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'''मसूरी'''
रंगो का हमारे जीवन में बहुत अधिक महत्व है। हम अपने चारों तरफ अनेक प्रकार के रंगो से प्रभावित होते है। रंगों की उत्पत्ति का जनक सूर्य को माना जाता है। रंग, मानवी आँखों के [[वर्णक्रम]] से मिलने पर छाया सम्बंधी गतिविधियों से से उत्पन्न होते हैं। मूल रूप से [[इंद्रधनुष]] के सात रंगों को ही रंगों का जनक माना जाता है, ये सात रंग [[लाल]], [[नारंगी], [[पीला]], [[हरा]], [[आसमानी]], [[नीला]] तथा [[बैंगनी]] हैं।
{{सूचना बक्सा पर्यटन
 
|चित्र=
मानवी गुण धर्म के आभासी बोध के अनुसार लाल, नीला व हरा रंग होता है। रंग की श्रेणियाँ एवं भौतिक विनिर्देश वस्तु,  प्रकाश स्त्रोत इत्यादि की भौतिक गुणधर्म जैसे प्रकाश अन्तर्लयन, विलयन, समावेशन, परावर्तन जुङे होते हैं।
|विवरण=प्रकृति की गोद में बसा हुआ मसूरी उत्तराखंड का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है, जिसे "पहाड़ो की रानी" भी कहा जाता है।
==रंगों का नामकरण==
|राज्य=[[उत्तराखण्ड]]
हर सभ्यता ने रंग को अपने लिहाज से गढ़ा है लेकिन इत्तेफाक से किसी ने भी ज्यादा रंगों का नामकरण नहीं किया । ज्यादातर भाषाओं में रंगों को दो ही तरह से बांटा गया है। पहला सफेद यानी हल्का और काला यानी चटक अंदाज लिए हुए।
|ज़िला=[[देहरादून ज़िला]]
 
|निर्माता=कैप्टन यंग
*अरस्तु ने चौथी शताब्दी के ईसापूर्व  में नीले और पीले की गिनती प्रारंभिक रंगो में की। इसकी तुलना प्राकृतिक चीजों से की गई जैसे सूरज-चांद, स्त्री-पुरूष, फैलना-सिकुड़ना, दिन-रात, आदि। यह तकरीबन दो हजार वर्षों तक प्रभावी रहा।
|स्वामित्व=
*17-18वीं शताब्दी में न्यूटन के सिध्दांत ने इसे सामान्य रंगों में बदल दिया। 1672 में न्यूटन ने रंगो पर अपना पहला पेपर प्रस्तुत किया था जो बहुत विवादों में रहा।
|प्रबंधक=
*गोथे ने न्यूटन के सिध्दांत को पूरी तरह नकारते हुए 'थ्योरी ऑफ़ कलर्स (Theory Of Colours)'  नामक किताब लिखी। गोथे के सिध्दांत अरस्तु से मिलते हैं। गोथे ने कहा कि गहरे अंधेरे में से सबसे पहले नीला रंग निकलता है, यह गहरेपन को दर्शाता है। वहीं उगते हुए सूरज में से पीला रंग सबसे पहले निकलता है जो हल्के रंगों का प्रतिनिधित्व करता है।
|निर्माण काल=
*19 वीं शताब्दी में कलर थेरेपी का प्रभाव कम हुआ लेकिन 20वीं शताब्दी में यह नए स्वरूप में पैदा हुआ। आज के कई डॉक्टर कलर थेरेपी को इलाज का बढ़िया माध्यम मानकर इसका इस्तेमाल करते हैं।
|स्थापना=1827
*रंग विशेषज्ञ मानते हैं कि हमें प्रकृति से सानिध्य बनाते हुए रंगों को कलर थेरेपी के बजाव जिन्दगी के तौर पर अपनाना चाहिए। रंगों को समझने में सबसे बड़ा योगदान उन लोगों ने किया जो [[विज्ञान]], [[गणित]], तत्व विज्ञान और [[धर्मशास्त्र]]  के अनुसार काम करते थे।
|भौगोलिक स्थिति=
*आस्टवाल्ड नामक वैज्ञानिक ने आठ आदर्श रंगो को विशेष क्रम से एक क्रम में संयोजित किया है। इस चक्र को आस्टवाल्ड वर्ण चक्र कहते है। इस चक्र में प्रदर्शित किये गये आठ आदर्श रंगो को निम्न विशेष क्रम में प्रदर्शित किया जा सकता है-
|मार्ग स्थिति=[[दिल्ली]] से मसूरी की दूरी 266 किमी तथा [[देहरादून]] से मसूरी की दूरी 32 किमी
**पीला                  **नारंगी
|प्रसिद्धि=बर्फ से ढ़के [[हिमालय]] और दून घाटी के बीच बसा मसूरी पर्यटन का सबसे आकर्षक स्थल है। मसूरी [[गंगोत्री]] मंदिर का प्रवेश द्वार है।
**लाल                  **बैंगनी
|कब जाएँ=
**नीला                  **नीलमणी या [[आसमानी]]
|यातायात=
**[[समुद्री हरा]]          **[[धानी]] या पत्ती हरा
|हवाई अड्डा=जौली ग्रान्ट एयरपोर्ट एयरपोर्ट, देहरादून
==रंगो के प्रकार==
|रेलवे स्टेशन=देहरादून रेलवे स्टेशन
रंगो को तीन भागो में विभाजित किया जा सकता है-
|बस अड्डा=
*प्राथमिक रंग या मूल रंग
|कैसे पहुँचें=देहरादून से बस और टैक्सी
*गर्म या ठंड़े रंग
|क्या देखें=केम्पटी फ़ॉल, गनहिल, लेक मिस्ट, संतरा देवी मंदिर
*विरोधी रंग या पूरक रंग
|कहाँ ठहरें=
====प्राथमिक रंग या मूल रंग====
|क्या खायें=
प्राथमिक रंग या मूल रंग वे है जो किसी मिश्रण के द्वारा प्राप्त नहीं किये जा सकते है। ये रंग निम्न है-
|क्या ख़रीदें=[[मसूर]], गर्म कपड़े (फ़िरन)
*पीला
|एस.टी.डी. कोड=0135
*लाल
|ए.टी.एम=लगभग सभी   
*नीला
|सावधानी=बरसात में भूस्खलन
*हरा
|मानचित्र लिंक=[http://maps.google.co.in/maps?f=d&source=s_d&saddr=New+Delhi,+Delhi&daddr=NH+58+to:30.040566,78.206177+to:Masuri,+Uttarakhand&geocode=FazwtAEdAFyaBCkttn40W_0MOTHOTSBOSbfCUg%3BFcYIxgEdfO-jBA%3B%3BFVCh0AEdAGinBClb2hymz9AIOTGxhQ6YfdR_GQ&hl=en&mra=dpe&mrcr=0&mrsp=2&sz=8&via=1,2&sll=29.544788,77.65686&sspn=3.535998,7.13562&ie=UTF8&z=8 गूगल मानचित्र], [http://maps.google.co.in/maps?f=d&source=s_d&saddr=Mussoorie+Rd&daddr=Raipur+Rd+to:30.189057,78.180771&geocode=FQ6E0AEdIHCnBA%3BFTZ3zgEdOK2nBA%3B&hl=en&mra=dme&mrcr=0&mrsp=2&sz=11&via=1&sll=30.301761,78.189697&sspn=0.438698,0.891953&ie=UTF8&ll=30.318951,78.097687&spn=0.438621,0.891953&z=11 हवाई अड्डा]
====गर्म या ठंड़े रंग====
|संबंधित लेख=
जिन रंगो में लाल रंग का प्रभाव माना जाता है उन्हें गर्म रंग कहा जाता है। गर्म रंग निम्न है-
|पाठ 1=
*पीला
|शीर्षक 1=
*लाल
|पाठ 2=
*नारंगी
|शीर्षक 2=
*बैंगनी
|अन्य जानकारी=
जिन रंगो में नीले रंग का प्रभाव माना जाता है उन्हें ठंड़े रंग कहा जाता है। ठंड़े रंग निम्न है-
|बाहरी कड़ियाँ=
*नीलमणी या आसमानी
}}
*समुद्री हरा
*धानी या पत्ती हरा
====विरोधी रंग या पूरक रंग====
आस्टवाल्ड वर्ण चक्र में प्रदर्शित किये गये आमने सामने के रंग विरोधी रंग कहलाते है। जैसे- नीले का विरोधी रंग पीला, नारंगी का आसमानी व बैंगनी का विरोधी रंग धानी है।
==रंगों का महत्व==
इन रंगों को देखकर ही हम स्थिति के बारे में पता लगाते है। इंद्रधनुष के रंगों की छटा हमारे मन को बहुत आकर्षित करता है। हम रंगों के बिना अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। रंगों के बिना हमारा जीवन ठीक वैसा ही है, जैसे प्राण बिना शरीर। बाल्यावस्था में बच्चे रंगों की सहायता से ही वस्तुओं को पहचानता है। युवक रंगों के माध्यम से ही संसार का सर्जन करता है। वृद्ध की कमजोर आँखें रंगो की सहायता से वस्तुओं का नाम प्राप्त करती है।
 
 
" प्रकृति की सुन्दरता अवर्णनीय है और इसकी सुन्दरता मे चार चांद लगाते है ये रंग। सूर्य की लालिमा हो या खेतों की हरियीली, आसमान का नीलापन या मेघों का कालापन, बारिश के बाद मे बिखरती इन्द्रधनुष की अनोखी छटा, बर्फ की सफेदी और ना जाने कितने ही खुबसुरत नज़ारे जो हमारे अंतरंग आत्मा को प्रफुल्लित करता है। इस आनंद का राज है रंगों की अनुभूति।  मानव जीवन रंगों के बिना उदास और सुना है।  मुख्यत: सात रंगों की इस सृष्टि मे हर एक रंग हमारे जीवन पर असर छोड़ता है . कोई रंग हमें उत्तेजित करता है तो कोई रंग प्यार के लिये प्रेरित करता है। कुछ रंग हमें शांति का एहसास करता है तो कुछ रंग मातम का प्रतीक है। दुसरे शब्दों मे कह सकते है कि हमारे जीवन पर रंग का बहुत असर है। हर एक रंग अलग-अलग इंसान पर अलग-अलग तरीके से आन्दोलित करता है। " .............गुंजन सुन्दरानी
====धार्मिक महत्व====
रंगो का महत्व हमारे जीवन में पौराणिक काल से ही रहा है। हमारे देवी-देवताओं को भी कुछ खास रंग विशेष प्रिय हैं। यहां तक कि ये विशेष रंगों से पहचाने भी जाते हैं।
*लाल-  मां [[लक्ष्मी]] को लाल रंग प्रिय है। लाल रंग हमें आगे बढने की प्रेरणा देता है।
*पीला- भगवान [[कृष्ण]] को पीतांबरधारी भी कहते हैं, क्योंकि वे पीले रंग के वस्त्रों से सुशोभित रहते हैं।
*काला-[[शनिदेव]] को काला रंग प्रिय है। काला रंग तमस का कारक है।
*सफेद- [[ब्रह्मा]] के वस्त्र सफेद हैं, जो इस बात को प्रमाणित करते हैं कि ब्रह्म, यानी ईश्वर सभी लोगों के प्रति समान भाव रखते हैं।
*भगवा- संन्यासी भगवा वस्त्र पहनते हैं। भगवा रंग लाल और पीले रंग का मिश्रण है।

Revision as of 13:23, 13 July 2010

रंगो का हमारे जीवन में बहुत अधिक महत्व है। हम अपने चारों तरफ अनेक प्रकार के रंगो से प्रभावित होते है। रंगों की उत्पत्ति का जनक सूर्य को माना जाता है। रंग, मानवी आँखों के वर्णक्रम से मिलने पर छाया सम्बंधी गतिविधियों से से उत्पन्न होते हैं। मूल रूप से इंद्रधनुष के सात रंगों को ही रंगों का जनक माना जाता है, ये सात रंग लाल, [[नारंगी], पीला, हरा, आसमानी, नीला तथा बैंगनी हैं।

मानवी गुण धर्म के आभासी बोध के अनुसार लाल, नीला व हरा रंग होता है। रंग की श्रेणियाँ एवं भौतिक विनिर्देश वस्तु, प्रकाश स्त्रोत इत्यादि की भौतिक गुणधर्म जैसे प्रकाश अन्तर्लयन, विलयन, समावेशन, परावर्तन जुङे होते हैं।

रंगों का नामकरण

हर सभ्यता ने रंग को अपने लिहाज से गढ़ा है लेकिन इत्तेफाक से किसी ने भी ज्यादा रंगों का नामकरण नहीं किया । ज्यादातर भाषाओं में रंगों को दो ही तरह से बांटा गया है। पहला सफेद यानी हल्का और काला यानी चटक अंदाज लिए हुए।

  • अरस्तु ने चौथी शताब्दी के ईसापूर्व  में नीले और पीले की गिनती प्रारंभिक रंगो में की। इसकी तुलना प्राकृतिक चीजों से की गई जैसे सूरज-चांद, स्त्री-पुरूष, फैलना-सिकुड़ना, दिन-रात, आदि। यह तकरीबन दो हजार वर्षों तक प्रभावी रहा।
  • 17-18वीं शताब्दी में न्यूटन के सिध्दांत ने इसे सामान्य रंगों में बदल दिया। 1672 में न्यूटन ने रंगो पर अपना पहला पेपर प्रस्तुत किया था जो बहुत विवादों में रहा।
  • गोथे ने न्यूटन के सिध्दांत को पूरी तरह नकारते हुए 'थ्योरी ऑफ़ कलर्स (Theory Of Colours)' नामक किताब लिखी। गोथे के सिध्दांत अरस्तु से मिलते हैं। गोथे ने कहा कि गहरे अंधेरे में से सबसे पहले नीला रंग निकलता है, यह गहरेपन को दर्शाता है। वहीं उगते हुए सूरज में से पीला रंग सबसे पहले निकलता है जो हल्के रंगों का प्रतिनिधित्व करता है।
  • 19 वीं शताब्दी में कलर थेरेपी का प्रभाव कम हुआ लेकिन 20वीं शताब्दी में यह नए स्वरूप में पैदा हुआ। आज के कई डॉक्टर कलर थेरेपी को इलाज का बढ़िया माध्यम मानकर इसका इस्तेमाल करते हैं।
  • रंग विशेषज्ञ मानते हैं कि हमें प्रकृति से सानिध्य बनाते हुए रंगों को कलर थेरेपी के बजाव जिन्दगी के तौर पर अपनाना चाहिए। रंगों को समझने में सबसे बड़ा योगदान उन लोगों ने किया जो विज्ञान, गणित, तत्व विज्ञान और धर्मशास्त्र के अनुसार काम करते थे।
  • आस्टवाल्ड नामक वैज्ञानिक ने आठ आदर्श रंगो को विशेष क्रम से एक क्रम में संयोजित किया है। इस चक्र को आस्टवाल्ड वर्ण चक्र कहते है। इस चक्र में प्रदर्शित किये गये आठ आदर्श रंगो को निम्न विशेष क्रम में प्रदर्शित किया जा सकता है-

रंगो के प्रकार

रंगो को तीन भागो में विभाजित किया जा सकता है-

  • प्राथमिक रंग या मूल रंग
  • गर्म या ठंड़े रंग
  • विरोधी रंग या पूरक रंग

प्राथमिक रंग या मूल रंग

प्राथमिक रंग या मूल रंग वे है जो किसी मिश्रण के द्वारा प्राप्त नहीं किये जा सकते है। ये रंग निम्न है-

