राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
No edit summary |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replace - "अंग्रेजी" to "अंग्रेज़ी") |
||
Line 23: | Line 23: | ||
*दक्षिणी राज्यों और [[पांडिचेरी]] की रंगमंच संबंधी आवश्यकताऔं को पूरा करने के उद्देश्य से विद्यालय ने [[बैंगलूर]] में अपना क्षेत्रीय अनसंधान केन्द्र भी स्थापित किया है। | *दक्षिणी राज्यों और [[पांडिचेरी]] की रंगमंच संबंधी आवश्यकताऔं को पूरा करने के उद्देश्य से विद्यालय ने [[बैंगलूर]] में अपना क्षेत्रीय अनसंधान केन्द्र भी स्थापित किया है। | ||
==प्रकाशन और अनुवाद== | ==प्रकाशन और अनुवाद== | ||
विद्यालय की एक अन्य महत्वपूर्ण गतिविधि है, रंगमंच के बारे में पाठ्यपुस्तकों का प्रकाशन करना तथा रंगमंच से जुड़े विषयों पर | विद्यालय की एक अन्य महत्वपूर्ण गतिविधि है, रंगमंच के बारे में पाठ्यपुस्तकों का प्रकाशन करना तथा रंगमंच से जुड़े विषयों पर अंग्रेज़ी पुस्तकों का हिन्दी में अनुवाद करना। | ||
Revision as of 13:10, 25 August 2010
स्थापना
राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय विश्व में रंगमंच का प्रशिक्षण देने वाले श्रेष्ठतम संस्थानों में से एक है तथा भारत में यह अपनी तरह का एकमात्र संस्थान है। जिसकी स्थापना संगीत नाटक अकादमी ने 1959 में की थी। इसे 1975 में स्वायत्त संगठन का दर्जा दिया गया, जिसका पूरा खर्च संस्कृति विभाग वहन करता है।
उद्देश्य
राष्ट्रीय नाटक विद्यालय का उद्देश्य रंगमंच के इतिहास, प्रस्तुतिकरण, दृश्य डिजायन, वस्त्र डिजायन, प्रकाश व्यवस्था और रूप-सज्जा सहित रंगमंच के सभी पहलुऔं का प्रशिक्षण देना है।
पाठ्यक्रम
इस विद्यालय में प्रशिक्षण पाठ्यक्रम की अवधि तीन वर्ष है और हर वर्ष पाठ्यक्रम में 20 विद्यार्थी लिए जाते हैं। प्रवेश पाने के इच्छुक विद्यार्थियों को दो चरणों में गुजरना पड़ता है। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के डिप्लोमा को भारतीय विद्यालय संघ की ओर से एम0ए0 की डिग्री के बराबर मान्यता प्राप्त है और इसके आधार पर वे कालेजों व विश्वविद्यालयों में शिक्षक के रूप में नियुक्त किए जा सकते हैं अथवा पीएच.-डी. (डाक्टरेट) उपाधि के लिए पंजीकरण करा सकते हैं।
रिपटरी की स्थापना
इस विद्यालय के मंचन विभाग 'रिपटरी' की स्थापना दोहरे उद्देश्य से 1964 में की गई थी।
- एक उद्देश्य था व्यावसायिक रंगमंच की स्थापना करना और
- दूसरा, लगातार नए प्रयोग जारी रखना।
बाल रंगमंच
बाल रंगमंच को बढ़ावा देने की दिशा में राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय का महत्वपूर्ण योगदान है। 1989 में ' थियेटर इन एजुकेशन ' की स्थापना की गई। बाद में इसका नाम बदलकर ' संस्कार रंग टोली ' कर दिया गया। यह बच्चों के लिए नाटक तैयार करने, दिल्ली के स्कूलों में गर्मी की छुट्टियों में कार्यशालाएं आयोजित करने और सैटरडे क्लब के जरिए बाल रंगमंच को प्रोत्साहित करने का काम कर रहा है।
भारत रंग महोत्सव
1998 से ही यह विद्यालय बच्चों के लिए राष्ट्रीय रंगमंच महोत्सव का आयोजन कर रहा है। यह महोत्सव हर वर्ष नवंबर में ' जश्ने बचपन ' के नाम से आयोजित किया जाता है। भारत की आजादी की 50 वीं वर्षगांठ के अवसर पर 18 मार्च से 14 अप्रेल, 1999 तक पहले राष्ट्रीय रंगमंच महोत्सव ' भारत रंग महोत्सव ' का आयोजन किया गया था। इस प्रथम ' भारत रंग महोत्सव ' की सफलता को देखते हुए इसे हर वर्ष मनाने का निर्णय लिया गया है।
अल्पावधि शिक्षण कार्यक्रम
विभिन्न राज्यों में अनेक भाषाएँ बोलने बाले और विविध सांस्कृतिक पृष्ठभूमि वाले हज़ारों रंगमंच कलाकार इस विद्यालय के नियमित प्रशिक्षण पाठ्यक्रम तक नहीं पहुंच सकते। ऎसे में इन कलाकारों तक पहुंचने के लिए 1978 में ' विस्तार कार्यक्रम ' नामक एक अल्पावधि शिक्षण कार्यक्रम शुरू किया गया था। इस कार्यक्रम के तहत विद्यालय स्थानीय थियेटर ग्रुपों/कलाकारों के सहयोग से कार्यशालाएं चलाता है। जिनमें सभी कार्यक्रम स्थानीय भाषाऔं में होते हैं।
कार्यशाला की श्रेणियों
इन कार्यशालाओं को साधारणत: तीन श्रेणियों में बांटा जा सकता है।
- प्रस्तुतिकरणोन्मुख कार्यशालाएं,
- बच्चों के लिए प्रस्तुतिकरणोन्मुख कार्यशालाएं और
- रंगमंच संबंधी शिक्षण तथा प्रशिक्षण।
- दक्षिणी राज्यों और पांडिचेरी की रंगमंच संबंधी आवश्यकताऔं को पूरा करने के उद्देश्य से विद्यालय ने बैंगलूर में अपना क्षेत्रीय अनसंधान केन्द्र भी स्थापित किया है।
प्रकाशन और अनुवाद
विद्यालय की एक अन्य महत्वपूर्ण गतिविधि है, रंगमंच के बारे में पाठ्यपुस्तकों का प्रकाशन करना तथा रंगमंच से जुड़े विषयों पर अंग्रेज़ी पुस्तकों का हिन्दी में अनुवाद करना।