टीका टिप्पणी और संदर्भ