  • पीला
  • लाल
  • नीला
  • हरा

गर्म या ठंड़े रंग

जिन रंगो में लाल रंग का प्रभाव माना जाता है उन्हें गर्म रंग कहा जाता है। गर्म रंग निम्न है-

  • पीला
  • लाल
  • नारंगी
  • बैंगनी

जिन रंगो में नीले रंग का प्रभाव माना जाता है उन्हें ठंड़े रंग कहा जाता है। ठंड़े रंग निम्न है-

  • नीलमणी या आसमानी
  • समुद्री हरा
  • धानी या पत्ती हरा

विरोधी रंग या पूरक रंग

आस्टवाल्ड वर्ण चक्र में प्रदर्शित किये गये आमने सामने के रंग विरोधी रंग कहलाते है। जैसे- नीले का विरोधी रंग पीला, नारंगी का आसमानी व बैंगनी का विरोधी रंग धानी है।

रंगों का महत्व

इन रंगों को देखकर ही हम स्थिति के बारे में पता लगाते है। इंद्रधनुष के रंगों की छटा हमारे मन को बहुत आकर्षित करता है। हम रंगों के बिना अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। रंगों के बिना हमारा जीवन ठीक वैसा ही है, जैसे प्राण बिना शरीर। बाल्यावस्था में बच्चे रंगों की सहायता से ही वस्तुओं को पहचानता है। युवक रंगों के माध्यम से ही संसार का सर्जन करता है। वृद्ध की कमजोर आँखें रंगो की सहायता से वस्तुओं का नाम प्राप्त करती है।


" प्रकृति की सुन्दरता अवर्णनीय है और इसकी सुन्दरता मे चार चांद लगाते है ये रंग। सूर्य की लालिमा हो या खेतों की हरियीली, आसमान का नीलापन या मेघों का कालापन, बारिश के बाद मे बिखरती इन्द्रधनुष की अनोखी छटा, बर्फ की सफेदी और ना जाने कितने ही खुबसुरत नज़ारे जो हमारे अंतरंग आत्मा को प्रफुल्लित करता है। इस आनंद का राज है रंगों की अनुभूति। मानव जीवन रंगों के बिना उदास और सुना है। मुख्यत: सात रंगों की इस सृष्टि मे हर एक रंग हमारे जीवन पर असर छोड़ता है . कोई रंग हमें उत्तेजित करता है तो कोई रंग प्यार के लिये प्रेरित करता है। कुछ रंग हमें शांति का एहसास करता है तो कुछ रंग मातम का प्रतीक है। दुसरे शब्दों मे कह सकते है कि हमारे जीवन पर रंग का बहुत असर है। हर एक रंग अलग-अलग इंसान पर अलग-अलग तरीके से आन्दोलित करता है। " .............गुंजन सुन्दरानी

धार्मिक महत्व

रंगो का महत्व हमारे जीवन में पौराणिक काल से ही रहा है। हमारे देवी-देवताओं को भी कुछ खास रंग विशेष प्रिय हैं। यहां तक कि ये विशेष रंगों से पहचाने भी जाते हैं।

  • लाल- मां लक्ष्मी को लाल रंग प्रिय है। लाल रंग हमें आगे बढने की प्रेरणा देता है।
  • पीला- भगवान कृष्ण को पीतांबरधारी भी कहते हैं, क्योंकि वे पीले रंग के वस्त्रों से सुशोभित रहते हैं।
  • काला-शनिदेव को काला रंग प्रिय है। काला रंग तमस का कारक है।
  • सफेद- ब्रह्मा के वस्त्र सफेद हैं, जो इस बात को प्रमाणित करते हैं कि ब्रह्म, यानी ईश्वर सभी लोगों के प्रति समान भाव रखते हैं।
  • भगवा- संन्यासी भगवा वस्त्र पहनते हैं। भगवा रंग लाल और पीले रंग का मिश्रण है।