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| |+style="text-align:left; padding-left:10px; font-size:18px"|<font color="#003366">[[भारतकोश सम्पादकीय 4 सितम्बर 2012|भारतकोश सम्पादकीय<small>-आदित्य चौधरी</small>]]</font>
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| [[चित्र:Football-01.jpg|right|130px|link=भारतकोश सम्पादकीय 22 सितम्बर 2012]]
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| [[भारतकोश सम्पादकीय 22 सितम्बर 2012|चौकोर फ़ुटबॉल]]
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| ये दुनिया जितनी भी तरक़्क़ी कर रही है वह पहली श्रेणी वाले लोगों के कारण कर रही है और दुनिया में व्यवस्था संभालने का ज़िम्मा उनका है जो दूसरी श्रेणी के लोग हैं, अब रह जाते हैं तीसरी श्रेणी के लोग... तो आप ख़ुद ही सोच सकते हैं कि वे किस श्रेणी में आते हैं। ये लोग होते हैं चौकोर फ़ुटबॉल। [[भारतकोश सम्पादकीय 22 सितम्बर 2012|...पूरा पढ़ें]]
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| | [[भारतकोश सम्पादकीय -आदित्य चौधरी|पिछले लेख]] →
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| | [[भारतकोश सम्पादकीय 4 सितम्बर 2012|शाप और प्रतिज्ञा]] ·
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| | [[भारतकोश सम्पादकीय 21 अगस्त 2012|यादों का फंडा]]
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