भांमडल: Difference between revisions

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[[जनक]] की पटरानी का नाम [[विदेही]] था। उसके गर्भिणी होने पर प्रभावशाली देव (जो पूर्वजन्म में पिंगल साधु था) ने अपने पूर्वजन्म का स्मरण किया तथा जाना कि उसके उदर से एक अन्य जीव के साथ उसका भूतपूर्व शत्रु भी जन्म ले रहा है। एक जुड़वां पुत्र और कन्या का जन्म होने पर उस देव ने पुत्र का अपहरण कर लिया। वह उसे शिला पर पटककर मार डालना चाहता था किंतु उसे अपने पुण्यों का नाश करने की इच्छा नहीं हुई। अत: उसने उद्यान में ही बालक को रख दिया। गवाक्ष से चंद्रगति खेचर ने उसे देखा तो उठाकर अपनी पत्नी अंशुमता के पास लिटा दिया। वे दोनों पुत्रहीन थे। उसे पुत्र मानकर उन्होंने लालन-पालन किया। उसका नाम भांमडल रखा गया।
[[जनक]] की पटरानी का नाम [[विदेही]] था। उसके गर्भिणी होने पर प्रभावशाली देव (जो पूर्वजन्म में पिंगल साधु था) ने अपने पूर्वजन्म का स्मरण किया तथा जाना कि उसके उदर से एक अन्य जीव के साथ उसका भूतपूर्व शत्रु भी जन्म ले रहा है। एक जुड़वां पुत्र और कन्या का जन्म होने पर उस देव ने पुत्र का अपहरण कर लिया। वह उसे शिला पर पटककर मार डालना चाहता था किंतु उसे अपने पुण्यों का नाश करने की इच्छा नहीं हुई। अत: उसने उद्यान में ही बालक को रख दिया। गवाक्ष से चंद्रगति खेचर ने उसे देखा तो उठाकर अपनी पत्नी अंशुमता के पास लिटा दिया। वे दोनों पुत्रहीन थे। उसे पुत्र मानकर उन्होंने लालन-पालन किया। उसका नाम भांमडल रखा गया।


{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखे:- [[जनक]]
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Revision as of 13:02, 15 June 2010

जनक की पटरानी का नाम विदेही था। उसके गर्भिणी होने पर प्रभावशाली देव (जो पूर्वजन्म में पिंगल साधु था) ने अपने पूर्वजन्म का स्मरण किया तथा जाना कि उसके उदर से एक अन्य जीव के साथ उसका भूतपूर्व शत्रु भी जन्म ले रहा है। एक जुड़वां पुत्र और कन्या का जन्म होने पर उस देव ने पुत्र का अपहरण कर लिया। वह उसे शिला पर पटककर मार डालना चाहता था किंतु उसे अपने पुण्यों का नाश करने की इच्छा नहीं हुई। अत: उसने उद्यान में ही बालक को रख दिया। गवाक्ष से चंद्रगति खेचर ने उसे देखा तो उठाकर अपनी पत्नी अंशुमता के पास लिटा दिया। वे दोनों पुत्रहीन थे। उसे पुत्र मानकर उन्होंने लालन-पालन किया। उसका नाम भांमडल रखा गया।

{{#icon: Redirect-01.gif|ध्यान दें}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- जनक