बुद्ध की सभा -महात्मा बुद्ध: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
m (Text replace - " करीब" to " क़रीब")
Line 30: Line 30:


<poem style="background:#fbf8df; padding:15px; font-size:14px; border:1px solid #003333; border-radius:5px">
<poem style="background:#fbf8df; padding:15px; font-size:14px; border:1px solid #003333; border-radius:5px">
[[बुद्ध|महात्मा बुद्ध]] को एक सभा में भाषण करना था। जब समय हो गया तो महात्मा बुद्ध आए और बिना कुछ बोले ही वहाँ से चल गए। तकरीबन एक सौ पचास के करीब श्रोता थे। दूसरे दिन तकरीबन सौ लोग थे पर फिर उन्होंने ऐसा ही किया बिना बोले चले गए। इस बार पचास कम हो गए।
[[बुद्ध|महात्मा बुद्ध]] को एक सभा में भाषण करना था। जब समय हो गया तो महात्मा बुद्ध आए और बिना कुछ बोले ही वहाँ से चल गए। तकरीबन एक सौ पचास के क़रीब श्रोता थे। दूसरे दिन तकरीबन सौ लोग थे पर फिर उन्होंने ऐसा ही किया बिना बोले चले गए। इस बार पचास कम हो गए।


तीसरा दिन हुआ साठ के करीब लोग थे महात्मा बुद्ध आए, इधर – उधर देखा और बिना कुछ कहे वापिस चले गए। चौथा दिन हुआ तो कुछ लोग और कम हो गए तब भी नहीं बोले। जब पांचवां दिन हुआ तो देखा सिर्फ़ चौदह लोग थे। महात्मा बुद्ध उस दिन बोले और चौदोहों लोग उनके साथ हो गए।
तीसरा दिन हुआ साठ के क़रीब लोग थे महात्मा बुद्ध आए, इधर – उधर देखा और बिना कुछ कहे वापिस चले गए। चौथा दिन हुआ तो कुछ लोग और कम हो गए तब भी नहीं बोले। जब पांचवां दिन हुआ तो देखा सिर्फ़ चौदह लोग थे। महात्मा बुद्ध उस दिन बोले और चौदोहों लोग उनके साथ हो गए।


किसी ने महात्मा बुद्ध को पूछा आपने चार दिन कुछ नहीं बोला। इसका क्या कारण था। तब बुद्ध ने कहा मुझे भीड़ नहीं काम करने वाले चाहिए थे। यहाँ वो ही टिक सकेगा जिसमें धैर्य हो। जिसमें धैर्य था वो रह गए।
किसी ने महात्मा बुद्ध को पूछा आपने चार दिन कुछ नहीं बोला। इसका क्या कारण था। तब बुद्ध ने कहा मुझे भीड़ नहीं काम करने वाले चाहिए थे। यहाँ वो ही टिक सकेगा जिसमें धैर्य हो। जिसमें धैर्य था वो रह गए।

Revision as of 14:09, 16 November 2014

बुद्ध की सभा -महात्मा बुद्ध
विवरण इस लेख में महात्मा बुद्ध से संबंधित प्रेरक प्रसंगों के लिंक दिये गये हैं।
भाषा हिंदी
देश भारत
मूल शीर्षक प्रेरक प्रसंग
उप शीर्षक महात्मा बुद्ध के प्रेरक प्रसंग
संकलनकर्ता अशोक कुमार शुक्ला

महात्मा बुद्ध को एक सभा में भाषण करना था। जब समय हो गया तो महात्मा बुद्ध आए और बिना कुछ बोले ही वहाँ से चल गए। तकरीबन एक सौ पचास के क़रीब श्रोता थे। दूसरे दिन तकरीबन सौ लोग थे पर फिर उन्होंने ऐसा ही किया बिना बोले चले गए। इस बार पचास कम हो गए।

तीसरा दिन हुआ साठ के क़रीब लोग थे महात्मा बुद्ध आए, इधर – उधर देखा और बिना कुछ कहे वापिस चले गए। चौथा दिन हुआ तो कुछ लोग और कम हो गए तब भी नहीं बोले। जब पांचवां दिन हुआ तो देखा सिर्फ़ चौदह लोग थे। महात्मा बुद्ध उस दिन बोले और चौदोहों लोग उनके साथ हो गए।

किसी ने महात्मा बुद्ध को पूछा आपने चार दिन कुछ नहीं बोला। इसका क्या कारण था। तब बुद्ध ने कहा मुझे भीड़ नहीं काम करने वाले चाहिए थे। यहाँ वो ही टिक सकेगा जिसमें धैर्य हो। जिसमें धैर्य था वो रह गए।

केवल भीड़ ज्यादा होने से कोई धर्म नहीं फैलता है। समझने वाले चाहिए, तमाशा देखने वाले रोज इधर – उधर ताक-झाक करते है। समझने वाला धीरज रखता है। कई लोगों को दुनिया का तमाशा अच्छा लगता है। समझने वाला शायद एक हजार में एक ही हो ऐसा ही देखा जाता है।


महात्मा बुद्ध से जुड़े अन्य प्रसंग पढ़ने के लिए महात्मा बुद्ध के प्रेरक प्रसंग पर जाएँ।
पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}