गोवा के गिरजाघर: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
('{{पुनरीक्षण}} {{tocright}} '''गोवा के गिरजाघर''' लगभग सोलहवीं शता...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
No edit summary
Line 1: Line 1:
{{पुनरीक्षण}}
{{पुनरीक्षण}}
{{tocright}}
[[चित्र:Mae-De-Deus-Church-Saligao-Goa.jpg|thumb|250px|मॅई डे डियूज चर्च, सालगांव, [[गोवा]]]]
'''गोवा के गिरजाघर''' लगभग सोलहवीं शताब्दी में निर्मित हुए हैं। आज भी यह गिरजाघर पणजी-पोंडा मुख्य मार्ग के किनारे शान से खड़े हैं। इसी स्थान पर एक ओर [[पुर्तग़ाल]] के महान [[कवि]] तुईशद कामोंइश का विशाल पुतला खड़ा है, तो इसके दूसरी ओर [[महात्मा गाँधी]] की भव्य प्रतिमा है।  
'''गोवा के गिरजाघर''' लगभग सोलहवीं शताब्दी में निर्मित हुए हैं। आज भी यह गिरजाघर पणजी-पोंडा मुख्य मार्ग के किनारे शान से खड़े हैं। इसी स्थान पर एक ओर [[पुर्तग़ाल]] के महान [[कवि]] तुईशद कामोंइश का विशाल पुतला खड़ा है, तो इसके दूसरी ओर [[महात्मा गाँधी]] की भव्य प्रतिमा है।  
==पुर्तग़ाली गोथिका शैली==
==पुर्तग़ाली गोथिका शैली==
{{tocright}}
[[पुर्तग़ाली]] गोथिका शैली में बने चर्च की भव्य इमारत देखने लायक है। यहाँ का [[संत फ़्रांसिस आसिसी गिरजाघर गोवा|चर्च ऑफ़ सेंट फ्रांसिस आसिसी]], सेंट फ्रांसिस को पूरी तरह समर्पित है। यहाँ लकड़ी पर उकेरी गई कष्ठ कला और कई चित्र वाकई में दर्शनीय हैं। इस गिरिजाघर का आंतरिक ढ़ांचा कलात्मक और पांच घंतियों से सुशोभित है।  
[[पुर्तग़ाली]] गोथिका शैली में बने चर्च की भव्य इमारत देखने लायक है। यहाँ का [[संत फ़्रांसिस आसिसी गिरजाघर गोवा|चर्च ऑफ़ सेंट फ्रांसिस आसिसी]], सेंट फ्रांसिस को पूरी तरह समर्पित है। यहाँ लकड़ी पर उकेरी गई कष्ठ कला और कई चित्र वाकई में दर्शनीय हैं। इस गिरिजाघर का आंतरिक ढ़ांचा कलात्मक और पांच घंतियों से सुशोभित है।  
==रोमन कैथेलिक==
==रोमन कैथेलिक==
Line 20: Line 21:
[[Category:गिरजा घर]]
[[Category:गिरजा घर]]
[[Category:ईसाई धार्मिक स्थल]]
[[Category:ईसाई धार्मिक स्थल]]
[[Category:नया पन्ना मार्च-2012]]


__INDEX__
__INDEX__

Revision as of 10:57, 20 March 2012

चित्र:Icon-edit.gif इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव"

[[चित्र:Mae-De-Deus-Church-Saligao-Goa.jpg|thumb|250px|मॅई डे डियूज चर्च, सालगांव, गोवा]] गोवा के गिरजाघर लगभग सोलहवीं शताब्दी में निर्मित हुए हैं। आज भी यह गिरजाघर पणजी-पोंडा मुख्य मार्ग के किनारे शान से खड़े हैं। इसी स्थान पर एक ओर पुर्तग़ाल के महान कवि तुईशद कामोंइश का विशाल पुतला खड़ा है, तो इसके दूसरी ओर महात्मा गाँधी की भव्य प्रतिमा है।

पुर्तग़ाली गोथिका शैली

पुर्तग़ाली गोथिका शैली में बने चर्च की भव्य इमारत देखने लायक है। यहाँ का चर्च ऑफ़ सेंट फ्रांसिस आसिसी, सेंट फ्रांसिस को पूरी तरह समर्पित है। यहाँ लकड़ी पर उकेरी गई कष्ठ कला और कई चित्र वाकई में दर्शनीय हैं। इस गिरिजाघर का आंतरिक ढ़ांचा कलात्मक और पांच घंतियों से सुशोभित है।

रोमन कैथेलिक

गोवा का बैसिलिका ऑफ़ बाम जीसस चर्च तो रोमन कैथेलिक जगत में अपना महत्वपूर्ण स्थान रखता है। चार सदियों से सुरक्षित प्रसिद्ध संत फ्रांसिस जेवियर का शव इस गिरिजाघर में रखा है। 1605 में निर्मित इस चर्च में उनके जीवन के प्रसंगों को भितिचित्रों के माध्यम से जीवन करने का प्रयास किया गया है।

प्राचीन और विशाल गिरिजाघर

गोवा में चर्च ऑफ़ सेंट मोनिका और चैपल ऑफ़ सेंट एंथोनी भी शामिल हैं। प्राचीन और विशाल गिरिजाघरों के दान भी गोवा में सर्वसुलभ हैं। पुराने गोवा के गिरिजाघर 16वीं सदी में बनाए गए थे। कैथेड्रल चर्च यहाँ का सर्वाधिक विशाल और आकर्षक चर्च है।

महत्वपूर्ण त्योहार

क्रिसमस गोवा का महत्वपूर्ण त्योहार है। इस मौके पर गिरिजाघर को खूब सजाया जाता है। क्रिसमस का रहस्य क्रिसमस के शांति के बिना किसी भी धर्म का अस्तित्व संभव नहीं है। दरअसल, अब से तकरीबन दो हज़ार साल पहले ईसा मसीह के जन्म की खबर देवदूत ने चरवाई को सुनाई थी। ईसा मसीह ने साधारण दंपति के यहाँ साधारण सी गुफ़ा में जन्म लिया था। उनके जन्म की पहली खबर चरवाहों को मिली। इसमें यही संदेश निहित है कि ईशवर उनके ज़्यादा निकट होते हैं जो ग़रीब और मजबूर हैं। जाड़े की सर्द रात में किसी बेहद उपेक्षित सी लगने वाली जगह पर वह आशा की एक किरण की तरह उनकी जिंदगी में समाये हो सकते हैं। इसके अलावा, हर शिशु का जन्म चाहें वह कितनी भी विषम स्थितियों में हो, एक उजाला, एक प्रतीक है, स्थितियों में बदलाब का सुचक है। यही क्रिसमस का रहस्य है। हकीकत में यही क्रिसमस है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख