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हिसार शहर, पश्चिमोत्तर [[हरियाणा]] राज्य, पश्चिमोत्तर [[भारत]], में पश्चिमी यमुना नहर की हांसी शाखा पर स्थित है।  
हिसार शहर, पश्चिमोत्तर [[हरियाणा]] राज्य, पश्चिमोत्तर [[भारत]], में पश्चिमी यमुना नहर की हांसी शाखा पर स्थित है।  
==इतिहास==
==इतिहास==
तुग़लक वंश के शासक बादशाह [[फ़िरोज़ शाह तुग़लक]] ने सन 1356 ई. में एक दुर्ग के रूप में हिसार की स्थापना की थी। यह शहर बाद में एक महत्त्वपूर्ण केंद्र बन गया। 18वीं शताब्दी में जनशून्य किए गए इस शहर पर बाद में ब्रिटिश अभियानकर्ता जॉर्ज थॉमस ने क़ब्ज़ा कर लिया। 1867 में हिसार की नगरपालिका का अध्ययन किया गया। यह शहर एक दीवार से घिरा है। जिसमें चार दरवाज़े हैं- नागोरी गेट, मोरी गेट, दिल्ली गेट तथा तलाकी गेट के नाम से प्रसिद्ध है। यहाँ फ़िरोज़ शाह के क़िले व महल के अवशेषों के साथ-साथ कई प्राचीन मस्जिदें हैं, जिनमें जहाज़ भी एक है, जो अब एक जैन मंदिर है।
तुग़लक वंश के शासक बादशाह [[फ़िरोज़ शाह तुग़लक]] ने सन 1356 ई. में एक दुर्ग के रूप में हिसार की स्थापना की थी। यह शहर बाद में एक महत्त्वपूर्ण केंद्र बन गया। 18वीं शताब्दी में जनशून्य किए गए इस शहर पर बाद में ब्रिटिश अभियानकर्ता जॉर्ज थॉमस ने क़ब्ज़ा कर लिया। 1867 में हिसार की नगरपालिका का अध्ययन किया गया। यह शहर एक दीवार से घिरा है। जिसमें चार दरवाज़े हैं- नागोरी गेट, मोरी गेट, दिल्ली गेट तथा तलाकी गेट के नाम से प्रसिद्ध है। यहाँ फ़िरोज़ शाह के क़िले व महल के अवशेषों के साथ-साथ कई प्राचीन मस्जिदें हैं, जिनमें जहाज़ भी एक है, जो अब एक जैन मंदिर है। प्राचीन समय में यह हड़प्पा सभ्यता का मुख्य केन्द्र था। प्राचीन समय में यहाँ कई आदिवासी जातियाँ रहती थी। इन जातियों में भरत, पुरू, मुजावत्स और महावृष प्रमुख थी।
 
==कृषि और खनिज==
==कृषि और खनिज==
गेहूँ व कपास यहाँ की प्रमुख फ़सलें हैं। अन्य फ़सलों में चना, बाजरा, चावल, सरसों व गन्ना शामिल हैं।  
गेहूँ व कपास यहाँ की प्रमुख फ़सलें हैं। अन्य फ़सलों में चना, बाजरा, चावल, सरसों व गन्ना शामिल हैं।  

Revision as of 06:35, 23 August 2010

हिसार शहर, पश्चिमोत्तर हरियाणा राज्य, पश्चिमोत्तर भारत, में पश्चिमी यमुना नहर की हांसी शाखा पर स्थित है।

इतिहास

तुग़लक वंश के शासक बादशाह फ़िरोज़ शाह तुग़लक ने सन 1356 ई. में एक दुर्ग के रूप में हिसार की स्थापना की थी। यह शहर बाद में एक महत्त्वपूर्ण केंद्र बन गया। 18वीं शताब्दी में जनशून्य किए गए इस शहर पर बाद में ब्रिटिश अभियानकर्ता जॉर्ज थॉमस ने क़ब्ज़ा कर लिया। 1867 में हिसार की नगरपालिका का अध्ययन किया गया। यह शहर एक दीवार से घिरा है। जिसमें चार दरवाज़े हैं- नागोरी गेट, मोरी गेट, दिल्ली गेट तथा तलाकी गेट के नाम से प्रसिद्ध है। यहाँ फ़िरोज़ शाह के क़िले व महल के अवशेषों के साथ-साथ कई प्राचीन मस्जिदें हैं, जिनमें जहाज़ भी एक है, जो अब एक जैन मंदिर है। प्राचीन समय में यह हड़प्पा सभ्यता का मुख्य केन्द्र था। प्राचीन समय में यहाँ कई आदिवासी जातियाँ रहती थी। इन जातियों में भरत, पुरू, मुजावत्स और महावृष प्रमुख थी।

कृषि और खनिज

गेहूँ व कपास यहाँ की प्रमुख फ़सलें हैं। अन्य फ़सलों में चना, बाजरा, चावल, सरसों व गन्ना शामिल हैं।

उद्योग और व्यापार

उद्योगों में कपास की ओटाई, हथकरघा बुनाई और कृषि यंत्रों व सिलाई मशीनों के निर्माण से जुड़े उद्योग शामिल हैं। यहाँ पर कपास, अनाज और तेल के बीजों का बड़ा बाजार है। इस बाजार के लिए यह बहुत प्रसिद्ध है।

यातायात और परिवहन

हिसार शहर एक प्रमुख रेल व सड़क जंक्शन है।

शिक्षण संस्थान

इस शहर में सी.सी. शाहू हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, गुरु जंभेश्वर विश्वविद्यालय, सी.सी. शाहू प्रबंधन महाविद्यालय, कृषि इंजीनियरिंग व प्रौद्योगिकी महाविद्यालय और हिसार गवर्नमेंट कॉलेज व डी.एन. कॉलेज सहित कई महाविद्यालय शामिल हैं।

जनसंख्या

2001 की जनगणना के अनुसार इस शहर की जनसंख्या 2,56,810, ज़िले की कुल जनसंख्या 15,36,417 है।

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