पार्वती तुकेश्वर महादेव मंदिर: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
No edit summary |
No edit summary |
||
Line 3: | Line 3: | ||
{{पुनरीक्षण}} | {{पुनरीक्षण}} | ||
===पार्वती तुकेश्वर महादेव मंदिर / केशरबाग शिव मंदिर=== | ===पार्वती तुकेश्वर महादेव मंदिर / केशरबाग शिव मंदिर=== | ||
[[चित्र:godess-parvati-tungareshwar.jpg|thumb|350px| | [[चित्र:godess-parvati-tungareshwar.jpg|thumb|350px|पार्वती तुकेश्वर महादेव मंदिर]] | ||
भगवान शंकर मृत्युलोक के देवता माने जाते हैं। यहां भगवान शंकर का परिवार गृहस्थ जीवन का सबसे अच्छा उदाहरण है। यह गृहस्थ जीवन से जुड़े हर व्यक्ति को जीवन में विपरीत परिस्थितियों में भी संतुलन और मिलजुल कर रहने की प्रेरणा देता है। इसलिए शिव परिवार का हर सदस्य माता पार्वती, श्रीगणेश, कार्तिकेय सहित उनके वाहन आदि भी धर्मावलंबियों के बीच पूजित हैं। | भगवान शंकर मृत्युलोक के देवता माने जाते हैं। यहां भगवान शंकर का परिवार गृहस्थ जीवन का सबसे अच्छा उदाहरण है। यह गृहस्थ जीवन से जुड़े हर व्यक्ति को जीवन में विपरीत परिस्थितियों में भी संतुलन और मिलजुल कर रहने की प्रेरणा देता है। इसलिए शिव परिवार का हर सदस्य माता पार्वती, श्रीगणेश, कार्तिकेय सहित उनके वाहन आदि भी धर्मावलंबियों के बीच पूजित हैं। | ||
Line 13: | Line 13: | ||
इस मंदिर की स्थापना कब हुई, इसका कोई प्रामाणिक इतिहास उपलब्ध नहीं है, लेकिन वहाँ पर लगे पट्ट की मानें तो करीब 400 वर्ष पहले इसका निर्माण हुआ था। बाद में लोकमाता देवी अहिल्याबाई ने इसका जीर्णोद्धार भी करवाया। | इस मंदिर की स्थापना कब हुई, इसका कोई प्रामाणिक इतिहास उपलब्ध नहीं है, लेकिन वहाँ पर लगे पट्ट की मानें तो करीब 400 वर्ष पहले इसका निर्माण हुआ था। बाद में लोकमाता देवी अहिल्याबाई ने इसका जीर्णोद्धार भी करवाया। | ||
[[चित्र:parvati temple.jpg|thumb|350px|पार्वती | [[चित्र:parvati temple.jpg|thumb|350px|माता पार्वती]] | ||
ऐतिहासिक साक्ष्य के मुताबिक 1810 से 1840 के बीच होलकर वंश की केशरबाई ने इसका निर्माण करवाया। यह मंदिर पूर्वमुखी है। पहले इसका बाहरी प्रवेशद्वार भी पूर्वमुखी ही था, जो अब सड़क निर्माण की वजह से पश्चिम मुखी हो गया है। मंदिर की ऊँचाई 75 फुट और चौड़ाई करीब 30 फुट है। पूरा मंदिर मराठा, राजपूत और आंशिक रूप से मुगल शैली में बनकर तैयार हुआ है। इसकी एक और सबसे बड़ी खासियत माँ पार्वती की अत्यंत सुंदर प्रतिमा है, जो करीब दो फुट ऊँची है। प्रतिमा वास्तव में इतनी सुंदर है, जैसे लगता है कि अभी बोल पड़ेगी। | ऐतिहासिक साक्ष्य के मुताबिक 1810 से 1840 के बीच होलकर वंश की केशरबाई ने इसका निर्माण करवाया। यह मंदिर पूर्वमुखी है। पहले इसका बाहरी प्रवेशद्वार भी पूर्वमुखी ही था, जो अब सड़क निर्माण की वजह से पश्चिम मुखी हो गया है। मंदिर की ऊँचाई 75 फुट और चौड़ाई करीब 30 फुट है। पूरा मंदिर मराठा, राजपूत और आंशिक रूप से मुगल शैली में बनकर तैयार हुआ है। इसकी एक और सबसे बड़ी खासियत माँ पार्वती की अत्यंत सुंदर प्रतिमा है, जो करीब दो फुट ऊँची है। प्रतिमा वास्तव में इतनी सुंदर है, जैसे लगता है कि अभी बोल पड़ेगी। | ||
Revision as of 12:34, 21 August 2012
thumb|पार्वती तुकेश्वर महादेव मंदिर लिंक पर क्लिक करके चित्र अपलोड करें
चित्र:Icon-edit.gif | इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव" |
पार्वती तुकेश्वर महादेव मंदिर / केशरबाग शिव मंदिर
thumb|350px|पार्वती तुकेश्वर महादेव मंदिर भगवान शंकर मृत्युलोक के देवता माने जाते हैं। यहां भगवान शंकर का परिवार गृहस्थ जीवन का सबसे अच्छा उदाहरण है। यह गृहस्थ जीवन से जुड़े हर व्यक्ति को जीवन में विपरीत परिस्थितियों में भी संतुलन और मिलजुल कर रहने की प्रेरणा देता है। इसलिए शिव परिवार का हर सदस्य माता पार्वती, श्रीगणेश, कार्तिकेय सहित उनके वाहन आदि भी धर्मावलंबियों के बीच पूजित हैं।
मध्यप्रदेश के इंदौर जिले मे भगवान शंकर के परिवार की भक्ति को ही समर्पित अत्यंत प्राचीन मंदिर है - पार्वती तुकेश्वर महादेव मंदिर। यह शिव मंदिर के नाम से जाना जाता है, किंतु वास्तव में यह माता पार्वती का दुर्लभ मंदिर है। देवाधिदेव महादेव को सबसे ज्यादा प्रिय पार्वतीजी के मंदिरों की संख्या देशभर में नहीं के बराबर है। यह मंदिर इंदौर के केशरबाग क्षेत्र में स्थित है। इस मंदिर के बारे में शहर में बहुत कम लोगों को जानकारी है।
मान्यता है कि इस मंदिर में माता पार्वती, श्री गणेश और महादेव के एक साथ दर्शन से पारिवारिक जीवन के कलह का अंत होता है और दांपत्य सुख प्राप्त होते हैं। माता पार्वती, उनकी गोद में श्री गणेश की मूर्ति और शिवलिंग दर्शन हर गृहस्थ के मन में दांपत्य रिश्तों में समर्पण भावना और संतान के लिए स्नेह का भाव पैदा करते है।
इस मंदिर की सबसे मुख्य विशेषता है कि माँ पार्वती की बेहद सुंदर सफेद संगमरमर की प्रतिमा, जिसके एक हाथ में कलश है और गोद में स्तनपान कर रहे बाल गणेशजी हैं, जो जीवंत दिखाई देती है। जबकि ठीक सामने शिवजी लिंगस्वरूप में विद्यमान है। माता पार्वती के ममतामयी और वात्सल्य रुप के दर्शन होते हैं।
इस मंदिर की स्थापना कब हुई, इसका कोई प्रामाणिक इतिहास उपलब्ध नहीं है, लेकिन वहाँ पर लगे पट्ट की मानें तो करीब 400 वर्ष पहले इसका निर्माण हुआ था। बाद में लोकमाता देवी अहिल्याबाई ने इसका जीर्णोद्धार भी करवाया। thumb|350px|माता पार्वती ऐतिहासिक साक्ष्य के मुताबिक 1810 से 1840 के बीच होलकर वंश की केशरबाई ने इसका निर्माण करवाया। यह मंदिर पूर्वमुखी है। पहले इसका बाहरी प्रवेशद्वार भी पूर्वमुखी ही था, जो अब सड़क निर्माण की वजह से पश्चिम मुखी हो गया है। मंदिर की ऊँचाई 75 फुट और चौड़ाई करीब 30 फुट है। पूरा मंदिर मराठा, राजपूत और आंशिक रूप से मुगल शैली में बनकर तैयार हुआ है। इसकी एक और सबसे बड़ी खासियत माँ पार्वती की अत्यंत सुंदर प्रतिमा है, जो करीब दो फुट ऊँची है। प्रतिमा वास्तव में इतनी सुंदर है, जैसे लगता है कि अभी बोल पड़ेगी।
श्वेत संगमरमर से बनी इस प्रतिमा का भाव यह है कि इसमें पुत्र व पति की सेवा का एक साथ ध्यान रखा जा रहा है। मंदिर के ही ठीक सामने कमलाकार प्राचीन फव्वारा भी है। वर्तमान में मंदिर का कुल क्षेत्रफल 150 गुणा 100 वर्गफुट ही रह गया है। हर वर्ष श्रावण मास में विद्वान पंडितों के सान्निध्य में अभिषेक, श्रृंगार, पूजा-अर्चना आदि अनुष्ठान कराए जाते हैं।
मंदिर का गर्भगृह काफी अंदर होने के बावजूद सूर्यनारायण की पहली किरण माँ पार्वती की प्रतिमा पर ही पड़ती है। इसलिए सूर्य के उदय होते ही माता पार्वती पर आने वाला प्रकाश देखकर ऐसा लगता है मानों सूर्यदेव जगतजननी की वंदना कर रहे हों। मंदिर की सुंदरता में चार चाँद लगाता है यहाँ का पीपल वृक्ष। समीप ही प्राचीन बावड़ी भी है जिसे सूखते हुए आज तक किसी ने नहीं देखा। भीषण गर्मी के मौसम में भी यह लबालब रहती है।
पार्वती मंदिर से ही लगे हुए दो और मंदिर भी हैं। एक है राम मंदिर और दूसरा है हनुमान मंदिर। प्राचीन राम मंदिर से ही एक सुरंग भूगर्भ से ही दोनों मंदिरों को जोड़ती है। यह बावड़ी के अंदर भी खुलती है। बताते हैं कि किसी समय यह सुरंग लालबाग मंदिर तक जाती थी। राम मंदिर के ठीक नीचे एक तहखाना भी है। मौजूदा समय में यह स्थल देवी अहिल्याबाई होलकर खासगी ट्रस्ट में शामिल है।
होलकर शासकों द्वारा प्रसिद्ध मराठी संत नाना महाराज तराणेकर को यहाँ का परंपरागत पुजारी नियुक्ति पत्र दिया गया था। इस आशय की सनद भी उन्हें प्रदान की गई थी, तभी से उनका परिवार यहाँ सेवारत है। मंदिर के पुजारी बाड़ा महाराज (विजय कामले) हैं।
शिव के प्रिय सावन माह में इस शिव-पार्वती के मंदिर में अपार जन समूह आता है। मंदिर में पूजा, अभिषेक कर शिव भक्त माता पार्वती और शिव से परिवारिक सुख और आनंद की कामना करते है।
इंदौर, भारत का प्रमुख शहर है। जो देश के सभी शहरों से सड़क, रेल और वायुमार्ग से सीधा जुड़ा है। केशरबाग के पार्वती मंदिर आने के लिए इंदौर में स्थानीय यातायात के साधन उपलब्ध हैं।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख