आर्यों का विज्ञान -दयानंद सरस्वती: Difference between revisions
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उसी | उसी ए॰ओ॰ ह्यूम ने महर्षि जी के बारे में अपने विचार प्रस्तुत करते हुए कहा था कि :- | ||
“स्वामी दयानन्द के सिद्धांतों के विषय में कोई मनुष्य कैसी ही सम्मति स्थिर कर ले, परंतु यह सबको मान लेना पड़ेगा कि स्वामी दयानन्द अपने देश के लिए गौरवरूप थे। दयानन्द को खोकर भारत को महान हानि उठानी पड़ी है। वे महान और श्रेष्ठ पुरुष थे।” | “स्वामी दयानन्द के सिद्धांतों के विषय में कोई मनुष्य कैसी ही सम्मति स्थिर कर ले, परंतु यह सबको मान लेना पड़ेगा कि स्वामी दयानन्द अपने देश के लिए गौरवरूप थे। दयानन्द को खोकर भारत को महान हानि उठानी पड़ी है। वे महान और श्रेष्ठ पुरुष थे।” |
Revision as of 08:05, 14 May 2015
आर्यों का विज्ञान -दयानंद सरस्वती
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विवरण | इस लेख में दयानंद सरस्वती से संबंधित प्रेरक प्रसंगों के लिंक दिये गये हैं। |
भाषा | हिंदी |
देश | भारत |
मूल शीर्षक | प्रेरक प्रसंग |
उप शीर्षक | दयानंद सरस्वती के प्रेरक प्रसंग |
संकलनकर्ता | अशोक कुमार शुक्ला |
अपने एक प्रवचन में स्वामी दयानंद सरस्वती ने कहा था कि
“प्राचीन काल में दरिद्रों के घर में भी विमान थे। उपरिचर नामक राजा सदा हवा में ही फिरा करता था, पहले के लोगों को विमान रचने की कला, विद्या भली प्रकार से विदित थी। पहले के लोग विमान आदि के द्वारा लड़ाई लड़ते थे। मैंने भी एक विमान-रचना का पुस्तक देखा है। भला आप सोचे कि उस व्यवस्था और विज्ञान के सन्मुख आज इस रेलगाड़ी की प्रतिष्ठा ही क्या हो सकती है।”
ए. ओ. ह्यूम जिन्होंने बाद में भारतीय कांग्रेस की स्थापना की, उन्होंने स्वामी जी का उपहास करते हुए कहा, ‘व्यक्ति का उड़ना गुब्बारों तक ही सीमित रह सकता है, यान बनाकर तो केवल सपनों में ही उड़ा जा सकता है। लेकिन जब विमान का आविष्कार हुआ तो ए. ओ. ह्यूम ने बाद में उदयपुर में स्वामी श्रद्धानंद जी (स्वामी दयानन्द जब देह त्याग चुके थे और स्वामी श्रद्धानंद उनके उत्तराधिकारी समझे जाते थे, इसलिए क्षमा उनसे मांगी गयी) से अपने उपहास के लिए क्षमा मांगी थी।
उसी ए॰ओ॰ ह्यूम ने महर्षि जी के बारे में अपने विचार प्रस्तुत करते हुए कहा था कि :-
“स्वामी दयानन्द के सिद्धांतों के विषय में कोई मनुष्य कैसी ही सम्मति स्थिर कर ले, परंतु यह सबको मान लेना पड़ेगा कि स्वामी दयानन्द अपने देश के लिए गौरवरूप थे। दयानन्द को खोकर भारत को महान हानि उठानी पड़ी है। वे महान और श्रेष्ठ पुरुष थे।”
- दयानंद सरस्वती से जुड़े अन्य प्रसंग पढ़ने के लिए दयानंद सरस्वती के प्रेरक प्रसंग पर जाएँ।
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