हेमकुण्ड साहिब: Difference between revisions

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*हेमकुण्ड साहिब गुरुद्वारा की खोज [[1930]] में हवलदार सोहन सिंह ने की थी।  
*हेमकुण्ड साहिब गुरुद्वारा की खोज [[1930]] में हवलदार सोहन सिंह ने की थी।  
*समुद्र सतह से 4329 मीटर ऊंचाई पर स्थित इस गुरुद्वारे का निर्माण 70 के दशक में पूर्ण हुआ।
*समुद्र सतह से 4329 मीटर ऊंचाई पर स्थित इस गुरुद्वारे का निर्माण 70 के दशक में पूर्ण हुआ।
*मान्यता है कि सिक्खों के दसवें गुरू [[गुरु गोविंद सिंह|गुरू गोविंद सिंह जी]] ने यहां पर तपस्या की थी।
*मान्यता है कि सिक्खों के दसवें गुरु [[गुरु गोविंद सिंह|गुरु गोविंद सिंह जी]] ने यहां पर तपस्या की थी।
*हेमकुण्ड साहिब पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को गोविंदधाम से 19 किलोमीटर पर्वतीय मार्ग की पैदल यात्रा करनी पड़ती है।  
*हेमकुण्ड साहिब पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को गोविंदधाम से 19 किलोमीटर पर्वतीय मार्ग की पैदल यात्रा करनी पड़ती है।  
*यह जगह सात [[पर्वत]] चोटियों में एक कुण्ड के पास है। हेमकुण्ड के पास सप्तऋषि चोटियां है, जिनपर खालसा पंथ का प्रतीक निशान साहिब पर ध्वज लहराते हैं।
*यह जगह सात [[पर्वत]] चोटियों में एक कुण्ड के पास है। हेमकुण्ड के पास सप्तऋषि चोटियां है, जिनपर खालसा पंथ का प्रतीक निशान साहिब पर ध्वज लहराते हैं।

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thumb|250px| हेमकुण्ड साहिब हेमकुण्ड साहिब उत्तराखण्ड राज्य के चमोली ज़िले में स्थित सिक्खों का प्रमुख धार्मिक स्थल है।

  • हेमकुण्ड साहिब को 'हेमकुण्ड पर्वत' के नाम से जाना जाता है। इसके अतिरिक्त तारे के आकार में बना गुरुद्वारा जो इस झील के समीप ही है सिख धर्म के प्रमुख धार्मिक स्थानों में से एक है।
  • हेमकुण्ड साहिब गुरुद्वारा की खोज 1930 में हवलदार सोहन सिंह ने की थी।
  • समुद्र सतह से 4329 मीटर ऊंचाई पर स्थित इस गुरुद्वारे का निर्माण 70 के दशक में पूर्ण हुआ।
  • मान्यता है कि सिक्खों के दसवें गुरु गुरु गोविंद सिंह जी ने यहां पर तपस्या की थी।
  • हेमकुण्ड साहिब पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को गोविंदधाम से 19 किलोमीटर पर्वतीय मार्ग की पैदल यात्रा करनी पड़ती है।
  • यह जगह सात पर्वत चोटियों में एक कुण्ड के पास है। हेमकुण्ड के पास सप्तऋषि चोटियां है, जिनपर खालसा पंथ का प्रतीक निशान साहिब पर ध्वज लहराते हैं।
  • हेमकुण्ड साहिब साल में सिर्फ तीन महीने के लिए ही श्रद्धालुओं के लिए खोले जाते हैं।


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