पहेली 28 जुलाई 2016: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
No edit summary |
गोविन्द राम (talk | contribs) No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
{| class="bharattable-green" width="100%" | {| class="bharattable-green" width="100%" | ||
|- | |- | ||
| [[चित्र:Paheli-logo.png|right|100px]] | | [[चित्र:Paheli-logo.png|right|100px|link=पहेली {{LOCALDAY}} {{LOCALMONTHNAME}} {{LOCALYEAR}}]] | ||
<quiz display=simple> | <quiz display=simple> | ||
{'''मानस का प्रत्येक पृष्ठ भक्ति से भरपूर है। मानस अनुभवजन्य ज्ञान का भण्डार है।''' यह कथन किस महापुरुष का है? | {'''मानस का प्रत्येक पृष्ठ भक्ति से भरपूर है। मानस अनुभवजन्य ज्ञान का भण्डार है।''' यह कथन किस महापुरुष का है? | ||
Line 11: | Line 11: | ||
||[[चित्र:Mahatma-Gandhi-2.jpg|right|100px|border|महात्मा गाँधी]]'महात्मा गाँधी' को ब्रिटिश शासन के ख़िलाफ़ [[भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन]] का नेता और 'राष्ट्रपिता' माना जाता है। सन [[1925]] में जब अधिकांश कांग्रेसजनों ने [[1919]] के भारतीय शासन विधान द्वारा स्थापित कौंसिल में प्रवेश करने की इच्छा प्रकट की तो [[महात्मा गाँधी]] ने कुछ समय के लिए सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लिया और उन्होंने अपने आगामी तीन [[वर्ष]] ग्रामोंत्थान कार्यों में लगाय। उन्होंने गाँवों की भयंकर निर्धनता को दूर करने के लिए चरखे पर सूत कातने का प्रचार किया और [[हिन्दू|हिन्दुओं]] में व्याप्त छुआछूत को मिटाने की कोशिश की। अपने इस कार्यक्रम को गांधी जी 'रचनात्मक कार्यक्रम' कहते थे। इस कार्यक्रम के ज़रिये वे अन्य भारतीय नेताओं के मुक़ाबले, गाँवों में निवास करने वाली देश की 90 प्रतिशत जनता के बहुत अधिक निकट आ गये थे। उन्होंने सारे देश में गाँव-गाँव की यात्रा की, गाँव वालों की पोशाक अपना ली और उनकी [[भाषा]] में उनसे बातचीत की।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[महात्मा गाँधी]] | ||[[चित्र:Mahatma-Gandhi-2.jpg|right|100px|border|महात्मा गाँधी]]'महात्मा गाँधी' को ब्रिटिश शासन के ख़िलाफ़ [[भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन]] का नेता और 'राष्ट्रपिता' माना जाता है। सन [[1925]] में जब अधिकांश कांग्रेसजनों ने [[1919]] के भारतीय शासन विधान द्वारा स्थापित कौंसिल में प्रवेश करने की इच्छा प्रकट की तो [[महात्मा गाँधी]] ने कुछ समय के लिए सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लिया और उन्होंने अपने आगामी तीन [[वर्ष]] ग्रामोंत्थान कार्यों में लगाय। उन्होंने गाँवों की भयंकर निर्धनता को दूर करने के लिए चरखे पर सूत कातने का प्रचार किया और [[हिन्दू|हिन्दुओं]] में व्याप्त छुआछूत को मिटाने की कोशिश की। अपने इस कार्यक्रम को गांधी जी 'रचनात्मक कार्यक्रम' कहते थे। इस कार्यक्रम के ज़रिये वे अन्य भारतीय नेताओं के मुक़ाबले, गाँवों में निवास करने वाली देश की 90 प्रतिशत जनता के बहुत अधिक निकट आ गये थे। उन्होंने सारे देश में गाँव-गाँव की यात्रा की, गाँव वालों की पोशाक अपना ली और उनकी [[भाषा]] में उनसे बातचीत की।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[महात्मा गाँधी]] | ||
</quiz> | </quiz> | ||
<noinclude> | |||
{{पहेली क्रम |पिछली=[[पहेली 27 जुलाई 2016]]|अगली=[[पहेली 29 जुलाई 2016]]}} | {{पहेली क्रम |पिछली=[[पहेली 27 जुलाई 2016]]|अगली=[[पहेली 29 जुलाई 2016]]}} | ||
<br /> | <br /> | ||
Line 18: | Line 18: | ||
[[Category:भारतकोश पहेली]] | [[Category:भारतकोश पहेली]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ | ||
</noinclude> |
Latest revision as of 07:49, 28 July 2016
right|100px|link=पहेली 16 May 2025
सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी
राज्यों के सामान्य ज्ञान
|