नियम का पालन -महात्मा गाँधी: Difference between revisions

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Latest revision as of 10:54, 13 January 2015

नियम का पालन -महात्मा गाँधी
विवरण इस लेख में महात्मा गाँधी से संबंधित प्रेरक प्रसंगों के लिंक दिये गये हैं।
भाषा हिंदी
देश भारत
मूल शीर्षक प्रेरक प्रसंग
उप शीर्षक महात्मा गाँधी के प्रेरक प्रसंग
संकलनकर्ता अशोक कुमार शुक्ला

महात्मा गांधी के साबरमती आश्रम में प्रत्येक कार्य का समय नियत था और नियम कायदों का सख्ती से पालन होता था। आश्रम के प्रत्येक कर्मचारी और वहां रहने वाले सभी लोगों को नियमानुसार ही कार्य करने की हिदायत दी जाती थी। साबरमती आश्रम का एक नियम यह था कि वहां भोजनकाल में दो बार घंटी बजायी जाती थी उस घंटी की आवाज़ सुनकर आश्रम में रहने वाले सभी लोगों को भोजन करने आ जाना होता था। जो लोग दूसरी बार घंटी बजने पर भी भोजन के लिये नहीं पहुंचते उन्हें दूसरी पंक्ति लगने तक प्रतीक्षा करनी पडती थी। एक दिन की बात है कि भोजन की घंटी दो बार बज गयी और गांधी जी समय से उपस्थित नहीं हो सके।

वास्तव में वे कुछ आवश्यक लेखन कार्य कर रहे थे जिसे बीच में छोडना संभव नहीं था इसलिये वे लेखन समाप्त करने के बाद जब भोजनालय आये तब तक भोेजन बंद हो गया था। कार्यकर्तागण महात्मा जी का भोजन निकालकर उनकी कुटिया में ले जाने की तैयारी कर रहे थे।

महात्मा गांधी जी अत्यंत सहजता से भोजनालय के बाहर लगी लाइन में खडे हो गये। तभी किसी ने उनसे कहा-

बापू आप लाइन में क्यों लगे हैै। आपके लिये कोई नियम नहीं है। आप अपनी कुटिया में चलें, वहीं भोजन आ जायेगा आप उसे ग्रहण कीजिये।

तब गांधीजी बोले नहीं नियम सभी के लिये एक जैसा होना चाहिये। जो नियम का पालन न करे, उसे दंड भी भोगना चाहिये।

.....और महात्मा जी ने भोेजनालय में अगली पंक्ति लगने तक प्रतीक्षा की और भोजनशाला में ही भोजन ग्रहण किया।

महात्मा गाँधी से जुड़े अन्य प्रसंग पढ़ने के लिए महात्मा गाँधी के प्रेरक प्रसंग पर जाएँ।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख