आज़ादी की चाह -जवाहरलाल नेहरू: Difference between revisions
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Revision as of 01:33, 6 August 2014
आज़ादी की चाह -जवाहरलाल नेहरू
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मूल शीर्षक | जवाहरलाल नेहरू |
प्रकाशक | भारतकोश प्रकाशन |
प्रकाशन तिथि | 2014 |
देश | भारत |
पृष्ठ: | 80 |
भाषा | हिन्दी |
शैली | प्रेरक प्रसंग |
मुखपृष्ठ रचना | प्रेरक प्रसंग-भारतकोश |
बात उस समय की है जब जवाहरलाल नेहरू किशोर अवस्था के थे। पिता मोतीलाल नेहरू उन दिनों अंग्रेजों से भारत को आज़ाद कराने की मुहिम में शामिल थे। इसका असर बालक जवाहर पर भी पड़ा। मोतीलाल ने पिंजरे में तोता पाल रखा था। एक दिन जवाहर ने तोते को पिंजरे से आज़ाद कर दिया। मोतीलाल को तोता बहुत प्रिय था। उसकी देखभाल एक नौकर करता था। नौकर ने यह बात मोतीलाल को बता दी।
मोतीलाल ने जवाहर से पूछा, 'तुमने तोता क्यों उड़ा दिया।
बालक जवाहर ने कहा, 'पिताजी पूरे देश की जनता आज़ादी चाह रही है। तोता भी आज़ादी चाह रहा था, सो मैंने उसे आज़ाद कर दिया।'
मोतीलाल बालक जवाहर का मुंह देखते रह गये।
- आगे पढ़ने के लिए जवाहरलाल नेहरू -भारतकोश पर जाएँ
टीका टिप्पणी और संदर्भबाहरी कड़ियाँसंबंधित लेख |
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