आज़ादी की चाह -जवाहरलाल नेहरू: Difference between revisions

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बात उस समय की है जब जवाहरलाल नेहरू किशोर अवस्था के थे। पिता मोतीलाल नेहरू उन दिनों अंग्रेजों से भारत को आज़ाद कराने की मुहिम में शामिल थे। इसका असर बालक जवाहर पर भी पड़ा। मोतीलाल ने पिंजरे में तोता पाल रखा था। एक दिन जवाहर ने तोते को पिंजरे से आज़ाद कर दिया। मोतीलाल को तोता बहुत प्रिय था। उसकी देखभाल एक नौकर करता था। नौकर ने यह बात मोतीलाल को बता दी।
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Revision as of 03:37, 9 August 2014

आज़ादी की चाह -जवाहरलाल नेहरू
विवरण जवाहरलाल नेहरू के प्रेरक प्रसंग
भाषा हिंदी
देश भारत
मूल शीर्षक प्रेरक प्रसंग
संकलनकर्ता अशोक कुमार शुक्ला

बात उस समय की है जब जवाहरलाल नेहरू किशोर अवस्था के थे। पिता मोतीलाल नेहरू उन दिनों अंग्रेजों से भारत को आज़ाद कराने की मुहिम में शामिल थे। इसका असर बालक जवाहर पर भी पड़ा। मोतीलाल ने पिंजरे में तोता पाल रखा था। एक दिन जवाहर ने तोते को पिंजरे से आज़ाद कर दिया। मोतीलाल को तोता बहुत प्रिय था। उसकी देखभाल एक नौकर करता था। नौकर ने यह बात मोतीलाल को बता दी।

मोतीलाल ने जवाहर से पूछा, 'तुमने तोता क्यों उड़ा दिया।

बालक जवाहर ने कहा, 'पिताजी पूरे देश की जनता आज़ादी चाह रही है। तोता भी आज़ादी चाह रहा था, सो मैंने उसे आज़ाद कर दिया।'

मोतीलाल बालक जवाहर का मुंह देखते रह गये।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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