हिन्दुस्तान ऐरोनॉटिक्स लिमिटेड: Difference between revisions

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'''हिन्दुस्तान ऐरोनॉटिक्स लिमिटेड''' [[भारत]] का एक सार्वजनिक प्रतिष्ठान है, जो हवाई संयन्त्र का निर्माण करता है। इसका मुख्यालय [[बंगलौर]] में है।  
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*इसकी शाखाएं  
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Revision as of 12:10, 5 July 2013

thumb|right|250px|हिन्दुस्तान ऐरोनॉटिक्स लिमिटेड का लोगो हिन्दुस्तान ऐरोनॉटिक्स लिमिटेड भारत का एक सार्वजनिक प्रतिष्ठान है, जो हवाई संयन्त्र का निर्माण करता है। इसका मुख्यालय बंगलौर में है।

  • इसकी शाखाएं
  1. नासिक
  2. कानपुर
  3. कोरापुट
  4. लखनऊ
  5. हैदराबाद
  6. कानपुर और उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जनपद के अमेठी संभाग के कोरबा में हैं।

स्थापना

दिसम्बर, 1940 में भूतपूर्व मैसूर राजसी राज्य एवं असाधारण दूरद्रष्टा उद्यमी श्री सेठ वालचन्द हीराचन्द के सहयोग से बंगलौर में हिन्दुस्तान एयरक्राफ्ट लिमिटेड की स्थापना के साथ ही भारतीय वैमानिकी उद्यम का श्रीगणेश हुआ। मार्च, 1949 में भारत सरकार इसका हिस्सेदार बन गई और 1952 में इसका प्रबंधन अपने वश कर लिया। हिन्दुस्तान एयरक्राफ्ट लिमिटेड को एरोनाटिक्स इण्डिया लिमिटेड तथा विमान निर्माण डिपो, कानपुर के साथ समामेलित करते हुए 1 अक्तूबर, 1964 को हिन्दुस्तान एरोनाटिक्स लिमिटेड (एच ए एल) का गठन किया गया। आज भारत भर में एच ए एल की 16 उत्पादन इकाइयाँ एवं 9 अनुसंधान व विकास केन्द्र हैं। इसके उत्पाद-क्रम में देशीय अनुसंधान व विकास के अधीन 12 प्रकार के विमान एवं लाइसेंस के अधीन 13 प्रकार के विमान हैं। एच ए एल द्वारा अब तक 3300 से भी अधिक विमानों, 3400 से अधिक विमान-इंजनों का उत्पादन तथा 7700 से अधिक विमानों एवं 26,000 से अधिक इंजनों का ओवरहाल किया गया है ।

परियोजना

thumb|right|250px|संस्थापक सेठ वालचन्द हीराचन्द एच ए एल द्वारा सैनिक एवं नागरिक उड्डयन के लिए अनेक अनुसंधान व विकास कार्य सफलतापूर्वक अपनाए गए हैं। ध्रुव-एड्वान्स्ड लाइट हेलिकाप्टर (ए एल एच), तेजस-लाइट कंबाट एयरक्राफ्ट (एल सी ए), माध्यमिक जेट प्रशिक्षक (आई जे टी) तथा विभिन्न सैनिक एवं नागरिक स्तरोत्थानों जैसी वर्तमान परियोजनाओं में गणनीय प्रगति प्राप्त हुई है। ध्रुव के उत्पादन के प्रथम वर्ष के दौरान ही मार्च, 2002 में, भारतीय थल सेना, वायुसेना एवं तटरक्षक को सुपुर्दगी कर दी गयी जो अनन्य उपलब्धि है।

  1. पीएसएलवी (ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान), जीएसएलवी (भू-स्थिर प्रक्षेपण यान), आई आर एस (भारतीय दूरस्थ उपग्रह) तथा इनसाट (भारतीय राष्ट्रीय उपग्रह) जैसे उपग्रह प्रक्षेपण यानों के निर्माण कार्य के अधीन भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रमों में एच ए एल ने गणनीय भूमिका निभायी है ।
  2. एच ए एल के दो संयुक्त क्षेत्रीय उद्यम भी हैं जैसे बी ए ई - एच ए एल साफ्टवेयर लिमिटेड तथा इण्डो रशियन एवियेशन लिमिटेड (इराल)। इन दोनों के अलावा अन्य प्रमुख विविधीकरण परियोजनाओं के रूप में औद्योगिक समुद्री गैस टर्बाइन एवं हवाई अड्डा सेवाएँ हैं। अंतर्राष्ट्रीय सहभागिता के अधीन अनेक सह-उत्पादन तथा संयुक्त क्षेत्रीय उद्यमों पर विचार किया जा रहा है।

आपूर्ति और सेवाएँ

thumb|right|250px|एच ए एल द्वारा नवनिर्मित निर्मित हैलीकाप्टर रूद्र एच ए एल की आपूर्तियाँ / सेवाएँ प्रमुख रूप से भारतीय रक्षा सेनाओं, तटरक्षक तथा सीमा सुरक्षा बल के लिए हैं। भारतीय विमान - वाहकों तथा राज्य सरकारों को भी परिवहन विमानों तथा हेलिकाप्टरों की पूर्ति की गयी है। कंपनी ने गुणवत्ता एवं किफायती दरों के माध्यम से 30 से अधिक देशों में निर्यात क्षेत्र में पदार्पण किया है।

पुरस्कार

एच ए एल को अनुसंधान व विकास, प्रौद्योगिकी, प्रबंधकीय निष्पादन, निर्यात, ऊर्जा की बचत, गुणवत्ता एवं सामाजिक दायित्वों के निर्वहण में अनेक अंतर्राष्ट्रीय व राष्ट्रीय पुरस्कार मिले हैं।

  1. गुणवत्ता एवं दक्षता में कारपोरेट उपलब्धि के लिए अंतर्राष्ट्रीय सूचना एवं विपणन केन्द्र (आई आई एम सी) ने मेसर्स ग्लोबल रेटिंग, यूनाइटेड किंगडम के संयोजन से मेसर्स हिन्दुस्तान एरोनाटिक्स लिमिटेड को अंतर्राष्ट्रीय शिखर सम्मेलन (वैश्विक मूल्यांकन नेता 2003), लंदन, यू.के. में "अंतर्राष्टीय स्वर्ण पदक पुरस्कार" से सम्मानित किया है।
  2. गुणवत्ता, नेतृत्व, प्रौद्योगिकी एवं प्रवर्तन के प्रति एच ए एल की वचनबद्धता की पहचान के रूप में स्वर्ण संवर्ग में अंतर्राष्ट्रीय "यूरोप का चाप" पुरस्कार भी कंपनी को प्रदान किया गया है।
  3. राष्ट्रीय स्तर पर "स्कोप" (सरकारी उद्यमों का स्थायी सम्मेलन) द्वारा प्रवर्तित उच्च पुरस्कार अर्थात् सरकारी उपक्रम प्रबंधन में उत्कृष्टता के लिए "स्वर्ण पारितोषिक" एच ए एल को मिला है।
  4. रीजनल एक्सपोर्ट अवार्ड 2008
  5. दि सप्लायर आफ द इयर 2009

नए शिखर

कंपनी वित्त वर्ष 2002-03 के दौरान 3120 करोड़ रुपए की कुल बिक्री एवं 103.89 करोड़ रुपए के निर्यात प्राप्त करके नए शिखर पर पहुँच गयी है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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